(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
मौखिक
(जिला मंच गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0 961/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 08/09/1998 के विरूद्ध)
अपील संख्या 2455/1998
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, द्वारा उपाध्यक्ष।
…अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
विजय सिंह, निवासी –सी-373, किदवई नगर, ईस्ट, न्यू दिल्ली।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठा0 सदस्य।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य ।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव
ब्रीफोल्डर श्री अरविन्द कुमार।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 08/01/2015
मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठा0 सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद सं0 961/95 विजय सिंह बनाम गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में जिला पीठ गाजियाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08/09/98 से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत की गई है।
उपरोक्त निर्णय/आदेश में जिला पीठ ने परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया है कि वह निर्णय के पश्चात दो माह भीतर परिवादी की जमा राशि मय ब्याज 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करे। ब्याज की गणन जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक की जायेगी। साथ ही परिवादी के मानसिक उत्पीड़न और वाद के हर्जे खर्चे के लिए 1000/ रूपये मुआवजा अदा करे। उपरोक्त अवधि में आदेश का पालन न करने पर विपक्षी को 21 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करना होगा।
संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी की वैशाली योजना में सितम्बर 1988 में आवेदन किया। जिसका कब्जा दो वर्ष में दिया जाना था। जिसके लिए परिवादी ने 3500/ रूपये पंजीकरण फीस जमा की तत्पश्चात विपक्षी ने अपने पत्र दिनांक 15/06/89 के द्वारा परिवादी को आरक्षण कम पेमेंट शिड्यूल भेजा जिसके अनुपालन में परिवादी ने विपक्षी के यहां 35000/ रूपये जमा किए परन्तु शिकायत प्रस्तुत करने तक उसे किसी भवन पर कब्जा नहीं दिया गया।
2
इस संबंध में विपक्षी ने परिवादी को सूचित किया कि वह बकाया राशि व लीजरेंट जमा करके कब्जा ले परन्तु परिवादी ही जानबूझकर कब्जा नहीं ले रहा है। परिवादी की शिकायत खंडित किये जाने योग्य है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अरविन्द कुमार के ब्रीफोल्डर श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव के तर्कों को सुना गया तथा प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला फोरम द्वारा जमा धनराशि पर 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज आरोपित किया गया है उसे 09 प्रतिशत ब्याज में तब्दील करना तथा मु0 1000/ रूपये हर्जाना समाप्त करने योग्य है और फोरम द्वारा जो दो माह की अवधि में आदेश का अनुपालन न करने पर 21 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाया है वह समाप्त किये जाने योग्य है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला पीठ के निर्णय/आदेश को संशोधित करते जमा धनराशि पर 18 प्रतिशत के स्थान पर 09 प्रतिशत किया जाता है। परिवादी को मानसिक उत्पीड़न हर्जे खर्चे के रूप में मु0 1000/ रूपये दिलाये जाने का आदेश निरस्त किया जाता है तथा जिला पीठ के आदेश के अंतिम उपरोक्त अवधि में आदेश का पालन न होने पर विपक्षी को 21 प्रतिशत की दर से ब्याज जो देने का आदेश दिया गया है उसे भी समाप्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध कराई जाय।
(राम चरन चौधरी)
पीठा0 सदस्य
(संजय कुमार)
सुभाष चन्द्र आशु0 ग्रेड 2 कोर्ट 5 सदस्य