Chhattisgarh

Janjgir-Champa

CC/15/47

NIRMAL AGRAWAL - Complainant(s)

Versus

VIKASH KUMAR AGRAWAL - Opp.Party(s)

SHRI VISHAL TIWARI

07 Nov 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Janjgir-Champa
Judgement
 
Complaint Case No. CC/15/47
 
1. NIRMAL AGRAWAL
MAIN ROAD NAILA
JANJGIR CHAMPA
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. VIKASH KUMAR AGRAWAL
MAIN ROAD NETAJI CHOWK JANJGIR
JANJGIR
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY PRESIDENT
 HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA MEMBER
 HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI VISHAL TIWARI
 
For the Opp. Party:
SHRI AJAY KESHARVANI
 
ORDER

                                                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
 

                                                                                                  प्रकरण क्रमांक:- CC/47/2015
                                                                                                     प्रस्तुति दिनांक:- 10/07/2015


निर्मल अग्रवाल,
आत्मज विजय कुमार भोपालपुरीया,
उम्र 34 वर्श, जाति अग्रवाल, 
निवासी मेन रोड नैला,
तहसील व जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.    ..................आवेदक/परिवादी
    
                       ( विरूद्ध )    
                 
विकास कुमार अग्रवाल
पिता नारायण प्रसाद सिंघानिया उम्र 29 वर्श,
जाति अग्रवाल विकास फर्नीचर एंड हार्डवेयर 
मेन रोड नेताजी चैक जांजगीर,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.            .........अनावेदक/विरोधी पक्षकार
 
                                                                                    ///आदेश///
                                                       ( आज दिनांक  07/11/2015 को पारित)

