Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/2306

U P P C L - Complainant(s)

Versus

Vijaya Devi - Opp.Party(s)

Mohan Agarwal

19 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/2306
( Date of Filing : 12 Dec 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. U P P C L
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Vijaya Devi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Apr 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2306/2008

एक्‍जी‍क्‍यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन, चित्रकूट तथा एक अन्‍य

 

बनाम

 

श्रीमती विजया देवी पत्‍नी स्‍व0 श्री राम सलोने, निव‍ासिनी कसहई रोड, कर्वी जिला चित्रकूट

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

2. माननीय श्री विकास सकसेना, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित   : श्री मोहन अग्रवाल।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       : कोई नहीं।

दिनांक : 19.04.2024 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख विद्वान जिला आयोग, चित्रकूट द्वारा पारित निर्णय एंव आदेश दिनांक 22.10.2008 के विरूद्ध योजित की गयी है, जिसके द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद संख्‍या-60/2006 को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया है :-

'' परिवादिया का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी विभाग द्वारा 12 किलोवाट के भार के आधार पर परिवादिया को भेजे गये समस्‍त विद्युत बिल निरस्‍त किये जाते हैं।

 

-2-

विभाग द्वारा भेजी गयी डिमाण्‍ड नोटिस दिनांकित 12.5.06 निरस्‍त की जाती है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि अब तक के बकाया बिलों के सम्‍बन्‍ध में पूर्व स्‍वीकृत भार 02 किलोवाट के आधार पर संशोधिता बिल परिवादिया को आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर उपलब्‍ध करावें। संशोधित बिलों में किसी प्रकार का कोई अधिभार नहीं लिया जायेगा। परिवादिया को भी आदेशित किया जाता है कि वह संशोधित बिल के प्राप्ति के पश्‍चात एक माह के अन्‍दर उसकी अदायगी विभाग में करें। मामले के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को ध्‍यान में रखते हुए पक्षकार अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वंय वहन   करें। ''

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवाद पत्र के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी दो किलोवाट के विद्युत कनेक्‍शन की उपभोक्‍ता है और वह विद्युत बिलों का समय पर भुगतान करती है।  दिनांक 02.05.2006 को परिवादिनी को एक विद्युत बिल प्रेषित किया गया, जिसमें अंकन 3,113/-रू0 अंकित हैं तथा स्‍वीकृत भार 12 किलोवाट दर्शाया गया, जबकि परिवादिनी के विद्युत कनेक्‍शन का स्‍वीकृत भार 02 किलोवाट है। अत: दिनांक 02.05.2006 को दिया गया बिल गलत व अवैधानिक है। 12 किलोवाट का विद्युत भार बढ़ाये जाने की कोई सूचना परिवादिनी को नहीं दी गयी। परिवादिनी ने विद्युत विभाग के कार्यालय में गलत बिल के संबंध में सूचना दी और निदान करने हेतु कहा, परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

 

-3-

विपक्षीगण, विद्युत विभाग को नोटिस निर्गत की गयी, परन्‍तु पर्याप्‍त तामीला के बावजूद विपक्षीगण उपस्थित नहीं हुए और न ही कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया।

विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवादिनी की साक्ष्‍य पर विचार करते हुए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री मोहन अग्रवाल को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

उपरोक्‍त प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर विद्युत विभाग की ओर से अपील योजित की गई है। प्रस्‍तुत अपील विगत 16 वर्षों से लम्बित है, अतएव आज हमारे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों के अवलोकन के परिशीलनोपरांत यह पाया गया कि विद्युत विभाग की ओर से बिना किसी पूर्व सूचना के परिवादिनी को 12 किलोवाट का विद्युत बिल प्रेषित किया गया और इस संबंध में उसे डिमाण्‍ड नोटिस भी प्रेषित किया गया, जिसमें विद्युत चोरी का उल्‍लेख है, परन्‍तु विद्युत विभाग की ओर से विद्युत चोरी के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी गयी, जबकि विद्युत चोरी के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराना आवश्‍यक है। डिमाण्‍ड नोटिस प्रेषित करने से पूर्व  विद्युत  भार बढ़ाये जाने के संबंध में कोई सूचना नहीं दी गयी

 

-4-

और न ही डिमाण्‍ड नोटिस में दर्शाया गया है कि विद्युत चोरी किस प्रकार से की गयी है। अत: हमारे विचार से विद्युत विभाग द्वारा मनमाने तरीके से राजस्‍व निर्धारण कर दिया गया और परिवादिनी को फर्जी डिमाण्‍ड नोटिस प्रेषित कर दिया गया, जो त्रुटिपूर्ण है। अपील में कोई बल नहीं है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधिसम्‍मत है, इसमें कोई हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                          (विकास सक्‍सेना)

     अध्‍यक्ष                             सदस्‍य

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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