Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/200

M/s Pepsico - Complainant(s)

Versus

Vinay Shankar Shukla - Opp.Party(s)

Vikas Singh

23 Nov 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/200
( Date of Filing : 30 Jan 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Pepsico
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Vinay Shankar Shukla
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Nov 2021
Final Order / Judgement

                                                           (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-200/2012

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्‍या-164/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.12.2010 के विरूद्ध)

                                    

1. पेप्‍सीको इण्डिया होल्डिंग्‍स प्राइवेट लिमिटेड, 29/9, 6th फ्लोर, राज चैम्‍बर्स, राणा प्रताप मार्ग, लखनऊ द्वारा अथराइज्‍ड सिग्‍नेचरी।

2. प्रबन्‍धक, पेप्‍सीको इण्डिया होल्डिंग्‍स प्राइवेट लिमिटेड, ए-52 अपसेडिक, जैनपुर, जिला कानपुर देहात-2009311 (यू.पी.)।    

अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0-1

बनाम

1. विनय शंकर शुक्‍ला पुत्र श्री अनिरूद्ध कुमार शुक्‍ला, निवासी-मोहल्‍ला आजाद नगर (निकट अशोक आटा चक्‍की) शहर, परगना व तहसील नवाबगंज, जिला बाराबंकी।

2. श्री अंकित, मालिक फर्म न्‍यू गोपाल मिष्‍ठान भण्‍डार, मेन रोड, नाका सथरिख, तहसील नवाबगंज जिला बाराबंकी।

                                     प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से        : श्री विकास सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।                                               

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से       : श्री ए0के0 पाण्‍डेय, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से       : कोई नहीं।

दिनांक:  03.01.2022  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-164/2008, विनय शंकर शुक्‍ला बनाम प्रबन्‍धक, पेप्‍सीको इण्डिया होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, बाराबंकी द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 28.12.2010 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया गया है कि वह परिवादी को क्षति के लिए अंकन 50,000/- रूपये तथा परिवाद व्‍यय के लिए अंकन 2,000/- रूपये अदा करें।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 15.09.2008 को अपने मेहमानों के स्‍वागत के लिए विपक्षी की फैक्‍ट्री के द्वारा उत्‍पादित की गई पेप्‍सी की 200 मिली ली0 की बोतल मंगवाई। पेप्‍सी की बोतल को जब परिवादी ने अपने मेहमानों को परोसना चाहा तब अचानक परिवादी के मेहमानों ने देखा कि बोतल में पान मसाला का पाउच तैर रहा है। परिवादी के मेहमानों ने बोतल में तैर रहे पाउच को देखकर परिवादी को भला बुरा कहा, जिससे परिवादी को मानसिक आघात पहुँचा और उन्‍हें लज्जित होना पड़ा। परिवादी ने विपक्षीगण को इस संबंध में नोटिस भेजा, किंतु इस पर कोई ध्‍यान नहीं दिया गया, इसलिए परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करना पड़ा।

3.         विपक्षी संख्‍या-2 का कथन है कि परिवादी द्वारा पेप्‍सी की 200 मिली ली0 की सील बन्‍द बोतल खरीदी गई, उसने बिल भी दिया था। सील बन्‍द पेप्‍सी की बोतल में पान मसाल का पाउच मिलने पर विपक्षी संख्‍या-2 की कोई जिम्‍मेदारी नहीं है, बल्कि पूरी जिम्‍मेदारी विपक्षी संख्‍या-1 की है। विपक्षी संख्‍या-2 कोल्‍ड इण्डिया लि0 कानपुर देहात का पेय जल पेप्‍सी 200 मिली ली0 का सप्‍लायर है।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा अपने कर्तव्‍यों का निर्वहन नहीं किया गया है और उपभोक्‍ता के प्रति सेवा में कमी की गई है। तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

