(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-424/2007
स्टेट बैंक आफ इण्डिया, अवागढ़ ब्रांच, जिला एटा द्वारा ब्रांच मैनेजर
बनाम
विजय पाल सिंह पुत्र श्री जगजीत सिंह तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री शरद द्विवेदी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री आर.डी. क्रांति,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 20.12.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-112/2004, विजय पाल सिंह बनाम एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, एटा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 4.10.2006 के विरूद्ध विपक्षी सं0-2, एस.बी.आई. की ओर से प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री शरद द्विवेदी एवं प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री आर.डी. क्रांति तथा प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार को सुना गया तथा प्रश्नगत
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निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया गया कि परिवादी की फसल नष्ट होने पर बीमा क्लेम की राशि अंकन 25,000/-रू0 तथा वाद व्यय हेतु अंकन 1,000/-रू0 परिवादी का अदा करे तथा यह भी आदेशित किया गया कि परिवादी से ऋण राशि पर ब्याज वसूल न करे और यदि बयाज वसूल कर लिया गया है तो उसे वापस कर दिया जाए।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने निजी कृषि भूमि 3.618 हैक्टेयर में फसल तैयार करने के लिए अंकन 25,000/-रू0 का ऋण विपक्षी सं0-2, बैंक से प्राप्त किया, जिसका बीमा विपक्षी सं0-2 द्वारा विपक्षी सं0-1, बीमा कंपनी से कराया गया। परिवादी द्वारा 30 बीघा गेहूँ तथा 10 बीघा सरसों बोई गई, किंतु सूखा पड़ने के कारण फसल नहीं हुई, इसलिए बीमा क्लेम की मांग की गई।
4. विपक्षी सं0-1, बीमा कंपनी का कथन है कि विपक्षी सं0-2, बैंक द्वारा कोई जानकारी विपक्षी सं0-1, बीमा कंपनी को उपलबध नहीं करायी गयी।
5. विपक्षी सं0-2 का कथन है कि परिवादी ने जुलाई माह में खरीफ की फसल हेतु ऋण लिया था। रबी की फसल गेहूँ और सरसों बोया गया, इसके लिए ऋण नहीं लिया गया।
6. सभी पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि विपक्षी सं0-2, बैंक द्वारा विपक्षी सं0-1, बीमा कंपनी को फसल नष्ट होने की
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सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी। तदनुसार विपक्षी सं0-2, बैंक द्वारा सेवा में कमी की गयी है, इसलिए बैंक के विरूद्ध अंकन 25,000/-रू0 की सीमा तक दावा स्वीकार करने योग्य है। क्षतिपूर्ति की मद में किसी प्रकार की राशि का आदेश पारित नहीं किया गया, परन्तु इस निष्कर्ष के पश्चात आदेश में यह वर्णित किया गया कि अंकन 25,000/-रू0 के ऋण की राशि पर ब्याज परिवादी से वसूल न किया जाए। इस प्रकार परिवादी को दो लाभ प्रदान किये गये। प्रथम लाभ बीमा राशि के संबंध में प्रदान किया गया, जो अंकन 25,000/-रू0 की सीमा तक है और दूसरा लाभ ऋण पर ब्याज वसूल न करने के लिए किया गया, जबकि परिवादी द्वारा ऋण माफी योजना के अंतर्गत किसी प्रकार के अनुतोष की मांग नहीं की गई थी। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार करने योग्य है कि जिस अनुतोष की मांग नहीं की गई है, वह अनुतोष जारी नहीं किया जा सकता था। यद्यपि उनके द्वारा यह भी बहस की गई कि परिवादी ने ऋण खरीफ की फसल के लिए प्राप्त किया था, जबकि रबी की फसल नष्ट हुई है, इसलिए बीमा राशि प्राप्त करने के लिए परिवादी अधिकृत नहीं है। यथार्थ में ऋण प्राप्त किया गया था और ऋण करार के संबंध में ऐसा कोई क्लॉज दर्शित नहीं किया गया, जिसमें यह उल्लेख हो कि ऋण किसी विशिष्ठ फसल के लिए प्रदान किया जा रहा है। मुख्य बिन्दु यह है कि ऋण प्राप्त करने के पश्चात जो फसल बोई गई, उसका उत्पादन नहीं हो पाया। जुलाई माह में ऋण प्राप्त करने के एक माह पश्चात से रबी की फसल की तैयारी प्रारम्भ हो जाती है। यद्यपि बुवाई अक्टूबर माह में होती है, परन्तु तैयारी सितम्बर यानी
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वर्षा ऋतु समाप्त होने के तुरंत बाद प्रारम्भ हो जाती है, इसलिए ऋण रबी फसल की निरंतरता में माना जा सकता है। अत: यह तर्क ग्राह्य योग्य है। तदनुसार अंकन 25,000/-रू0 बीमा राशि के संबंध में पारित किया गया आदेश विधिसम्मत है, परन्तु ऋण राशि पर ब्याज की वसूली के संबंध में पारित आदेश विधि विरूद्ध है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 4.10.2006 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि ऋण राशि पर ब्याज वसूल न करने संबंधी आदेश अपास्त किया जाता है। यद्यपि ऋण माफी योजना से बैंक को अवगत कराया जाता है तब बैंक द्वारा इस बिन्दु पर विचार किया जाएगा। शेष निर्णय/आदेश यथावत् रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3