जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-166/2013
महेषचन्द्र आयु लगभग 50 वर्श पुत्र श्री फेरई निवासी बढ़ई का पूरा सहादतगंज पो0 सदर तहसील जिला फैजाबाद। .............. परिवादी
बनाम
1. विकास सिन्हा, विजीनेस डेवलपमैन्ट एसोसिएट 55 कंधारी बाजार रिकाबगंज षहर तहसील जिला फैजाबाद (अधिकृत यू0टी0आई0 एजेन्ट)।
2. यू0 टी0 आई फाइनैसियल सेन्टर द्वारा प्रबन्धक 4 सरदार पटेल मार्ग सिविल लाइन्स इलाहाबाद 211001 .......... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 02.09.2015
उद्घोषित द्वारा: श्रीमाया देवी षाक्य, सदस्या।
निर्णय
परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने यू0 टी0 आई - यूलिप पालिसी सं0 इन्वेस्टर आई0 डी0 नं0 152236158, फोलियो नं0 1522361581 दिनंाक 10-01-2002 को 15 वर्शों हेतु ली। परिवादी को उसकी किष्त रूपया 5000/- प्रतिवर्श जमा करनी थी जिसकी परिपक्वता रूपया 2,25,000/- है तथा उसके साथ परिवादी का दुर्धटना बीमा रूपया 75,000/- का रिस्क कवर था। परिवादी अपनी किष्त नियमित अदा करता रहा है। परिवादी को जब जानकारी हुई कि उक्त किष्तंे विपक्षी सं0 1 जमा करने को अधिकृत है तो उसने किष्तें उसके माध्यम से जमा करना आरम्भ किया। विपक्षी सं0 1 ने परिवादी से किष्तों की रकम प्राप्त कर उसकी रसीदें तो दी किन्तु किष्तंे उक्त यूलिप पालिसी के प्रीमियम में जमा नहीं की जिससे किष्तें अनियमित होने के कारण परिवादी की पालिसी लैप्स हो गई और उसको मिलने वाले लाभ व दुर्धटना बीमा के रिस्क से वंचित हो जाना पड़ा। परिवादी ने विपक्षी सं0 1 को एक किष्त दिनंाक 10-01-2002 को डी0 डी0 न0 086084 यूनियन बैंक रूपया बीस हजार मात्र जिसमें किष्तें परिवादी व श्री हीरालाल व श्री रामचन्द्र कनौजिया की थीं तथा दूसरी किष्त को फरवरी 2008 एवं तीसरी किष्त रूपया 5000/- दिनंाक 10-01-2010 को उक्त पालिसी में जमा हेतु दी जो जमा नहीं हुई ओैर परिवादी की पालिसी खण्डित हो गई। उपरोक्त के सम्बन्ध में षिकायतंे कई बार विपक्षी से की गई किन्तु उन्होंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। परिवादी को विपक्षीगण से लैप्स पालिसी का रूपया 1,50,000/- मय ब्याज 18 प्रतिषत, दुर्धटना बीमा की राषि रूपया 75,000/- मय ब्याज आर्थिक व मानसिक क्षति हेतु रूपया 1,00,000/- तथा खर्चा मुकदमा रुपये 5000/- दिलाया जाय।
विपक्षीगणों को नोटिस भेजे गये जो उन पर तामीला हुये किन्तु विपक्षीगणों के उपस्थित न होने पर परिवाद की सुनवाई विपक्षीगणों के विरूद्व एक पक्षीए रूप से किये जाने का आदेष दिनंाक 27-01-2015 को किया गया। विपक्षीगणों ने निर्णय के पूर्व तक अपना कोई रिकाल प्रार्थना पत्र फोरम को नहीं दिया।
पत्रावली का भली भांति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना षपथ पत्र, यू0 टी0 आई पालिसी कि छाया प्रति, प्रीमियम की रसीद दिनांक 14-01-2010 रुपये 5,000/- की छाया प्रति, प्रीमियम की रसीद दिनांक फरवरी 2008 रुपये 15,000/- की छाया प्रति, परिवादी ने साक्ष्य में षपथ पत्र दाखिल किया है, जो षामिल पत्रावली है। परिवादी ने अपना परिवाद दिनांक 18.07.2013 में दाखिल किया है और अंतिम प्रीमियम की जो रसीद परिवाद के साथ दाखिल की है वह दिनांक 14.01.2010 की है इस प्रकार परिवादी का परिवाद 1 वर्श 6 माह 08 दिन से काल बाधित है। काल बाधित होने के कारण परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.09.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष