(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1554/2015
(जिला आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-156/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08.05.2015 के विरूद्ध)
श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कंपनी लिमिटेड, निकट पब्लिक हॉस्पिटल बाईपास रायबरेली रोड, उसरू, फैजाबाद, द्वारा अथराइज्ड रिप्रिजेंटेटिव।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
विजय सेन सिंह पुत्र शिव नारायण सिंह, निवासी ग्राम व पोस्ट पिठला, परगना खंडासा, तहसील मिल्कीपुर, फैजाबाद।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार , सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सौरभ सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री गिरीश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 22.03.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-156/2013, विजय सेन सिंह बनाम प्रबंधक श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.05.2015 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अंकन 2,03,194/-रू0 तथा दिनांक 22.01.2011 से 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज अदा करने का आदेश पारित किया है।
2. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत है। परिवादी द्वारा समयावधि से बाधित परिवाद प्रस्तुत किया गया था, जो खरिज किया जाना चाहिए था। रोड टैक्स से संबंधित विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं है, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं था, केवल लखनऊ स्थित न्यायालय को ही सुनवाई का अधिकार प्राप्त था। लेखा विवरण से संबंधित विवाद सिविल प्रकृति का विवाद है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त होने योग्य है।
3. अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. परिवाद पत्र के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा अंकन 4,10,000/-रू0 का वाहन ऋण प्राप्त किया गया था। पत्नी के इलाज के कारण दो किश्त जमा नहीं हो सकी, जिस पर विपक्षी द्वारा अंकन 08 लाख रूपये की कीमत का ट्रक अपने गुण्डों द्वारा दिनांक 22.01.2011 को खिंचवा लिया गया और टैक्स भी जमा नहीं किया, इसलिए परिवादी के विरूद्ध वसूली प्रमाण पत्र जारी हो गया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
5. नोटिस की तामीला के बावजूद विपक्षी की ओर से विद्वान जिला आयोग के समक्ष कोई जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया। परिवादी की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा कुल 2,06,806/-रू0 अदा किए गए और अंकन 4,10,000/-रू0 का ऋण प्राप्त करने के पश्चात अंकन 2,03,194/-रू0 की राशि अवशेष रह जाती है, इसलिए परिवादी अंकन 2,03,194/-रू0 की राशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। यद्यपि विद्वान जिला आयोग द्वारा दिए गए निष्कर्ष के विरूद्ध परिवादी द्वारा कोई अपील प्रस्तुत नहीं की गई है, परन्तु इस निर्णय के अवलोकन से जाहिर होता है कि विद्वान जिला आयोग ने इस बिन्दु पर कोई विचार नहीं किया कि परिवादी द्वारा केवल 4,10,000/-रू0 का ऋण प्राप्त किया गया था, जबकि ट्रक की कीमत अंकन 08 लाख रूपये बतायी गयी थी। चूंकि ट्रक कंपनी द्वारा खींच लिया गया, इसलिए समस्त ट्रक के मूल्य को विचार में लेते हुए आदेश पारित करना चाहिए था न कि केवल ऋण की राशि अंकन 4,10,000/-रू0 में से केवल 2,06,806/-रू0 को घटाया जाना चाहिए था, परन्तु चूंकि इस निर्णय एवं आदेश को परिवादी द्वारा कोई चुनौती नहीं दी गई है, इसलिए इस बिन्दु पर निर्णय परिवर्तित करना उचित नहीं पाया जाता है, परन्तु फाइनेन्स कंपनी द्वारा प्रस्तुत की गई अपील में कोई बल नहीं है, क्योंकि कंपनी द्वारा विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत किए गए परिवाद का कोई खण्डन नहीं किया गया और न ही प्रस्तुत साक्ष्य का कोई खण्डन किया है। विद्वान जिला आयोग ने टैक्स के बिन्दु पर कोई निष्कर्ष नहीं दिया और न ही लेखा विवरण के संबंध में कोई निष्कर्ष दिया है, इसलिए फाइनेन्स कंपनी द्वारा अपील के संदर्भ में जो आधार लिया गया है, वह संधारणीय नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2