Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/2840

U P Housing Board - Complainant(s)

Versus

Vimal Kumar Rungta - Opp.Party(s)

Anurag Shrivastva

04 Feb 2009

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/2840
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. U P Housing Board
Deoria
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

                      राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ।

                                                          (सुरक्षित)

                          अपील सं0-2840/2003  

(जिला मंच देवरिया द्वारा परिवाद सं0-४४७/२०००में पारित आदेश दिनांक ११/१०/२००२ के विरूद्ध)

  1. यूपी हाउसिंग एण्‍ड डेवलपमेंट बोर्ड १०४ एमजी मार्ग लखनऊ।
  2. पंजाब नेशनल बैंक देवरिया।        .............अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                        बनाम

विमल कुमार रूंगटा पुत्र राम गोपाल रूंगटा निवासी बजाजी रोड देवरिया पोस्‍ट एण्‍ड जिला देवरिया।                       ............प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1 मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2 मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍या।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री  मनोज मोहन अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री बी0के0 उपाध्‍याय अधिवक्‍ता।

दिनांक: 11/12/2014

                        मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित।

                             निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थीगण जिला मंच देवरिया द्वारा परिवाद सं0-४४७/२००० विमल कुमार रूंगटा बनाम यूपी हाउसिंग एण्‍ड डेवपलमेंट बोर्ड में पारित आदेश दिनांक ११/१०/२००२ के विरूद्ध ने प्रस्‍तुत की है जिसमें विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है। 

     ‘’ परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 को निर्देश दिया जाता है कि परिवादी को २०००/-रू0 दिनांक ०१/०४/१९८० से १८ प्रतिशत प्रति वर्ष ब्‍याज की दर से ३०००/-रू0 दिनांक ०१/१२/१९८५ से १८ प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज ५०२०/-रू0 दिनांक ०१/१०/१९९६ से १८ प्रतिशत प्रतिवर्ष  की दर से ब्‍याज और २०००/-रू0 दिनांक ०१/११/१९९६ से १८ प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज सहित वापस करे । उपरोक्‍त ब्‍याज भुगतान करने की तारीख तक देय होगा। विपक्षी सं0-1 को यह भी निर्देश दिया जाता है कि क्षतिपूर्ति के लिए ९०००/-रू0 परिवादी को अदा करे। उपरोक्‍त अदायगी एक माह के अन्‍दर की जाए इस अवधि के पश्‍चात परिवादी को वसूली कार्यवाही करने का अधिकार होगा।’’

     संक्षेप में कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी सं0-1 के प्रचार एवं प्रसार के आधार पर गोरखपुर में प्‍लाट खरीदने के लिए आवेदन फार्म भरकर विपक्षी सं0-2 के बैंक में दिनांक १२/०३/१९८० को २०००/-रू0 जमा कराये थे। पांच माह तक प्‍लाट का कोई आवंटन नहीं किया गया और पुन: पंजीयन शुल्‍क ५०००/-रू0 मांगा गया था जिसे परिवादी ने दिनांक २६/११/८५ को विपक्षी सं0-2 के बैंक में जमा कर दिया

 

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 था । इसके बाद भी प्‍लाट आवंटित नहीं किया गया । तीसरी बार पंजीयन शुल्‍क ५०२०-रू0 मांगा गया उसे भी जमा कर दिया गया। इसके बाद भी प्‍लाट का आवंटन नहीं किया गया था और पुन: पंजीयन शुल्‍क २०००/-रू0 मांगा गया जिसे परिवादी ने दिनांक २३/१०/९६ को विपक्षी सं0-2 के बैंक में जमा कर दिया। इस प्रकार परिवादी द्वारा कुल १२०२०/-रू0 जमा किया जा चुका है और प्‍लाट अभी तक आवंटित नहीं किया गया है। इसलिए जमा की गयी सारी रकम पर परिवादी १८ प्रतिशत की दर से ब्‍याज पाने का अधिकारी है। इसके अलावा अधिवक्‍ता  फीस १०००/-रू0 शारीरिक एवं मानसिक उत्‍पीड़न के बदले १००००/-रू0 और प्‍लाट के मूल्‍य का अन्‍तर ५००००/-रू0 विपक्षी सं0-1 से पाने का अधिकारी है। क्षतिपूर्ति के रूप में विपक्षी सं0-2 से भी १०००/-रू0 मांगने की प्रार्थना की गयी है। 

     विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया और कहा गया कि माननीय उच्‍च न्‍यायालय में वाद लंबित होने के कारण परिवादी को योजना के अन्‍तर्गत प्‍लाट नहीं दिया जा सका।  परिवादी को नियमों की स्‍वयं जानकारी है  यदि वह अपना रूपया वापस लेना चाहता है तो ६ प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से  ब्‍याज सहित वापस किया जा सकता है। परिवादी द्वारा अनुतोष बढ़ा चढ़ाकर मांगा गया है जो स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।  अत: परिवाद खारिज होने योग्‍य है।  विपक्षी सं0-2 ने कहा है कि उसके विरूद्ध कोई कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है परिवाद में पक्षकार उसे परेशान करने की नियत से बनाया गया है। विपक्षी सं0-2 का कार्य बैंक की कार्य प्रणाली से संबंधित है। परिवादी द्वारा जो भी रकम जमा की गयी थी वह नियमानुसार जमा की गयी है। परिवादी का वाद २०००/-रू0 विशेष हर्जा के साथ खारिज होने योग्‍य है।

     अपीलार्थी की ओर से श्री मनोज मोहन तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री बी0के0 उपाध्‍याय के तर्कों को सुना गया। पत्रावली का परिशीलन किया गया। 

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उ0प्र0 आवास एव विकास परिषद भूखण्‍डों तथा भवनों के पंजीकरण एवं प्रदेशन संबंधी विनियम १९७९ के नियम १३ के अन्‍तर्गत केवल पंजीकरण हेतु जमा की गयी धनराशि पर ६ प्रतिशत ब्‍याज दिलाए जाने का प्राविधान है, जबकि विद्वान जिला मंच ने अत्‍यधिक ब्‍याज दिलाए जाने का आदेश दिया है, जो निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।    

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि विद्वान जिला मचं ने विधि अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें कोई हस्‍तक्षेप करने की आवश्‍यकता नहीं है।

     प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखीय साक्ष्‍यों का परिशीलन किया गया जिससे विदित होता है कि  विद्वान जिला मंच द्वारा अत्‍यधिक ब्‍याज जमा धनराशि पर लगायी गयी है जो न्‍यायोचित नहीं है।

 

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     उ0प्र0 आवास एव विकास परिषद भूखण्‍डों तथा भवनों के पंजीकरण एवं प्रदेशन संबंधी विनियम १९७९ के नियम १३ के अन्‍तर्गत केवल पंजीकरण हेतु जमा की गयी धनराशि पर ६ प्रतिशत ब्‍याज दिलाए जाने का प्राविधान है। अत: ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी द्वारा मात्र ६ प्रतिशत ब्‍याज परिवादी की जमा धनराशि पर भुगतान की तिथि तक दिलाया जाना न्‍याय संगत है। तदनुसार अपील अंशत: स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।    

                             आदेश

     अपील अंशत: स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच के आदेश को संशोधित करते हुए यह आदेशित किया जाता है कि अपीलकर्ता, परिवादी/प्रत्‍यर्थी को  २०००/-रू0 दिनांक ०१/०४/१९८०, ३०००/-रू0 दिनांक ०१/१२/१९८५ तथा ५०२०/-रू0 दिनांक ०१/१०/१९९६ एवं २०००/-रू0 पर ०१/११/१९९६ से भुगतान की तिथि तक ६ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज सहित अदा करे। विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किया गया यह आदेश कि अपीलार्थी क्षतिपूर्ति के रूप में ९०००/-रू0 परिवादी को अदा करे यह निरस्‍त किया जाता है।

     उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।                                                                                                                                                                                                                 

     उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(अशोक कुमार चौधरी)                               (बाल कुमारी)

   पीठा0सदस्‍य                                      सदस्‍या

सत्‍येन्‍द्र

कोर्ट0 ३                

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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