Uttar Pradesh

StateCommission

A/555/2019

Purushottam - Complainant(s)

Versus

Vinay Kumar Bansal - Opp.Party(s)

Vishnu Kumar Mishra

13 Jan 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/555/2019
( Date of Filing : 30 Apr 2019 )
(Arisen out of Order Dated 19/02/2014 in Case No. C/330/2010 of District Agra-I)
 
1. Purushottam
Agra
...........Appellant(s)
Versus
1. Vinay Kumar Bansal
Agra
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/556/2019
( Date of Filing : 30 Apr 2019 )
(Arisen out of Order Dated 19/02/2014 in Case No. C/483/2010 of District Agra-I)
 
1. Purushottam
Agra
...........Appellant(s)
Versus
1. Vinay Kumar Bansal
Agra
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2014/1197
( Date of Filing : 06 Jun 2014 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Vinay Kumar Agarwal
-
...........Appellant(s)
Versus
1. Purushottam Das
-
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2014/1198
( Date of Filing : 06 Jun 2014 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Vijay Kumar Agarwal
-
...........Appellant(s)
Versus
1. Purushotaam Das
Agra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 13 Jan 2020
Final Order / Judgement

                                                                                                                                                            (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 1197/2014

Vinay kumar banshal, Director Shri Govind Sheetgrih pvt. Ltd. Mahuar, Kirawali, District Agra.

                                                                 ……….. Appellant

 

Versus

Purushottam son of Sri Kunwar sen R/o Khlauwa, P.S. Mallpura, Teh. Sadar, Distt. Agra.

                                                                   ……… Respondent

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित           : श्री नवीन कुमार तिवारी,

                                      विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित            : श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा,

                                      विद्वान अधिवक्‍ता।

 

एवं

अपील सं0- 555/2019

Purushottam son of Sri Kunwar R/o Khlauwa, P.S. Mallapura, District Agra.

 

                                                                 ……….. Appellant

 

Versus

Vinay kumar bansal, Director Shri Govind Sheetgrah pvt. Limited Kirawali, District Agra.

 

                                                                      ……Respondent

समक्ष:-   

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        :  श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा,

                                 विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित               : श्री नवीन कुमार तिवारी,

                                  विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक:- 19.02.2020  

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                           

निर्णय

                   परिवाद सं0- 330/2010 पुरुषोत्‍तम बनाम विनय कुमार बंसल मालिक श्री गोविन्‍द शीतगृह प्रा0लि0 महुअर किरावली, जिला आगरा व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम प्रथम, आगरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 19.02.2014 के विरुद्ध उपरोक्‍त अपील सं0- 1197/2014 परिवाद के विपक्षी सं0- 1 ने और उपरोक्‍त अपील सं0- 555/2019 परिवाद के परिवादी ने धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।  

          आक्षेपित निर्णय व आदेश के द्वारा जिला फोरम ने उपरोक्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-  

          ‘’परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध अंकन 122500 (एक लाख बाइस हजार पांच सौ) की वसूली के लिए स्‍वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि 24/09/2010 से वास्‍तविक वसूली तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की दर से ब्‍याज भी परिवादी को विपक्षी से प्राप्‍त होगा। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त धनराशि आदेश के एक माह के अन्‍दर अदा करें।‘’

          जिला फोरम के निर्णय व आदेश से उभय पक्ष संतुष्‍ट नहीं हैं। अत: विपक्षी ने उपरोक्‍त अपील प्रस्‍तुत कर जिला फोरम का निर्णय व आदेश अपास्‍त किये जाने का निवेदन किया है, जब कि परिवादी ने उपरोक्‍त अपील प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र में याचित सम्‍पूर्ण अनुतोष प्रदान किये जाने का निवेदन किया है।

          दोनों अपील एक ही निर्णय के विरुद्ध प्रस्‍तुत की गई हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ संयुक्‍त निर्णय व आदेश के द्वारा किया जा रहा है।   

          अपील की सुनवाई के समय दोनों अपील में परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री विष्‍णु कुमार मिश्रा और विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन कुमार तिवारी उपस्थित आये हैं।  

          मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।   

          दोनों अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी के विरुद्ध परिवाद इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने विपक्षी विनय कुमार बंसल के श्री गोविन्‍द शीतगृह प्रा0लि0 महुअर, तहसील किरावली, जिला आगरा में लाट सं0- 2043/325 में 340 बोरी/कट्टा मोटा आलू व 122 बोरी/कट्टा बीज के महीन आलू दि0 13.03.2010 व दि0 14.03.2010 को दि0 31.10.2010 तक के लिए 60/-रू0 प्रति बोरी/कट्टा भाड़े पर भण्‍डारित किया। इस प्रकार कुल 462 कट्टे आलू उसने विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा जिसका कुल भाड़ा 27,720/-रू0 बनता था। विपक्षी को परिवादी का आलू बेचने का कोई अधिकार नहीं था, फिर भी उसने परिवादी का आलू दि0 01.08.2010 को बेच दिया, बाद में उसे पता चला कि उसने 275 बोरी/कट्टा आलू बेचा है जिसकी कोई सूचना उसे नहीं दी गई और परिवादी ने जब उससे इस सम्‍बन्‍ध में पूछा तो उसने उसे गाली दी।

          परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि उस समय आलू का प्रति कट्टा भाव 300/-रू0 था, परन्‍तु दि0 01.08.2010 को विपक्षी ने बिना उससे पूछे 275 कट्टा मोटा आलू 135/-रू0 प्रति बोरी/कट्टा के हिसाब से बिक्री किया था। अत: परिवादी ने दि0 23.08.2010 को विपक्षीगण को विद्वान अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस भेजा। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण ने परिवादी का आलू 82,500/-रू0 में बेचा है जिसका भुगतान विपक्षीगण ने परिवादी को नहीं किया है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि परिवादी का विपक्षी के शीतगृह में रखे 65 बोरी/कट्टा मोटा आलू और 122 बोरी/कट्टा बीज का आलू परिवादी को नहीं दिया गया तब परिवादी ने दि0 19.08.2010 को दो प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों को लेकर विपक्षी सं0- 1 के कोल्‍ड स्‍टोरेज में हिसाब कराने के लिये गया, फिर भी विपक्षी सं0- 1 ने कोई हिसाब नहीं किया और उन लोगों के साथ अभद्रता का व्‍यवहार किया तथा कहा कि वह अपने शीतगृह में जिसका भी आलू रखता है उसे बेचने का अधिकार स्‍वयं रखता है। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

          ‘’अत: श्रीमान जी से प्रार्थना है कि विपक्षीगण से प्रार्थी को 82,500/-रू0 व मानसिक, शारीरिक उत्‍पीड़न व आर्थिक उत्‍पीड़न 50,000/-रूपया वाद व्‍यय सहित एक लाख बाइस हजार पांच सौ रू0 दिलाये जाने के आदेश पारित करने की कृपा करें।‘’

          जिला फोरम के समक्ष विपक्षी ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि विपक्षी ने दि0 01.08.2010 को आलू नहीं बेचा है, बल्कि परिवादी ने ही उसके कोल्‍ड स्‍टोर पर आकर व्‍यापारी को 135/-रू0 प्रति कट्टा के हिसाब से आलू बेचा है। उसके बाद वह अपना 189 कट्टा आलू लेने कभी नहीं आया। उसके जिम्‍मा विपक्षी का 29,400/-रू0 बाकी है जो उसने बारदाने के लिए लिया था। लिखित कथन में कहा गया है कि वर्ष 2010 में कोई भी व्‍यापारी आलू किसी भाव में खरीदने को तैयार नहीं था। परिवादी ने विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज पर आकर स्‍वयं आलू बेचा है, परन्‍तु विपक्षी का हिसाब नहीं किया। लिखित कथन के अनुसार विपक्षी का परिवादी के यहां 26,184/-रू0 अवशेष है। उसने गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

          जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि न तो विपक्षी से परिवादी के ऋण लेने की बात साबित होती है और न परिवादी द्वारा आलू बेचने की बात साबित होती है। अत: जिला फोरम ने यह माना है कि परिवादी, परिवाद पत्र में याचित आलू की कीमत 82,500/-रू0 पाने का अधिकारी है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी माना है कि 30,000/-रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति और 10,000/-रू0 वाद व्‍यय परिवादी को दिलाया जाना उचित है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित है।

          परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में याचित सम्‍पूर्ण अनुतोष प्रदान न कर गलती की है। अत: उसकी अपील स्‍वीकार कर जिला फोरम का निर्णय संशोधित करते हुए परिवादी को परिवाद पत्र में याचित सम्‍पूर्ण धनराशि दिलायी जाये।

          परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विपक्षी ने उसके द्वारा भण्‍डारित आलू से 275 बोरी आलू की बिक्री उसकी अनुमति के बिना की है और 189 बोरी आलू की डिलीवरी उसे नहीं दी है। अत: विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज की सेवा में कमी है।

          विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय व आदेश तथ्‍य और विधि के विरुद्ध है। परिवादी ने विपक्षी से 29,400/-रू0 ऋण लिया था। साथ ही कोल्‍ड स्‍टोरेज का भाड़ा 27,720/-रू0 भी उसके जिम्‍मा बाकी था जिसके भुगतान हेतु परिवादी ने 275 कट्टा आलू स्‍वयं व्‍यापारी को बेचा था।

          विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी विपक्षी द्वारा नोटिस दिये जाने के बाद भी अपना 189 कट्टा आलू लेने नहीं आया है। अत: परिवादी, विपक्षी से आलू हेतु कोई क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। जिला फोरम का निर्णय व आदेश दोषपूर्ण है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

          मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

          यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादी ने विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में कुल 462 कट्टा आलू भण्‍डारित किया था जिसमें 275 बोरी/कट्टा आलू की बिक्री की गई है। विपक्षी के अनुसार इस आलू की बिक्री परिवादी ने स्‍वयं की है, आलू विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में था और कोल्‍ड स्‍टोरेज से डिलीवरी प्राप्‍त किये बिना परिवादी द्वारा आलू की बिक्री किया जाना सम्‍भव नहीं दिखता है। जिला फोरम ने उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत जो यह माना है कि विपक्षी, परिवादी द्वारा आलू की बिक्री प्रमाणित नहीं कर सका है वह उचित है। इसके साथ ही उल्‍लेखनीय है कि परिवादी द्वारा भण्‍डारित शेष आलू के निस्‍तारण के संदर्भ में विपक्षी ने उत्‍तर प्रदेश कोल्‍ड स्‍टोरेज विनियम अधिनियम 1976 की धारा-17 का पालन नहीं किया है और आलू के निस्‍तारण के पूर्व जिला उद्यान अधिकारी को सूचना दिया जाना प्रमाणित नहीं किया है। सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों व उपरोक्‍त विवेचना को दृष्टिगत रखते हुए जिला फोरम का निर्णय आधारयुक्‍त एवं उचित है। विपक्षी कथित ऋण के सम्‍बन्‍ध में विधि के अनुसार सक्षम न्‍यायालय में कार्यवाही करने हेतु स्‍वतंत्र है। परिवादी का जो 275 बोरी आलू विपक्षी द्वारा बेचा गया है उसके प्रतिफल की धनराशि में शीतगृह के भाड़े की धनराशि 27,720/-रू0 समायोजित कर अवशेष धनराशि परिवादी को दिया जाना उचित है।

          सम्‍पूर्ण तथ्‍यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम ने जो 82,500/-रू0 आलू का मूल्‍य माना है वह उचित है, परन्‍तु इस धनराशि में कोल्‍ड स्‍टोरेज का भाड़ा 27,720/-रू0 का घटाया जाना और अवशेष धनराशि 54,780/-रू0 परिवादी को दिया जाना उचित है। जिला फोरम ने जो 30,000/-रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति परिवादी को दिलाया है वह उचित नहीं दिखता है, क्‍योंकि परिवादी को आलू के मूल्‍य पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज दिया गया है।

          जिला फोरम ने जो 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिया है वह उचित है, उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

          जिला फोरम ने जो 10,000/-रू0 वाद व्‍यय परिवादी को दिलाया है वह भी उचित है, उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

          परिवाद पत्र में स्‍वयं परिवादी ने 82,500/-रू0 आलू का मूल्‍य मांगा है। सम्‍पूर्ण तथ्‍यों व साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत परिवाद पत्र में याचित सम्‍पूर्ण अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु उचित आधार नहीं दिखता है।

          उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत अपील सं0- 1197/2014 विनय कुमार बंसल, डायरेक्‍टर श्री गोविन्‍द शीतगृह प्रा0लि0 बनाम पुरूषोत्‍तम आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा आदेशित मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति की धनराशि 30,000/-रू0 अपास्‍त की जाती है तथा जिला फोरम का आदेश संशोधित करते हुए विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 54,780/-रू0 परिवादी को 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ अदा करे। साथ ही उसे जिला फोरम द्वारा आदेशित वाद व्‍यय की धनराशि 10,000/-रू0 भी अदा करे।

          उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत अपील सं0- 555/2019 पुरूषोत्‍तम बनाम विनय कुमार बंसल, डायरेक्‍टर श्री गोविन्‍द शीतगृह प्रा0लि0 निरस्‍त की जाती है।

          दोनों अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          उपरोक्‍त अपील सं0- 1197/2014 में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।            

          इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0- 1197/2014 में रखी जाए एवं इसकी प्रमाणित प्रति अपील सं0- 555/2019 में रखी जाए। 

 

              (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)         

                              अध्‍यक्ष                                     

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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