(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-805/2009
(जिला आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या-349/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.03.2009 के विरूद्ध)
1. स्टेट बैंक आफ इंडिया, कारपोरेट आफिस मुम्बई एंड लोकल हेड आफिस एट 11, संसद मार्ग, नई दिल्ली एंड एडमिनिस्ट्रेटिव आफिस गढ़ रोड, मेरठ एवं ब्रांच आफिस अमंग अदर्स नोन एस मेरठ कैण्ट ब्रांच, मेरठ कैण्ट, मेरठ।
2. स्टेट बैंक आफ इंडिया, कारपोरेट आफिस मुम्बई एंड लोकल हेड आफिस मुम्बई एंड ब्रांच आफिस किंग्सवे ब्रांच, नागपुर द्वारा डिप्टी जनरल मैनेजर (आरकेआई बॉण्ड सेल)।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
1. विनय कुमार जैन पुत्र श्री पी.एल. जैन, निवासी वेस्टर्न कचहरी रोड, मेरठ।
2. रिजर्व बैंक आफ इंडिया, डिपार्टमेंट आफ गवर्नमेंट बाण्ड्स अकाउंट्स सेंट्रल आफिस अपोजिट मुम्बई सेंट्रल रेलवे स्टेशन, मुम्बई।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री सुरेश चन्द्र पाण्डेय।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री वी.एस. बिसारिया।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 25.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-349/2008, विनय कुमार जैन बनाम भारतीय स्टेट बैंक तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, मेरठ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.03.2009 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने अपनी पत्नी श्रीमती निर्मला जैन व अपनी पुत्री दिशा जैन के नाम से रिलीफ बाण्ड योजना में दो-दो लाख रूपये जमा कराए थे, जिसकी परिपक्वता अवधि दिनांक 30.3.2007 थी तथा इस तिथि पर कुल 2,96,150/-रू0 प्रत्येक बाण्ड धारक को देय थे। परिवादी की पत्नी एवं पुत्री के बाण्ड की राशि मय ब्याज विपक्षीगण द्वारा 5,92,300/-रू0 अदा किए गए। परिवादी के नाम जारी बाण्ड की केवल मूल धनराशि अदा की ब्याज राशि अदा नहीं की। पूछने पर विपक्षीगण ने बताया कि नागपुर ब्रांच से अनुमति मिलने पर ब्याज राशि का भुगतान कर दिया जाएगा, परन्तु अवशेष राशि का भुगतान नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षीगण को पंजीकृत डाक के माध्यम से सूचना प्रेषित की गई, परन्तु वह उपस्थित नहीं हुए, इसलिए एकतरफा सुनवाई करते हुए विद्वान जिला आयोग ने आदेश पारित किया कि एक माह के अंदर अंकन 96,150/-रू0 12 प्रतिशत ब्याज के साथ परिवादी को अदा किए जाए।
4. अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्य को स्वीकार किया गया कि परिवादी अपीलार्थीगण का उपभोक्ता है और उनके द्वारा अवयस्क पुत्री दिशा जैन के लिए एक खाता खोला गया था, उसमें दिनांक 30.03.2002 को दो लाख रूपये जमा किए थे, जो भारत सरकार के रिलीफ बाण्ड में निवेश किए जाने थे। यह बाण्ड दिनांक 30.03.2007 को पूर्ण हुआ। उन्हें परिवाद का कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ तथा विद्वान जिला आयोग ने निर्णय पारित करते समय विशेष कारण दर्शित नहीं किए, इसलिए यह निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है।
5. अपीलार्थीगण तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
6. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता की ओर से मौखिक तर्क में भी पूर्व बिन्दु उठाए गए हैं।
7. परिवाद पत्र में परिवादी ने कथन किया है कि अपनी अवयस्क पुत्री के नाम से अंकन 2 लाख रूपये दिनांक 30.03.2002 को जमा किए थे, इस राशि को जमा करने से अपीलार्थीगण द्वारा इंकार नहीं किया गया है। लिखित कथन प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के तथ्यों का कोई खण्डन नहीं किया गया, जबकि विद्वान जिला आयोग ने स्पष्ट निष्कर्ष दिया है कि विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित की गई थी, इसलिए तामील होने की उपधारणा की गई थी। तदनुसार भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के अनुसार इस तथ्य की उपधारणा की जा सकती है कि सभी न्यायिक कार्य वैधानिक रूप से सम्पादित किए गए हैं, जब तक इस उपधारणा का खण्डन न किया गया हो। अत: प्रस्तुत केस में इस उपधारणा का कोई खण्डन नहीं किया गया है कि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण पर पंजीकृत डाक से समन प्रेषित नहीं किए गए। परिवादी द्वारा सशपथ साबित किया गया है कि अंकन 2,96,150/-रू0 प्राप्त होने थे, जिसका कोई खण्डन मौजूद नहीं है, इसलिए अखण्डनीय साक्ष्य पर आधारित निर्णय/आदेश को परिवर्तित करने का कोई आधार अपीलार्थीगण द्वारा जाहिर नहीं किया गया है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2