5.          इस निर्णय/आदेश को अपीलार्थीगण द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है। पिन कोड जैसी त्रुटि की आपत्‍ति‍ भी की गई है। चूंकि यह आपत्‍ति‍ अत्‍यधिक तुच्‍छ प्रकृति की है, इसलिए इस पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। एक तकनीकी आपत्‍ति‍ यह की गई है कि मै0 पेप्‍सीको इण्डिया होल्डिंग्‍स प्राइवेट लिमिटेड एक कम्‍पनी है, लेकिन कम्‍पनी को पक्षकार नहीं बनाया गया है। यह अपील मै0 पेप्‍सीको इण्डिया होल्डिंग्‍स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद पत्र में प्रबन्‍धक, पेप्‍सीको इण्डिया होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड को पक्षकार बनाया गया है। इस पक्षकार का नाम इस प्रकार भी हो सकता था, पेप्‍सीको इण्डिया होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रबन्‍धक। प्रस्‍तुत केस में केवल प्रबन्‍धक शब्‍द पहले लिखा गया है, परन्‍तु वह जिस कम्‍पनी के प्रबन्‍धक हैं, उस कम्‍पनी को पक्षकार बना हुआ माना जाएगा। अत: इस तर्क में कोई बल नहीं है कि कम्‍पनी को पक्षकार नहीं बनाया गया है।

6.         आगे यह आपत्‍ति‍ की गई है कि पब्लिक एनालिस्‍ट की रिपोर्ट प्राप्‍त नहीं की गई है, इसलिए विपक्षीगण पर उत्‍तरदायित्‍व नियत नहीं किया जा सकता साथ ही इस तथ्‍य का भी सबूत नहीं है कि यह प्रश्‍नगत बोतल अपीलार्थीगण से ही क्रय की गई थी। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अंकन 52,000/- रूपये का प्रतिकर जारी करने का आदेश कल्‍पना के आधार पर दिया है, जो अनुचित है।

7.         अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास सिंह तथा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए0के0 पाण्‍डेय उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल अपीलार्थीगण एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍तागण की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

8.         विपक्षी संख्‍या-2 ने इस तथ्‍य को लिखित कथन में स्‍वीकार किया है कि उसने परिवादी को पेप्‍सी की बोतल विक्रय की थी, इसलिए इस बिन्‍दु पर कोई व्‍याख्‍या करने की आवश्‍यकता नहीं थी कि बोतल किससे खरीदी गई।

9.         परिवादी ने सशपथ बयान दिया है कि बोतल में पान मसाले का पाउच प्राप्‍त हुआ था, जिसके कारण मेहमानों ने इस बोतल का ड्रिंक ग्रहण नहीं किया, वे नाराज हो गए। इस तथ्‍य का कोई खण्‍डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है कि परिवादी द्वारा असत्‍य शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है और यथार्थ में बोतल में किसी प्रकार का पाउच प्राप्‍त नहीं हुआ। ड्रिंक की बोतल में मसाले का पाउच मिलना स्‍वंय में इस तथ्‍य का सबूत है कि ड्रिंक उपभोग के लिए उचित नहीं रही। पब्लिक एनालिस्‍ट की रिपोर्ट की महत्‍ता वहां होती है जहां मिलावट या निर्मि‍त उत्‍पाद स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खतरनाक होने के संबंध में रिपोर्ट प्राप्‍त की जानी हो, उस स्थिति में उत्‍पाद क्रेता तथा विक्रेता के विरूद्ध दण्‍डात्‍मक कार्यवाही उच्‍च स्‍तर की लागू होती है। प्रस्‍तुत केस केवल उपभोक्‍ता विवाद से संबंधित है। यदि उपभोक्‍ता द्वारा क्रय की गई ड्रिंक में तंबाकू पाउच मिला है तब यह उपभोक्‍ता के प्रति सेवा में कमी है, इस कमी को साबित करने के लिए पब्लिक एनालिस्‍स्‍ट की रिपोर्ट मंगवाने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। अत: यह तर्क भी निरर्थक है।

10.        अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से यह बहस की गई है कि अंकन 50,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिया गया है, जो अत्‍‍यधिक है। इस तर्क में पर्याप्‍त बल प्रतीत होता है। अंकन 50,000/- रूपये के स्‍थान पर अंकन 25,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति का आदेश देना विधिसम्‍मत है। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

11.        प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.12.2010 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अंकन 50,000/- रूपये के स्‍थान पर मात्र 25,000/- रूपये देय होंगे। शेष निर्णय/आदेश पुष्‍ट किया जाता है।

पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 (सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

    सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

                   

 

 

(सुशील कुमार)                           (राजेन्‍द्र सिंह)

 सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

     कोर्ट-2 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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