राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-287/2016
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्या 05/2015 में पारित आदेश दिनांक 28.09.2015 के विरूद्ध)
Videocon Industries Ltd.
Through Managing Director/
Manager Auto Car Compound,
Adalat Road, Aurangabad
(Maharashtra) ...................अपीलार्थी/विपक्षी सं01
बनाम
1. Vikar Hussain Alias Pinku
S/o Kamaluddin, R/o-240
Sarai Shekh Pakki Sarai,
Thana Kotwali, District
Etawah
2. Shamu Electronics & Gift
Centre, Shop No.-2, District
Parishad Market, Near Kotwali,
Chauraha Etawah.
(Proforma Party)
.................प्रत्यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं03
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री ए0के0 पाण्डेय,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 02-11-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-05/2015 विकार हुसैन उर्फ पिन्कू बनाम वीडियोकॉन इण्डस्ट्रीज लि0 व दो अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद
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प्रतितोष फोरम, इटावा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 28.09.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है उन्हें आदेशित किया जाता है कि परिवादी से ए.सी. वापस लेकर 39,025/-रू0 की धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को प्रदान करें। ऐसा न करने पर इस अवधि के उपरान्त इस धनराशि पर वास्तविक भुगतान तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा।''
जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी संख्या-1 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षी सं01 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 पाण्डेय उपस्थित आए हैं। प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने घरेलू उपयोग हेतु डेढ़ टन का ए0सी0 मॉडल
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नं0 वी0बाई0एस0 53 जी0एल0आई0 सीरियल नं0 2104095101 वीडियोकॉन कम्पनी का विपक्षी संख्या-3 के यहॉं से दिनांक 02.07.2009 को 24,025/-रू0 में खरीदा है। इस ए0सी0 का निर्माता विपक्षी संख्या-1 है तथा विपक्षी संख्या-2, विपक्षी संख्या-1 का सर्विस सेन्टर है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि गारन्टी अवधि में ही एक माह के अन्दर ए0सी0 खराब हो गया और काम करना बन्द कर दिया, जिसकी शिकायत उसने विपक्षी संख्या-3 तथा सर्विस सेन्टर के टोल फ्री नम्बर पर प्रतिमाह लगभग 5-6 बार की तथा विपक्षी संख्या-3 के यहॉं विभिन्न तिथियों में लिखित शिकायत भी दी। इसके साथ ही उसने विपक्षी संख्या-1 के यहॉं रजिस्ट्री द्वारा दिनांक 11.01.2010, 12.01.2010, 22.04.2010 को शिकायत भेजी और सर्विस सेन्टर आगरा को भी दिनांक 24.04.2010 को पंजीकृत डाक से शिकायत भेजी। कई बार शिकायत भेजने पर विपक्षी संख्या-2 के यहॉं से एक टैक्नीशियन परिवादी के घर आया और ए0सी0 की मरम्मत की, परन्तु ए0सी0 1-2 दिन चलने के पश्चात् पुन: खराब हो गया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने फोन से भी शिकायत की, परन्तु कोई सन्तोषजनक कार्यवाही नहीं की गयी और ए0सी0 ठीक नहीं किया गया। अत: विवश होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम द्वारा विपक्षीगण को नोटिस जारी की गयी, परन्तु नोटिस तामील होने के बाद भी विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न लिखित कथन प्रस्तुत किया गया। अत: जिला फोरम
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ने एकपक्षीय रूप से कार्यवाही करते हुए आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी सं01 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद पत्र के कथन से ही यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत ए0सी0 प्रत्यर्थी/परिवादी ने वर्ष 2009 में खरीदा है और उसका ए0सी0 2010 में खराब हुआ है, परन्तु परिवाद वर्ष 2015 में प्रस्तुत किया गया है।
अपीलार्थी/विपक्षी सं01 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद गलत कथन के आधार पर प्रस्तुत किया गया है और अपीलार्थी/विपक्षी सं01 को अपना कथन प्रस्तुत करने का अवसर नहीं मिला है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी बराबर ए0सी0 की त्रुटि के निवारण हेतु अपीलार्थी/विपक्षी सं01 एवं उसके डीलर व सर्विस सेन्टर से शिकायत करता रहा है, परन्तु उन्होंने शिकायत का निदान नहीं किया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अन्त में दिनांक 12.03.2013 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को नोटिस भेजा फिर भी ए0सी0 का त्रुटि निवारण नहीं किया गया। अत: परिवाद समय-सीमा के अन्दर है। परिवाद हेतु वाद हेतुक नोटिस की तिथि से माना जाएगा।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश विधि अनुकूल है। अपीलार्थी/विपक्षी सं01 नोटिस तामीला के बाद भी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी
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सं01 के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से जो निर्णय और आदेश पारित किया है, वह उचित है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी सं01 की अनुपस्थिति में पारित किया गया है। जिला फोरम के निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं01 नोटिस तामीला के बाद भी उपस्थित नहीं हुआ है। सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं01 को जिला फोरम के समक्ष अपना कथन प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी सं01 के जिला फोरम के समक्ष उपस्थित न होने के कारण जो परिवाद के निस्तारण में विलम्ब हो रहा है उसकी क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी सं01 से प्रत्यर्थी/परिवादी को हर्जा दिलाया जाना न्यायहित में आवश्यक है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को 3000/-रू0 हर्जा दिए जाने की शर्त पर अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि वह अपीलार्थी/विपक्षी सं01 को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्दर लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर देकर परिवाद की अग्रिम कार्यवाही विधि के अनुसार तीन मास के अन्दर सुनिश्चित करे।
अपीलार्थी/विपक्षी सं01 को लिखित कथन प्रस्तुत करने हेतु
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उपरोक्त समय के अलावा और कोई समय प्रदान नहीं किया जाएगा।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 06.12.2017 को उपस्थित हों।
अपीलार्थी द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि व उस पर अर्जित ब्याज से 3000/-रू0 हर्जे की उपरोक्त धनराशि का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी को किया जाएगा और उसके बाद शेष धनराशि अपीलार्थी को वापस कर दी जाएगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1