RAJENDRA KUMAR filed a consumer case on 05 Dec 2019 against VIJAY NARAYAN ETC. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/15/2013 and the judgment uploaded on 04 Jan 2020.
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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 15 सन् 2013
प्रस्तुति दिनांक 09.01.2013
निर्णय दिनांक 05.12.2019
राजेन्द्र कुमार गुप्ता पुत्र स्वo बासदेव प्रसाद गुप्ता, साकिन मुहल्ला- खत्रीटोला, तहसील- सदर, शहर व जिला- आजमगढ़।
बनाम
भारतीय स्टेट बैंक सीटी शाखा चौक आजमगढ़ बजरिये शाखा प्रबन्धक मजफूर।
भारतीय स्टेट बैंक आजमगढ़ बजरिये मुख्य शाखा प्रबन्धक मजफूर।
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसका बैंक खाता काफी अरसे से एस.बी.आई. सिटी शाखा आजमगढ़ में है। उसके बचत बैंक खाते में दिनांक 14.08.2012 को कुल बैलेन्स 99,857/- रुपये था। परिवादी को उसके मोबाइल पर दिनांक 18.08.2012 को एस.एम.एस. आया कि उसकी धनराशि निकाली जा रही है। दो दिन बैंक का अवकाश होने के कारण दिनांक 21.08.2012 को वह बैलेन्स का पता किया तो पता लगा कि परिवादी के बचत खाते से किसी व्यक्ति द्वारा दिनांक 18.08.2012 को बैंक की सहायता से ऑनलाइन परचेज कर पांच बार 9,999/- रुपये निकाल लिया है तथा दिनांक 19.08.2012 को 500/-, 500/-, 9,999/-, 9,999/-, 9,999/-, 5000/-, 3000/-, 500/-, 192/-, 100/- रुपया खरीद फरोख्त के लिए निकाला है। दिनांक 24.08.2012 को 100/-, 100/- रुपया व 50/- रुपया तथा दिनांक 30.08.2012 को 250/- रुपये तथा दिनांक 31.08.2012 को 74/- रुपये निकाला गया। उसने बैंक से शिकायत किया लेकिन बैंक ने परिवादी की मदद करने से इन्कार कर दिया। परिवादी ने इस सन्दर्भ में बैंक के विरुद्ध धारा-420 का एफ.आई.आर. किया है। अतः विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी को 99,827/- रुपये मय 12% वार्षिक ब्याज अदा करे तथा आर्थिक व मानसिक कष्ट के लिए 50,000/- रुपये अदा करे।
P.T.O.
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परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी की ओर से प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 6/1 व कागज संख्या 6/2 एकाउन्ट की रसीद, कागज संख्या 6/4 व 6/5 आजमगढ़ के ब्रान्च मैनेजर को दिए गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/6 एफ.आई.आर. की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 01 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में विपक्षी ने यह कहा है कि परिवादी को मुकदमा करने का कोई अधिकार हासिल नहीं है। परिवादी के कथानक से ही उसकी लापरवाही स्पष्ट हो रही है। ए.टी.एम. कार्डधारक उपभोक्ता के लेन-देन बैंक प्रबन्धन उसके आदेशानुसार अथवा सूचना पर ही उक्त खाते से लेन-देन पर किसी प्रकार का नियन्त्रण रखता है। अन्यथा की दशा में ए.टी.एम. कार्डधारक उपभोक्ता अपने खाते से निर्धारित सीमा तक लेन-देन करने हेतु स्वतंत्र हैं। ए.टी.एम. कार्डधारक उपभोक्ता को ए.टी.एम. सुविधा प्रदान करते वक्त ही उसको उससे जुड़ी गोपनीयता एवं संचालन की लिखित एवं मौखिक सूचना उपलब्ध करा दी जाती है। इसके बावजूद भी यदि कोई खाताधारक कोई चूक करता है अथवा अपने गोपनीय पिन नं. का किसी अन्य को जानकारी देता है तो उक्त से सम्बन्ध हानि को वहन करने के लिए वह स्वय ही जिम्मेदार होता है। बिना गोपनीय पिन नं. की जानकारी हुए किसी के खाते से कोई धनराशि आहरित नहीं की जा सकती है। परिवादी की इस लापरवाही के लिए बैंक प्रबन्धन किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं है। अतः परिवाद खारिच किया जाए। विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 02 ता 05 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर यह कहा है कि परिवाद पत्र में किए गए कथन गलत हैं और परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है। अतः परिवाद पत्र खारिज किया जाए। विपक्षी संख्या 02 ता 05 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना तथा पत्रावली का निरीक्षण किया। इस सन्दर्भ में यदि हम न्याय निर्णय “सतलज टैक्सटाइल इण्डस्ट्रीज एक्ट लिमिटेड बनाम पंजाब नेशनल बैंक 1 (2010) सी.पी.जे. 312 एन.सी.” का अवलोकन करें तो इस न्याय निर्णय में यह अभिधारित किया गया है कि यदि फ्रॉड के सन्दर्भ में फौजदारी P.T.O.
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प्रक्रिया परिवादी ने शुरू कर दिया है तो ऐसी स्थिति में परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। उपरोक्त विवेचन से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 05.12.2019
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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