(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-41/2013
पंजाब नेशनल बैंक, ब्रांच खमोली, जिला उन्नाव द्वारा मैनेजर
बनाम
श्रीमती विमला देवी पत्नी स्व0 प्रेम चन्द्र
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस.एम. बाजपेयी के सहायक
श्री मनोज कुमार।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 10.04.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-121/2011, विमला देवी बनाम पंजाब नेशनल बैंक में विद्वान जिला आयोग, उन्नाव द्वारा पारित निर्णय दिनांक 5.12.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.एम. बाजपेयी के सहायक अधिवक्ता श्री मनोज कुमार को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी द्वारा विपक्षी बैंक में स्थित खाते में दिनांक 31.3.2010 को अंकन 61,038/-रू0 का एक चेक जमा किया गया था, जिसका भुगतान एसबीआई शाखा उन्नाव द्वारा होना था। यह चेक ट्रेजरी कार्यालय, उन्नाव द्वारा
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दिनांक 12.4.2010 को जारी किया गया था। यह चेक केवल एक माह तक वैध एवं प्रभावी रहता है, इस एक माह की अवधि समाप्त होने के एक माह बाद दिनांक 5.5.2010 को विपक्षी बैंक ने चेक एसबीआई शाखा उन्नाव को प्रेषित किया, इसलिए भुगतान नहीं हो पाया। विपक्षी बैंक द्वारा परिवादिनी का खाता होना, चेक जमा करना, क्लीयरेंस के लिए चेक भेजने के तथ्य को स्वीकार किया गया है, परन्तु आगे कथन किया गया है कि परिवादिनी की लापरवाही के कारण चेक बाउंस हुआ है, वह दिनांक 4.5.2010 को बैंक में उपस्थित आयी और चेक वापस लेने का आग्रह किया तब विड्राल फार्म भरने के लिए कहा गया, परन्तु इस फार्म पर दिनांक 13.4.2010 की तिथि अंकित कर दी। बैंक कर्मचरी ने दूसरा विड्राल फार्म भरने के लिए कहा, जिसका कुछ भाग फाड़कर अपने पास रख लिया और शेष फार्म के साथ चेक नत्थी कर कर्मचारी की अनुपस्थिति में छोड़कर चली गयी। इस विड्राल फार्म पर कर्मचारी के हस्ताक्षर तथा सील नहीं लगी है। कर्मचारी द्वारा विड्राल फार्म के साथ चेक लगा हुआ देखा तब तुरंत एसबीआई को भेजा गया, परन्तु कालबाधित होने के कारण चेक बाउसं हो गया।
3. पत्रावली के अवलोकन से जाहिर होता है कि यथार्थ में परिवादिनी द्वारा जिस राशि का चेक जमा किया गया, उस राशि के चेक का कभी क्लीयरिंग नहीं हुआ यानी अंकन 61,038/-रू0 की राशि अभी भी ट्रेजरी कार्यालय उन्नाव के पास है। चूंकि यह राशि ट्रेजरी उन्नाव के पास मौजूद है, इसलिए इस राशि को परिवादिनी के बैंक में जमा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। विद्वान जिला आयोग
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द्वारा यह निर्देश दिया जाना चाहिए था कि बैंक द्वारा इस आशय का प्रमाण पत्र जारी किया जाय कि चेक संख्या 064013 दिनांकित 31.3.2010 में वर्णित राशि अंकन 61,038/-रू0 का भुगतान नहीं हुआ है। यह प्रमाण पत्र परिवादिनी द्वारा ट्रेजरी उन्नाव में प्रस्तुत किया जाय तथा दूसरा चेक जारी करने का अनुरोध किया जाय, इसके पश्चात दूसरा चेक प्राप्त होने पर पुन: बैंक में जमा कर इस चेक की राशि आहरित की जाय, परन्तु चेक में वर्णित राशि को बैंक में जमा करने का तात्पर्य यह है कि यह राशि अभी भी ट्रेजरी के पास मौजूद है, इस स्थिति के बावजूद इस राशि को बैंक में जमा करने का आदेश युक्तियुक्त प्रतीत नहीं होता। यद्यपि बैंक की लापरवाही के लिए विपक्षी बैंक के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का जो आदेश पारित किया गया है, वह विधिसम्मत नहीं है, यह राशि कदाचित अंकन 35,000/-रू0 नहीं हो सकती। बैंक भी जनता के हितार्थ कार्य करता है। बैंक को इस स्तर की व्यापारिक संस्था नहीं माना जा सकता कि उस पर अनियंत्रित क्षतिपूर्ति अधिरोपित की जाय। अत: इस मद में अंकन 5,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश दिया जाना विधिसम्मत है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.12.2012 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि बैंक द्वारा क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 5,000/-रू0 (पांच हजार रूपये) तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 3,000/-रू0 (तीन हजार रूपये) परिवादिनी को देने होंगे तथा
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इस आशय का प्रमाण पत्र जारी किया जाए कि चेक संख्या-064013 दिनांकित 31.3.2010 में वर्णित राशि अंकन 61,038/-रू0 का भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है, इस प्रमाण पत्र को प्राप्त करने के पश्चात परिवादिनी द्वारा यह प्रमाण पत्र ट्रेजरी उन्नाव के समक्ष इस अनुरोध के साथ प्रस्तुत किया जाएगा कि पूर्व में जारी उपरोक्त चेक को रद्द करते हुए दूसरा चेक इसी राशि का परिवादिनी के पक्ष में जारी किया जाए। यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि इस राशि पर बैंक द्वारा चेक जमा करने की तिथि 31.4.2010 से बैंक द्वारा साधारण ब्याज देय होगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3