(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1420/2008
प्रबंधक मोटर फैब सेल्स (प्रा0) लि0 द्वारा जनरल मैनेजर (वर्क्स) चिनहट फैजाबाद रोड, लखनऊ
बनाम
विकास कुमार जायसवाल पुत्र राम किशन जायसवाल
एवं
अपील संख्या-1534/2008
टाटा मोटर्स लिमिटेड मैगनम प्लाजा, एल्डिको ग्रीन, गोमती नगर, लखनऊ एवं एट जीवन तारा बिल्डिंग, 5, संसद मार्ग, नई दिल्ली
बनाम
विकास कुमार जायसवाल निवासी चकलवंशी, पोस्ट अटवा सफिपुर, जिला उन्नाव तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से : श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से : कोई नहीं।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 की ओर से : श्री राजेश चड्ढा।
दिनांक : 10.04.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-285/2006, विकास कुमार जायसवाल बनाम प्रबंधक मोटर फैब सेल्स प्रा0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान
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जिला आयोग, उन्नाव द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.6.2008 के विरूद्ध अपील संख्या-1420/008, विपक्षी संख्या-1 की ओर से प्रस्तुत की गयी है तथा अपील संख्या-1534/2008, विपक्षी संख्या-2 की ओर से प्रस्तुत की गयी है।
2. उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत की गयी हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्या-1420/2008 अग्रणी अपील होगी।
3. उपरोक्त दोनों अपीलों में विपक्षी सं0-1/अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अम्बरीश कौशल श्रीवास्तव तथा विपक्षी सं0-2/अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावलियों का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 4.1.2005 को वाहन संख्या यू.पी. 35 बी. 8490 विपक्षीगण से क्रय किया गया। विपक्षीगण द्वारा तीन वर्ष की वारण्टी सर्विसबुक के अनुसार दी गयी। दिनांक 25.10.2006 को ज्ञात हुआ कि वाहन के अगले बायें पहिंये के पास चेचिस क्रेक हो गयी है, चेचिस की बाडी की चादर गल गयी है, इसलिए परिवादी दिनांक 26.10.2006 को विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में जाकर मिला और गाड़ी को दिखाया तब विपक्षी सं0-1 ने कहा कि वह केवल विक्रेता हैं और उनके द्वारा कुछ नहीं किया जा सकता, इसके बाद दिनांक 28.10.2006 को विपक्षी सं0-2 के अधिकृत सर्विस सेन्टर पर गाड़ी लेकर गया, उनके द्वारा भी कहा
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गया कि वह केवल सर्विस करने के लिए अधिकृत हैं। विपक्षी सं0-1 के कहने पर परिवादी द्वारा कनोडिया मोटर के यहां सर्विस करायी गयी, परन्तु वाहन चलने योग्य नहीं रहा और खड़ा कर दिया गया। दिनांक 7.11.2006 को अधिवक्ता के जरिए नोटिस दी गयी, परन्तु चेचिस नहीं बदली गयी और न ही बाडी ठीक की गयी। परिवादी द्वारा ऋण लेकर यह वाहन खरीदा गया था। ऋण की किस्त अंकन 12,400/-रू0 दी जा रही है और गाड़ी खड़ी होने से अंकन 20,000/-रू0 प्रतिमाह का नुकसान हो रहा है।
5. विपक्षी सं0-1 ने अपने लिखित कथन में उल्लेख किया है कि उसके विरूद्ध कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं है। अत: उनके विरूद्ध परिवाद खारिज होने योग्य है।
6. विपक्षी सं0-2 का कथन है कि परिवादी द्वारा वाणिज्यिक उद्देश्य से वाहन खरीदा गया है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद खारिज होने योग्य है।
7. विद्वान जिला आयोग ने पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात यह निष्कर्ष दिया गया कि वाहन की चेचिस बदलने का उत्तरदायित्व विपक्षीगण पर है। तदनुसार चेचिस बदलने और क्षतिपूर्ति की राशि अदा करने का आदेश पारित किया गया है।
8. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध उपरोक्त वर्णित दोनों अपीलें वाहन निर्माता कंपनी एवं डीलर द्वारा प्रस्तुत की गयी हैं।
9. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ताओं का यह तर्क है कि चेचिस क्रेक होने एवं वाहन की बाडी के गलने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्य के विपरीत निर्णय/आदेश पारित किया है।
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10. विद्वान जिला आयोग ने निर्णय पारित करते समय सर्विस बुक पर विचार किया है, जिसमें तीन वर्ष की वारण्टी अंकित है। वारण्टी अवधि में ही परिवादी द्वारा वाहन खराब होने की शिकायत की गयी है, इसलिए वारण्टी अवधि में वाहन के खराब होने पर मरम्मत का दायित्व विपक्षीगण का एकल एवं संयुक्त है। अत: इस निर्णय को परिवर्तित करने का कोई अतिरिक्त साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। तदनुसार उपरोक्त दोनों अपीलें निरस्त होने योग्य है।
आदेश
11. उपरोक्त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्या-1420/2008 तथा अपील संख्या-1534/2008 निरस्त की जाती हैं।
प्रस्तुत दोनों अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-1420/2008 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2