Uttar Pradesh

StateCommission

A/554/2022

State Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Vijayant Parashar - Opp.Party(s)

Nitin Khanna

12 Dec 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/554/2022
( Date of Filing : 22 Jun 2022 )
(Arisen out of Order Dated 06/05/2022 in Case No. C/2018/141 of District Jhansi)
 
1. State Bank Of India
NIT Faridabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Vijayant Parashar
Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 12 Dec 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-554/2022

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्‍या 141/2018 में पारित आदेश दिनांक 06.05.2022 के विरूद्ध)

1. स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया द्वारा मैनेजर/इंचार्ज एन0आई0टी0 फरीदाबाद

2. स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया द्वारा मैनेजर/इंचार्ज सदर बाजार, झांसी यू0पी0

                       ..................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

विजयंता पाराशर पत्‍नी श्री अनिल चन्‍द पण्‍डा नि0-डी-1, 607, समरपाम, फरीदाबाद, हरियाणा, हाल नि0 ए-22, आवास विकास कालोनी शिवाजीनगर, झांसी (उ0प्र0)

............प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री नितिन खन्‍ना, 

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री काशी नाथ शुक्‍ला, 

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 12.12.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता                     आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्‍या-141/2018 विजयंता पाराशर बनाम भारतीय स्‍टेट बैंक व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 06.05.2022 के विरूद्ध योजित की गयी।

अपील की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री नितिन खन्‍ना एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री काशी नाथ शुक्‍ला को सुना गया तथा प्रश्‍नगत  निर्णय  एवं  आदेश  तथा  पत्रावली  पर

 

 

 

-2-

उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी द्वारा एक फ्लैट नं0-डी-1, 607 समरपाम फरीदाबाद हरियाणा में क्रय किया गया था, जिसके लिए विपक्षी संख्‍या-1 बैंक से ऋण लिया गया था, जिसका ऋण खाता सं0-00000032126885880 है, परन्‍तु बैंक द्वारा अवैध तरह से ओ0डी0 खाता सं0-00000032126369343 बिना सहमति के खोलकर उसमें नियमित किस्‍तें जमा की। परिवादिनी की किस्‍त 26,270/-रू0 मासिक नियमित रूप से अदा होती रही। इस प्रकार ऋण खाता को परिपक्‍व एकाउण्‍ट पाया गया।

परिवादिनी का कथन है कि परिवादिनी का बचत खाता के0जी0 मार्ग नई दिल्‍ली एवं विपक्षी संख्‍या-2 की शाखा में है। नई दिल्‍ली की शाखा से नियमित रूप से किस्‍त का रूपया अदा होता रहा, जिसका खाता सं0-00000020108470045 है। विपक्षी  संख्‍या-1 द्वारा बिना परिवादिनी की सहमति के उपरोक्‍त ओ‍0डी0 एकाउण्‍ट खोलने की गलती की गयी तथा विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा परिवादिनी को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया व दिनांक 19.02.2018 को 85,511/-रू0 सुरक्षा इंस्‍टालमेंट के नाम पर निकाल लिए गए, जिसमें विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा परिवादिनी के खाते से 2346/-रू0 निकाले गए। परिवादिनी द्वारा मैसेज प्राप्‍त होने पर तत्‍काल विपक्षीगण के अलावा एस0बी0आई0 के0जी0 मार्ग नई दिल्‍ली एवं रिजर्व बैंक आफ इण्डिया को नोटिस प्रेषित किया गया तथा दिल्‍ली एवं फरीदाबाद में जांच में पता चला कि 5 साल पिछले परिवादिनी की सुरक्षा कवर का प्रीमियम अवैध रूप से काट लिया गया है। विपक्षीगण का उक्‍त कृत्‍य धारा-64 बीमा अधिनियम 1938 एवं इरडा रेगूलेशन 2002 के प्राविधानों के विरूद्ध है। रिजर्व बैंक आफ इण्डिया के दिशा-निर्देशों एवं बैंकिंग एक्‍ट  के  प्रावि‍धानों

 

 

 

 

 

-3-

के विरूद्ध परिवादिनी के खाते से अवैध रूप से कटौती की गयी। परिवादिनी द्वारा दिनांक 07.05.2018 को नोटिस प्रेषित किया गया, जिसका बैंक द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादिनी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षीगण की ओर से संयुक्‍त रूप से जवाबदावा प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य  रूप से यह कथन किया गया कि परिवादिनी द्वारा विपक्षी से ओ0डी0 मैक्‍स गेन स्‍कीम के अन्‍तर्गत ऋण लिया गया तथा परिवादिनी की सहमति से एस0बी0आई0 सुरक्षा स्‍कीम के अन्‍तर्गत उक्‍त गृह ऋण का बीमा 05 वर्ष के लिए किया गया तथा परिवादिनी द्वारा ऋण सुरक्षा बीमा से सम्‍बन्धित दस्‍तावेजों का निष्‍पादन किया गया। परिवादिनी द्वारा उपरोक्‍त बीमा कवर की बीमा धनराशि नियमित रूप से समय पर अदा नहीं की गयी, इस कारण बैंक द्वारा बीमा धनराशि परिवादिनी के खाता सं0-32126369343 से काटी गयी। बैंक को यह कानूनन अधिकार है कि वह बकाया धनराशि को अपने खातेदार के अपने बैंक में स्थित किसी भी खाते से निकाल सकता है। परिवादिनी का यह कथन असत्‍य है कि मैक्‍स ओ0डी0 खाता सं0-32126369343 परिवादिनी की सहमति के बिना खोला गया था। बैंक द्वारा परिवादिनी के खाते से अवैध रूप से कटौती नहीं की गयी है। परिवाद मियाद से बाहर है। परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर है। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त यह पाया गया कि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा बिना प्रपोजल फार्म भरे हुए तथा परिवादिनी की सहमति के बिना उसके खाते से 85,511/-रू0 की कटौती की गयी, जो बैंक की सेवा में कमी तथा  अनुचित  व्‍यापार

 

 

 

 

-4-

पद्धति का परिचायक है।

     तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

     ''परिवादिनी का परिवाद विपक्षी सं01 के विरूद्ध इस प्रकार से स्‍वीकार किया जाता है विपक्षी सं01 निर्णय की तिथि से दो माह के अन्‍दर 85511/-रू0 वाद दायर करने के दिनांक 20.06.18 से अदायगी तक 6प्रतिशत साधारण ब्‍याज की दर से परिवादिनी को अदा करेगा।

विपक्षी सं01 परिवादिनी को मानसिक कष्‍ट के तहत 3000/-रू0(तीन हजार रूप्‍ये) तथा वाद व्‍यय के मद में              2000/-रू0 (दो हजार रूप्‍ये) भी अदा करेगा।''

     उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता

आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार समस्‍त तथ्‍यों को विस्‍तार से उल्लिखित करते हुए निर्णय पारित किया, जिसमें मेरे विचार से किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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