राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-2888/2012
(जिला उपभोक्ता फोरम, सुलतानपुर द्वारा परिवाद संख्या-१२७/२००८ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-१२/११/२०१० के विरूद्ध)
चोलामण्डलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 रीजनल आफिस सेकेण्ड फ्लोर ०४ मैरी गोल्ड शाह नजफ रोड सप्रू मार्ग लखनऊ द्वारा असिसटेंट जनरल मैनेजर।
.............अपीलार्थी.
बनाम
विनय कुमार सिंह पुत्र श्री अर्जुन सिंह प्रोपराईटर अंशिका टेलीकाम सर्विस, नियर दैनिक जागरण आफिस सुलतानपुर।
..............प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
- माननीय श्री राज कमल गुप्ता, पीठा0सदस्य।
- माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री टी0के0 मिश्रा विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री टी0एच0 नकवी विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक: 23/08/2017
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता फोरम, सुलतानपुर द्वारा परिवाद संख्या-१२७/२००८ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक-१२/११/२०१० के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी विनय कुमार सिंह द्वारा अपनी दुकान के लिए ०७ लाख रूपये की पालिसी ली थी। पालिसी सं0-एसएसओ ००१२२२-०००-०० जिसकी वैधता दिनांक ३०/०३/२००५ से दिनांक २९/०३/२००६ तक थी। परिवादी की दुकान में दिनांक २/०६/२००५ २६/०६/२००५ की रात्रि बिजली की शार्टसर्किट से आग लग गयी जिसकी सूचना फायर बिग्रेड को दी गयी। दुकान में आग लगने से पीसीओ मशीन पुरानी मरम्मत बिक्री हेतु मशीने स्पेयर पार्ट टी0 वी0, इनवरटर, पंखा, फैक्स मशीन, फर्नीचर, टेलीफोन, बैटरी आदि सब कुछ जल गया। फायर बिग्रेड द्वारा रू0 ६ लाख ७५ हजार की धनराशि की क्षति आकलित की गयी। अपीलकर्ता के सर्वेयर द्वारा अपना सर्वेयर भेजकर जांच कराई गयी। सर्वेयर ने अपनी आख्या बीमा कम्पनी को भेज दी गयी किन्तु बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का दावा संदिग्ध होने के कारण कोई निर्णय नहीं लिया। इसी से क्षुब्ध होकर परिवादी ने एक परिवाद जिला मंच सुलतानपुर के समक्ष योजित किया।
इस परिवाद का बीमा कम्पनी द्वारा प्रतिवाद किया गया। विद्वान जिला मंच द्वारा उभय पक्षों को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय साक्ष्यों का परिशीलन किया गया। विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया-
‘’ परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह आदेश पारित होने के एक माह के अन्दर परिवादी को बीमित धनराशि रू0 १३,९०,७४०/-(तेरह लाख नब्बे हजार सात सौ चालीस रूपये) एवं उस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से देय तिथि तक ०९ प्रतिशत साधारण ब्याज एवं वाद व्यय के मद में एक हजार रूपये अदा करें। ‘’
इसी आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील दायर की गयी।
अपील में अपीलकर्ता ने अभिकथन किया है कि विद्वान जिला मंच का प्रश्नगत आदेश मनमाना है। अपील में यह भी कहा गया है कि परिवादी ने अपने परिवाद में बीमा धनराशि ०७ लाख के सापेक्ष रू0 ६९९९९९/-की धनराशि का दावा प्रस्तुत किया जबकि विद्वान जिला मंच ने परिवादी को रू0 १३९०४७०/-की धनराशि ०९ प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश पारित कर दिया। इस प्रकार विद्वान जिला मंच ने बीमा धनराशि से कहीं अधिक धनराशि का दावा स्वीकार कर लिया है। अपील में यह भी कहा गया है कि सर्वेयर ने मात्र रू0 ३,१०,५६८/-की क्षति का अनुमान लगाया था, जिसमें १० हजार की आधिक्य की कटौती किए जाने की शर्त भी है। अपील में यह भी कहा गया है कि सर्वेयर ने अनेकों तारीखों पर प्रत्यर्थी से व्यापार कर विभाग में दाखिल बिक्री की रिटर्न, बैंक के स्टेटमेंट आदि की मांग की है किन्तु बीमा धारक द्वारा कोई ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे विदित होता हो कि उसकी दुकान में कितनी कीमत का स्टाक रखा था। विद्वान जिला मंच ने इन सभी तथ्यों की अनदेखी करके त्रुटि की है। अपीलकर्ता के स्तर पर किसी प्रकार की कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है । अपील स्वीकार किए जाने की प्रार्थना की गयी है।
इस अपील का प्रत्यर्थी की ओरसे विरोधकिया गया।
सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता श्री टी0के0 मिश्रा एवं प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी उपस्थित हुए। उनके तर्कों को सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय साक्ष्यों का परिशीलन किया गया।
पत्रावली पर उपलब्ध बीमा पालिसी के परिशीलन से यह स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी की दुकान का बीमा दिनांक ०२/०४/२००५ को किया गया था और यह दुकान बीमा पालिसी के अनुसार बीमा दिनांक ३०/०३/२००५ से २९/०३/२००६ तक की अवधि के लिए बीमित था। बीमा धारक की दुकान में आग के सापेक्ष ०७ लाख रू0 और व्यक्तिगत दुर्घटना के सापेक्ष ०२ लाख रूपये का बीमा था। बीमा पालिसी का प्रीमियम रू0 २९८७/-का भुगतान किया गया।
प्रश्नगत प्रकरण में मात्र आग लगने की घटना हुई थी। चोरी से संबंधित कोई मामला नहीं था और न ही कोई व्यक्तिगत दुर्घटना घटित हुई है। इस प्रकार कुल ०७ लाख रूपये की राशि तक का दावा इस प्रकरण में अनुमन्य था किन्तु विद्वान जिला मंच ने १३,९०,७४०/- की धनराशि का दावा स्वीकृत करके त्रुटि की है। अब यह देखना है कि वास्तव में आग लगने से दुकान में कितनी क्षति हुई। विद्वान जिला मंच ने क्षति का आकलन किस आधार पर किया, यह स्पष्ट नहीं है । अपीलकर्ता के सर्वेयर द्वारा जो सर्वे रिपोर्ट दिनांक ०१/०९/२००६ प्रस्तुत की गयी है उसमें आग से मात्र ३,१०,५६८/- की क्षति का अनुमान लगाया है और इसमें से १० हजार रूपये आधिक्य की शर्त की कटौती की जानी चाहिए । चूंकि प्रत्यर्थी द्वारा अपीलकर्ता के सर्वेयर को बिक्रीकर के रिटर्न अथवा बैंक का कोई स्टेटमेंट उपलब्ध नहीं कराया गया, इसलिए प्रत्यर्थी/परिवादी के दावे पर कोई विश्वास नहीं किया जा सकता है। चूंकि प्रत्यर्थी की दुकान में आग लगी है तथा फायर ब्रिगेड ने आग लगने की पुष्टि की है। अपीलकर्ता की अपील स्वीकार किए जाने योग्य है। सर्वेयर की रिपोर्ट विश्वसनीय है। अत: पीठ इस मत की है कि सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार कुल क्षति रू0 ३,१०,५६८/- से १० हजार रूपये आधिक्य की धनराशि काटकर शेष धनराशि ३,००,५६८/- का भुगतान प्रत्यर्थी को किया जाना न्यायोचित होगा।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। अपीलकर्ता को निर्देशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी को रू0 ३००५६८/- का भुगतान इस आदेश के ४५ दिन की अवधि के अन्दर करे और इस पर आदेश के दिनांक से भुगतान होने की तिथि तक ०९ प्रतिशत साधारण ब्याज का भुगतान भी करे।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्षों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठा0सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, आशु0 कोर्ट नं0-5