Uttar Pradesh

StateCommission

MA/188/2021

Punjab National bank - Complainant(s)

Versus

Vijay Narain - Opp.Party(s)

21 Jan 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Miscellaneous Application No. MA/188/2021
( Date of Filing : 30 Dec 2021 )
In
First Appeal No. A/2006/489
 
1. Punjab National bank
Branch at Sector-19-D Chandigarh Punjab
...........Appellant(s)
Versus
1. Vijay Narain
S/o Sri Kripa Shankar R/o Vill. Bhawanipur Post Reetapur Dist. Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Jan 2022
Final Order / Judgement

                                                           (मौखिक)

राज् उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0प्र0, लखनऊ

विविध वाद संख्या-188/2021

ओरियण्‍टल बैंक आफ कामर्स, एम्‍यूलेटेड इन पीएनबी।

आवेदक/अपीलार्थी

बनाम

श्री विजय नारायण पुत्र श्री कृपा शंकर, निवासी ग्राम भवानीपुर, पोस्‍ट रीतौर, जिला इटावा।

                                    प्रत्यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्य।

आवेदक की ओर से उपस्थित           : श्री अवनीश पाल, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित      : कोई नहीं।

दिनांक: 21.01.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.                 यह प्रकीर्ण आवेदन, अपील संख्‍या-489/2006 को खारिज करने के आदेश दिनांक 09.08.2021 को रिकाल कर पुन: मूल नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित करने हेतु प्रस्‍तुत किया गया है।

2.                 आवेदक के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अवनीश पाल उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अत: केवल आवेदक के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया।

3.                 यह सही है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अनुपस्थिति में खारिज की गई अपील को पुनर्स्‍थापित करने की स्‍पष्‍ट व्‍यवस्‍था नहीं है, परन्‍तु अदम पैरवी में खारिज परिवाद या अपील एक प्रक्रियात्‍मक आदेश है, इसलिए प्रक्रियात्‍मक आदेश को न्‍यायहित में रिकाल किया जा सकता है।

4.                 किसी भी विधिक प्रावधानों का उद्देश्‍य वादकारी को सर्वोत्‍तम हित लाभ  प्रदान  करना  है।  जिला उपभोक्‍ता आयोग या राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग के

-2-

द्वारा यदि अदम पैरवी में कोई परिवाद या अपील खारिज की जाती है तब इस आदेश को अपास्‍त कराने के लिए कोई व्‍यक्ति जनपद से राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग तथा राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग से राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष याचना करने के लिए उपस्थित हों निश्चित रूप से विधि की यह मंशा नहीं हो सकती। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम एक कल्‍याणकारी व्‍यवस्‍था है और कल्‍याणकारी व्‍यवस्‍था का उद्देश्‍य सुगम एवं सहज कार्यवाही अमल में लाना है न कि कठोर एवं वादकारियों के प्रति दण्‍डात्‍मक। इस आयोग से राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष उपस्थित होना वहां पर अधिवक्‍ता नियुक्‍त कर आर्थिक वहन सहन करना तथा अपनी निजी दिनचर्या के कार्यो को छोड़कर दिल्‍ली तक आना व जाना निश्‍िचित रूप से प्रताड़नात्‍मक/दण्‍डात्‍मक कार्यवाही होगी, इसलिए न्‍याय के उद्देश्‍यों की प्राप्ति के लिए आवश्‍यक है कि अनुपस्थिति में खारिज की गई अपील को इस आयोग द्वारा ही मूल नम्‍बर पर पुनर्स्‍थापित किया जाए। अत: विविध वाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

5.                 प्रस्‍तुत विविध वाद स्‍वीकार किया जाता है। इस आयोग द्वारा अपील संख्‍या-489/2006 को अपीलार्थी की अनुपस्थिति में खारिज करने का आदेश दिनांक 09.08.2021 वापस लिया जाता है। उपरोक्‍त अपील अपने मूल नम्‍बर पर पुन: स्‍थापित करते हुए दिनांक 15.03.2022 को पेश हो। कार्यालय द्वारा विपक्षी को अग्रिम तिथि की सूचना दी जाए।

                    आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

सदस्‍य                                        सदस्‍य

 

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2  

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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