Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/488

U P State Audhyogic Vikas Nigam - Complainant(s)

Versus

Vijay Gera - Opp.Party(s)

ajay kumar singh

10 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/488
( Date of Filing : 08 Mar 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P State Audhyogic Vikas Nigam
Kanpur Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Vijay Gera
New Dehli
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Jun 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-488/2007

उत्‍तर प्रदेश राज्‍य औद्योगिक विकास निगम लि0

बनाम

श्री विजय गेरा व अन्‍य पुत्रगण श्री यू0सी0 गेरा

समक्ष:-                                                             

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अजय कुमार सिंह, विद्धान अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं  

दिनांक :10.06.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-358/2002, श्री विजय गेरा व अन्‍य बनाम यू0पी0 इण्‍डस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 15.11.2006 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री अजय कुमार सिंह को सुना गया। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

2.         जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को यह निर्देश दिया है कि 45 दिन के अंदर परिवादी द्वारा जमा राशि अंकन 36,950/-रू0 12 प्रतिशत ब्‍याज के साथ वापस लौटाये जाएं। नियमित अवधि में अदा न करने पर ब्‍याज 15 प्रतिशत की दर से सुनिश्चित किया गया है।

3.         इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गयी है कि स्‍वयं प्रत्‍यर्थी ने संविदा की शर्तों का उल्‍लंघन किया है। परिवाद 12 वर्ष की अवधि के पश्‍चात प्रस्‍तुत किया गया है तथा क्षेत्राधिकारविहीन निर्णय पारित किया है।

4.          परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार दिनांक 19.01.1989 को 679 वर्गमीटर का औद्योगिक क्षेत्र में एक भूखण्‍ड परिवादी को आवंटित किया गया और दिनांक 17.04.1990 को कब्‍जा दे दिया गया, परंतु 09 माह के अंदर निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया न ही 24 माह के अंदर उत्‍पादन कार्य प्रारंभ किया और वर्ष 2009 में परिवाद प्रस्‍तुत कर दिया गया।

5.           परिवादी का यह कथन है कि भूखण्‍ड पर कब्‍जा लेते समय यह पाया गया कि गन्‍दे पानी की निकासी की कोई व्‍यवस्‍था नहीं है। प्‍लाट गन्‍दे पानी मे डूबा हुआ है, इसलिए नये औद्योगिक क्षेत्र में भूखण्‍ड लेने का सुझाव विपक्षी के प्रबंधक श्री एच.सी. मिश्रा द्वारा दिया गया, जिस पर दिनांक 28.02.1996 को लिखकर परिवादी द्वारा अपनी अनुमति दे दी गयी। परिवादी द्वारा मौके पर उपलब्‍ध प्‍लाट में से एक प्‍लॉट आवंटित करने का अनुरोध भी किया गया, परंतु कोई जवाब नहीं दिया गया, इसके बाद दिनांक 27.05.1996 को जमा राशि को वापस लेने का अनुरोध पत्र प्रेषित किया गया। जिला उपभोक्‍ता आयोग का यह निष्‍कर्ष है कि चूंकि मौके पर निर्माण कार्य संभव नहीं था, इसलिए परिवादी द्वारा किसी प्रकार की शर्त का उल्‍लंघन नहीं किया गया है तथा विपक्षीगण के विरूद्ध वाद कारण निरंतर बना रहा, इसलिए समयावधि से बाधित नहीं है। मथुरा स्थित औद्योगिक भूखण्‍ड आगरा स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन आता है, इसलिए आगरा में प्रस्‍तुत वाद को क्षेत्राधिकारविहीन भी नहीं माना गया। तदनुसार परिवादी द्वारा जमा राशि वापस करने का आदेश पारित किया गया।

6.          अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि चूंकि स्‍वयं परिवादी ने शर्तों का पालन नहीं किया, इसलिए नियमों के अनुसार कटौती करने के पश्‍चात ही धनराशि वापस करने का आदेश दिया जाना चाहिए था, परंतु इस तर्क में इसलिए बल नहीं है कि परिवादी ने इस तथ्‍य को साबित किया है कि मौके पर निर्माण कार्य संभव नहीं था क्‍योंकि गंदे पानी का भराव तथा जो परिवादी को आवंटित किया गया था। परिवादी को निर्माण करने योग्‍य भूखण्‍ड उपलब्‍ध कराने का दायित्‍व अपीलार्थी पर है, इसलिए जमा राशि को बगैर कटौती के वापस करने का आदेश विधिसम्‍मत है, चूंकि प्राधिकरण लाभ हानि रहित योजना के अंतर्गत कार्य करते हैं, इसलिए 12 प्रतिशत की दर से ब्‍याज देने का आदेश अनुचित है। प्रस्‍तुत केस में ब्‍याज रहित धनराशि अदा करने का आदेश दिया जाना चाहिए। अत: यह अपील इस सीमा तक स्‍वीकार होने योग्‍य है कि परिवादी द्वारा जमा राशि बगैर किसी कटौती के एक माह के अंदर वापस की जाए और यदि यह राशि एक माह के अंदर वापस की जाती है तब कोई ब्‍याज देय नहीं होगा और एक माह के अंदर वापस न करने पर वही ब्‍याज देय होगा, जो जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा सुनिश्चित किया गया है।  

आदेश

                 अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी भूखण्‍ड हेतु जमा धनराशि अंकन रू0 36,950/-, प्रत्‍यर्थी को एक माह के अंदर वापस करे। अन्‍यथा कि स्थिति में एक माह के अंदर आदेशित धनराशि का भुगतान न करने पर अंकन रू0 36,950/- पर जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 12 प्रतिशत ब्‍याज देय होगा। शेष निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।  

                  प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

      

    

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

   

 

 

 

 

          

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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