Uttar Pradesh

StateCommission

A/1632/2017

MahIndra and Mahindra Financial Services Ltd - Complainant(s)

Versus

Vikrama Ssingh - Opp.Party(s)

A.K. Srivastava

20 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1632/2017
( Date of Filing : 11 Sep 2017 )
(Arisen out of Order Dated 25/06/2010 in Case No. C/84/2008 of District Rae Bareli)
 
1. MahIndra and Mahindra Financial Services Ltd
Faizabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Vikrama Ssingh
Rae Bareli
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Dec 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 1632/2017

Mahindra & Mahindra Financial Service Ltd., having its Branch Office at Anexi Hotel Krishna Palace Civil Lines, Station Road, Faizabad. Through there authorized Signatory.

                                                                                                ………Appellant

                                                       Versus

Vikrama singh S/o Shri Ayodhya singh, R/o Pahar Ganj Post- Halore Tehsil Mahrajganj, District- Raebareli.

                                                                                                ……….Respondent

                                 

समक्ष:-

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से    : श्री आलोक कुमार श्रीवास्‍तव,

                     विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से     : श्री सुयश प्रधान,

                      विद्वान अधिवक्‍ता।

                       

दिनांक:- 20.12.2021

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 84/2008 विक्रम सिंह बनाम महेन्‍द्रा एण्‍ड महेन्‍द्रा फाइनेंसियल सर्विस लि0 व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, रायबरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि0 25.06.2010 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष से प्रस्‍तुत गई है।

2.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उसके द्वारा जमा राशि 2,42,632/-रू0 परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 05 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज सहित अदा करें। मानसिक प्रताड़ना के मद में 5,000/-रू0 और वाद व्‍यय के मद में 1,000/-रू0 भी अदा करने का आदेश दिया गया है।

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार अंकन 2,00,000/-रू0 05 प्रतिशत ब्‍याज पर लेकर जीप सं0- यू0पी033 ए 9262 प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा क्रय की गई, परन्‍तु समय पर एक किश्‍त नहीं दी जा सकी। 10 दिन का समय मांगा गया जो प्रदान कर दिया गया, परन्‍तु दि0 05.02.2004 को वाहन के कागजात जब्‍त कर लिए गए तथा वाहन बिना किसी सूचना के खींच लिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दि0 28.02.2004 को 10,347/-रू0, दि0 08.04.2004 को 9,286/-रू0, दि0 20.04.2004 को 30,000/-रू0, दि0 11.05.2004 को 9,447/-रू0 तथा दि0 18.05.2004 को 10,000/-रू0 अदा किए, फिर भी वाहन वापिस नहीं किया गया और आर0सी0 जारी कर दी गई तथा 5,000/-रू0 अतिरिक्‍त मांग की गई। लीगल नोटिस का भी कोई जवाब नहीं दिया गया।

4.        अपीलार्थी/विपक्षी ने नोटिस के बावजूद भी लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात यह निष्‍कर्ष दिया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा जमा की गई राशि अंकन 2,42,632/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी से प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है, परन्‍तु मार्जिन मनी 1,26,900/-रू0 के सम्‍बन्‍ध में आदेश दिया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने वाहन का 02 साल तक उपयोग किया है, इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी इस राशि को प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत नहीं है।

5.        प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश के विरुद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर निर्णय व आदेश पारित किया गया है तथा समयावधि से बाधित परिवाद को विचारण हेतु स्‍वीकार किया है। जनपद रायबरेली में कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ तथा वाहन व्‍यापारिक उद्देश्‍य के लिए क्रय किया गया था, इ‍सलिए जिला उपभोक्‍ता आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं था। अपीलार्थी/विपक्षी के स्‍तर से सेवा में कोइ कमी नहीं की गई है। परिवाद दाखिल करने से पूर्व दि0 01.11.2004 को वाहन विक्रय कर दिया गया था। विक्रय से अंकन 1,70,000/-रू0 प्राप्‍त हुआ था जो ऋण में समायोजित कर दिया गया था। अंकन 17,333/-रू0 अभी भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी पर बकाया है।

6.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार श्रीवास्‍तव और प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुयश प्रधान को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया गया।

7.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि हायर परचेज एग्रीमेंट, फैजाबाद में हुआ है, इसलिए फैजाबाद जिला उपभोक्‍ता आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है।

8.        प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि जनपद रायबरेली में भी एक शाखा है इसी शाखा में किश्‍त की राशि जमा की गई है, इसलिए जनपद रायबरेली स्थित मंच को भी सुनवाई का अधिकार प्राप्‍त है। दस्‍तावेज सं0- 24 एनेक्‍जर सं0- 5 के अवलोकन से जाहिर होता है कि पक्षकारों के मध्‍य करार का निष्‍पादन फैजाबाद में हुआ है, रायबरेली शाखा से किसी प्रकार का सम्‍बन्‍ध होने का कोई सुबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है, इसलिए फैजाबाद स्थि‍त डी0सी0एफ0 को ही सुनवाई का क्षेत्राधिकार माना जा सकता है, न कि रायबरेली को।

9.        विक्रय करार में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि प्रश्‍नगत वाहन कामर्शियल वाहन है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी पेशे से अध्‍यापक है, इसलिए उसे अपनी आजीविका के लिए वाहन क्रय करने की आवश्‍यकता नहीं थी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि एनेक्‍जर सं0- 07 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि बीमित वाहन कामर्शियल वाहन है, इसलिए कामर्शियल वाहन के सम्‍बन्‍ध में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। अत: उपरोक्‍त दोनों कारणों के आधार पर विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, रायबरेली को प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का अधिकार प्राप्‍त नहीं था। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।                      

                            आदेश

10.       अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।            

          उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार अपीलार्थी को वापस की जाए।   

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                     

    (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

       सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0

कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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