    1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक/विरूद्ध पक्षकार के विरूद्ध 16,100/-रू. ब्याज सहित एवं मानसिक एवं षारीरिक क्षति का 10,000/-रू. एवं वादव्यय दिलाए जाने हेतु दिनांक 10.07.2015 को प्रस्तुत किया है।   
    2. पक्षकारों के मध्य अविवादित तथ्य है कि-   
1. परिवादी ने अनावेदक से सागौन की लकड़ी का एक दरवाजा बनाने का सौदा किया था। 
2. अनावेदक ने सागौन की लकड़ी का दरवाजा परिवादी के घर में लगा दिया है। 
3. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार   है कि परिवादी ने नैला स्थित अपने निवास में सागौन की लकड़ी का दरवाजा अनावेदक की दुकान से लगाने का सौदा किया। उक्त दरवाजा 16,000/-रू. में लगाने का सौदा हुआ। अनावेदक ने परिवादी के घर में दरवाजा लगाया, परंतु दरवाजें के दोनों पल्लों को ठीक से नहीं लगाया, जिससे पल्लों के मध्य में गेप (खाली स्थान) हो गया, जिससे दरवाजे को लगाने से स्पश्ट रूप से दिखाई देता है तथा दरवाजे की मजबूती में कमी आ गई है तथा सांॅप बिच्छृ एवं अन्य जहरीले छोटे जीव घर में घूसने लगे हैं। मुख्य मार्ग में सड़क के किनारे घर है, कोई भी व्यक्ति सड़क के किनारे खड़ा होकर घर के अंदर झांक सकता है। किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है। परिवादी ने कई बार उक्त संबंध में अनावेदक को बताया, किंतु उसने ध्यान नहीं दिया। अनावेदक ने उसे पढ़े-लिखे बेवकूुफ हो, गेप ठीक नहीं होगा नया दरवाजा लगाना पड़ेगा कहा था परिवादी द्वारा कई बार बोलने पर एक बढ़ई को भेजा उसने दरवाजा को देखने के बाद बोला कि यह दरवाजा ठीक नहीं होगा। पल्लों को निकालकर फिर से लगाना पड़ेगा, जिससे दरवाजे की मजबूती कम हो जायेगी, सुंदरता भी कम हो जायेगी। आपको हमारे सेठ की दुकान से नया दरवाजा लेना पड़ेगा कहा, जिससे यह परिवाद प्रस्तुत कर 16,000/-रू. ब्याज सहित, मानसिक एवं षारीरिक क्षति का 10,000/-रू., वादव्यय एवं अन्य अनुतोश दिलाए जाने का निवेदन किया है। 
4. अनावेदक ने जवाब प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ षेश सभी तथ्यों से इंकार करते हुए कथन किया है कि परिवादी ने सागौन की दरवाजा अनावेदक से लेकर अपने घर में लगवाया था, जिसका पैसा उसने दरवाजा लगाने के करीब दो माह बाद तगादा करने पर अदा किया था उस समय परिवादी के द्वारा दरवाजा का पैसा न देने पर दरवाजा वापस करने को कहा था उस पर वह तैयार नहीं हुआ। उसमें धूप व पानी पड़ता है, जिससे छोटा बड़ा होना स्वाभाविक है। परिवादी द्वारा पल्ला में कुछ गेप आने बताने पर अनावेदक ने 7-8 बार अपने बढ़ई को उसे ठीक करने के लिए भेजा, परंतु परिवादी उन पल्लों को ठीक करने नहीं दिया तथा बढ़ई को वापस भेज दिया। अनावेदक पहले भी उन पल्लों को ठीक करने के लिए तैयार था तथा अभी भी है। परिवादी द्वारा परेषान करने के लिए पैसा का तगादा करने पर यह परिवाद प्रस्तुत किया है। अतः 10,000/-रू. परिव्यय पर षिकायत निरस्त करने की प्रार्थना किया है।
5. परिवाद पर उभय पक्ष के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
6. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
क्या अनावेदक/विरोधी पक्षकार ने परिवादी/आवेदक के विरूद्ध सेवा में कमी की है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न का सकारण निष्कर्ष:-
7.  परिवादी ने षिकायत पत्र के समर्थन में परिवादी ने अपना षपथ पत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेज अनावेदक के हाथ से लिखा सागौन का दरवाजा फीट करके देने का बिल दस्तावेज क्रमांक 1 तथा लगे दरवाजा का फोटोग्राफ्स 4 नग दस्तावेज क्रमांक 2 (1) से 2 (4) प्रस्तुत किया है। 
    8. अनावेदक ने जवाब के समर्थन में अपना षपथ पत्र तथा रामभरोष सूर्यवंषी, प्रभुवन सूर्यवंषी, राजेन्द्र सूर्यवंषी का षपथ पत्र प्रस्तुत किया है।   
9. परिवादी ने षपथ पत्र से समर्थित परिवाद में बताया है कि अनावेदक द्वारा उसके घर में लगाए गए सागौन के दरवाजे में गेप (खाली स्थान) हो गया है। अनावेदक ने एक बढ़ई को भेजा था, जिसने दरवाजा को देखने के बाद कहा कि यह दरवाजा ठीक नहीं होगा। पल्लों को निकालकर फिर से लगाना पड़ेगा, जिससे दरवाजे की मजबूती कम हो जायेगी, सुंदरता भी कम हो जायेगी आपको हमारे दुकान से नया दरवाजा लेना पड़ेगा। परिवादी ने जिस बढ़ई द्वारा उसे उक्त कथन कहा था उक्त बढ़ई का षपथ पत्र समर्थन मंे प्रस्तुत नहीं कर पाया है, जो अनावेदक का बढ़ई है, जिसने षपथ पत्र देने से इंकार किया का तर्क किया गया है, किंतु परिवादी ने न तो उस बढ़ई का नाम विवरण में प्रस्तुत किया है और न ही षपथ पत्र में बढ़ई से संपर्क करने पर उसने षपथ पत्र देने से इंकार किया गया या कोई तथ्य प्रगट किया है। 
10. अनावेदक ने परिवाद के समर्थन में अपना षपथ पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी के द्वारा पल्लों में गेप आना बताने के बाद में करीब 7-8 बार अपने बढ़ई को भेजा, परंतु परिवादी उन पल्लों को ठीक करने नहीं दिया तथा बढ़ई को वापस भेज दिया बतलाया है, जिसके समर्थन में रामभरोष सूर्यवंषी, प्रभुवन सूर्यवंषी, राजेन्द्र सूर्यवंषी के षपथ पत्रीय साक्ष्य दिया है।  इस प्रकार अनावेदक की ओर से प्र्रस्तुत साक्ष्य से अनावेदक ने अपने बढ़ई को दरवाजा को लगाने के लिए भेजा था, किंतु परिवादी ने सुधारने नहीं दिया का तथ्य बतलाया है। अनावेदक के साक्षी ने दरवाजा का पल्ला सही ढंग से लगाया जाना बताये हैं।  इस प्रकार  परिवादी के उक्त कथन का समर्थन नहीं हुआ है, बल्कि अनावेदक के कथन का समर्थन हुआ है। 
    11. अनावेदक द्वारा दिए जवाब एवं प्रस्तुत साक्ष्य से परिवादी के घर में लगाए सागौन के दरवाजे को सुधारने के लिए उसने बढ़ई को भेजा था, किंतु परिवादी द्वारा सुधारने नहीं दिया गया जिससे उसमें सुधार नहीं हो पाया का खण्डन नहीं हो सका है। अनावेदक ने सुधार के लिए पहले भी तैयार था और अब भी तैयार है जवाब में तथा षपथ पत्रीय साक्ष्य कथन में बताया है । उपरोक्त से अनावेदक की ओर से परिवादी के घर में लगे सागौन के दरवाजे को सुधारने के लिए अनावेदक ने मना किया है, इंकार किया है का तथ्य स्थापित, प्रमाणित नहीं है। 
12. इस प्रकार अनावेदक द्वारा परिवादी के विरूद्ध सेवा में कमी की गई है का तथ्य भी प्रमाणित नहीं हुआ है, तद्नुसार विचारणी प्रष्न का निश्कर्श ’’नहीं’’ में हम देते हैं । 
13. अनावेदक ने परिवादी के घर में लगाए गए सागौन के दरवाजे को ठीक करने के लिए तत्पर होना बताया है, जवाब में दिए आश्वासन के फलस्वरूप परिवादी अपने घर में लगे सागौन के दरवाजों को अनावेदक से निःषुल्क ठीक करा सकता है।       
14. उपरोक्त अनुसार अनावेदक/विरोधी पक्षकार के विरूद्ध परिवादी/आवेदक द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद स्वीकार करने योग्य होना हम नहीं पाते हैं, निरस्त किए जाने योग्य पोते हुए निरस्त करते हैं। 


 ( श्रीमती शशि राठौर)      (मणिशंकर गौरहा)        (बी.पी. पाण्डेय)     
       सदस्य                                 सदस्य                  अध्यक्ष   

 

 


 

 

 


                         

 

 

 
 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. BHISHMA PRASAD PANDEY]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. MANISHANKAR GAURAHA]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SHASHI RATHORE]
MEMBER

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