राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2361/2001
(जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या-222/1997 में पारित निर्णय दिनांक 17.05.2001 के विरूद्ध)
मेरठ डेवलपमेन्ट अथारिटी, मेरठ द्वारा सेक्रेटरी। ...........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
विजेन्द्र कुमार रस्तोगी पुत्र श्री वेद प्रकाश अतर निवासी
सुभाष बाजार, जिला मेरठ। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्ता
दिनांक 25.01.2021
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 222/97 बिजेन्द्र कुमार रस्तोगी बनाम सचिव, मेरठ विकास प्राधिकरण, मेरठ में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 17.05.2001 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है, जिसके द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी/अपीलार्थी को निर्देशित किया गया है कि वह विवादित भूखंड का विकास कार्य पूर्ण करने के पश्चात 3 माह के अंदर आवंटी को कब्जा स्थापित कर दे और अंतिम किश्त जमा करने की तिथि से कब्जा की तिथि तक उसके द्वारा जमा की गई राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करे।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी को मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा एक भूखंड आवंटित किया गया, जिसके मूल्य में वृद्धि करते हुए कीमत रू. 125000/- के स्थान पर रू. 150000/- कर दिया गया, परन्तु मौके पर कोई
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विकास नहीं किया गया, जबकि परिवादी द्वारा दि. 09.12.89 से 24.01.96 को मध्य अंकन रू. 162807.75 पैसे जमा कराए गए हैं।
विपक्षी का कथन है कि परिवादी को भूखंड आवंटित किया गया था और विकास पूर्ण होते ही कब्जा परिवादी को प्रदान कर दिया जाएगा।
दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला मंच मेरठ द्वारा उपरोक्त निर्णय व आदेश पारित किया गया, जिसे इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि यह आदेश विधि विरूद्ध है। सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुना गया एवं जिला मंच के निर्णय व आदेश का अवलोकन किया गया।
स्वयं लिखित कथन में इस तथ्य को स्वीकार किया गया है कि परिवादी को समय पर कब्जा उपलब्ध नहीं कराया गया, क्योंकि शताब्दी नगर को एक विशाल योजना होने और इसलिए चरणों में विकास करने का उल्लेख किया गया है। यह तथ्य भी स्वीकार किया गया है कि परिवादी द्वारा बढ़ी हुई कीमत के आधार पर भी भूखंड राशि जमा करा दी गई है, अत: इस स्थिति में समय पर कब्जा दिए जाने का कर्तव्य मेरठ विकास प्राधिकरण का बनता था, अत: जिला मंच द्वारा कब्जा स्वीकृत किए जाने के संबंध में संपूर्ण विकास करते हुए कब्जा पारित निर्णय का आदेश विधिसम्मत है।
जिला मंच द्वारा परिवादी द्वारा जमा की गई अंतिम किश्त से कब्जे की तिथि तक अंकन 12 प्रतिशत की दर से भुगतान करने का आदेश दिया है। ब्याज की दर अत्यधिक है, चूंकि मेरठ विकास प्राधिकरण लाभ-हानि विहीन व्यवस्था के तहत नागरिकों को भूखंड या फ्लैट उपलब्ध कराता है,
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इसलिए 6 प्रतिशत की दर से ब्याज देने का आदेश दिया जाना चाहिए था न कि 12 प्रतिशत की दर से, अत: अपील ब्याज की राशि के बिन्दु पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी द्वारा जमा कराई गई अंतिम किश्त की तिथि से वास्तविक कब्जे की तिथि तक कुल राशि पर 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज की दर देय होगा।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाए।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2