Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/2052

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Vijay Bahadur Yadav - Opp.Party(s)

Dr. U V Singh

31 Oct 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/2052
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Of India
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Vijay Bahadur Yadav
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 31 Oct 2017
Final Order / Judgement

 

 

सुरक्षित

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-2052 सन 2005

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, जौनपुर  द्वारा परिवाद संख्‍या– 270 सन 2004 में पारित निर्णय दिनांक 19.11.2005 के विरूद्ध)

 

 

1.     यूनियन आफ इण्डिया द्वारा सचिव, मिनिस्‍ट्री आफ कम्‍प्‍यूनिकेशन नई दिल्‍ली  

2.    सुपरिण्‍टेंडेंट आफ पोस्‍ट आफिस, जौनपुर डिवीजन, जौनपुर ।

                                                  ..अपीलार्थी/विपक्षी

 

बनाम्

 

1.  विजय बहादुर यादव पुत्र स्‍व0 रामपति यादव ।

2; श्रीमती धूम देवी पत्‍नी श्री विजय बहादुद यादव, निवासी ग्राम एवं पोस्‍ट कान्‍हवंशपुर  तहसील  महियाहूँ, जिला जौनपुर ।

                  .                              .......प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

समक्ष:-

1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित     : डा0 उदय वीर सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       : कोई नहीं ।

 

दिनांक -08-12-17

 

मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

 

      यह अपील, जिला उपभोक्‍ता फोरम, जौनपुर  द्वारा परिवाद संख्‍या– 270 सन 2004 में पारित निर्णय दिनांक 19.11.2005 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई है, जिसके अन्‍तर्गत परिवादी का परिवाद जिला मंच द्वारा आंशिक रूप से स्‍वीकार किया गया है।

      संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी विजय बहादुर यादव ने सेवानिवृत होने के पश्‍चात अपनी भविष्‍य निधि की धनराशि को अपनी पत्‍नी तथा पुत्रियों के नाम से खाता संख्‍या 660902 में दिनांक 30.07.2002 को तीन लाख रू0, खाता संख्‍या 660903 में दिनांक 01.08.2002 को तीन लाख रू0 एवं खाता संख्‍या 660917 में दिनांक 20.08.2002 को दो लाख रू0 जमा किए जो 08 माह तक चलते रहे और उसका मासिक ब्‍याज का भुगतान अप्रैल, 2003 तक खाता धारकों को होता रहा। बाद में अपीलार्थी ने खाता संख्‍या 660917 में देय ब्‍याज का भुगतान देना बंद कर दिया और सूचित किया कि उक्‍त खाता खोलने में गलती हो गयी है क्‍योंकि उसमें तीन लाख रू0  से अधिक धनराशि जमा नहीं की जा सकती है इसलिए उक्‍त खाते में अपना नाम हटाकर अपने किसी पुत्र का नाम शामिल व संशेधित करा देवें और इसी आशय का बदनियती से दिनांक 02.09.2003 को लिखित पत्र भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिया गया । प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी की सूचना पर समस्‍त औपचारिकतायें पूर्ण करके उक्‍त खाते में अपने पुत्र उदय सिंह का नाम दर्ज करवाने हेतु कई प्रार्थना पत्र दिए लेकिन विपक्षीगण ने कोई सुनवाई नहीं की और न ही उसके द्वारा जमाशुदा रकम पर कोई ब्‍याज का भुगतान किया और बाद में उक्‍त खाते के बावत प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिए गए 08 माह का ब्‍याज व एजेण्‍ट को दिया गया कमीशन आदि की धनराशि 18000.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मूलधन से दिनांक 06.01.2004 को काटकर शेष रकम वापस कर दी, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 06.01.2004 तक का ब्‍याज मु0 20,250.00 रू0 व काटी गयी 18000.00 रू0 की धनराशि व क्षतिपूर्ति दिलाए जाने हेतु जिला मंच में परिवाद दाखिल किया गया गया।

जिला मंच के समक्ष पर्याप्‍त तामीली के बावजूद प्रतिवादी/अपीलार्थी की तरफ से कोई उपस्थित नही हुआ अत: उसके विरूद्ध एक पक्षीय सुनवाई करते हुए परिवाद निम्‍नवत् स्‍वीकार किया :-

      '' परिवाद आंशिक रूप से सफल होता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि उसके द्वारा जमा की गयी धनराशियों पर दिनांक 06.01.2004 तक मिलने वाली ब्‍याज की धनराशि एवं मु0 18000.00 रू0 कमीशन की धनराशि नियमानुसार निर्णय होने की तिथि से दो माह के अन्‍दर परिवादी को प्रदान करे। शेष अनुतोष निरस्‍त किया जाता है ।  ''

      उक्‍त आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील योजित की गयी है।

अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्‍नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा तथ्‍यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस विस्‍तार से सुनी तथा आधार अपील का अवलोकन किया तथा उभय द्वारा दाखिल लिखित बहस व जिला फोरम के प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 19.11.2005 का सम्‍यक अवलोकन किया।

प्रत्‍यर्थी की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। जबकि प्रत्‍यर्थी की ओर से पूर्व में विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिलीप कुमार उपस्थित हो चुके हैं।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला मंच ने उसे सुनने का कोई मौका नहीं दिया जिससे उसे अपूर्णनीय क्षति हुयी है। अपीलार्थी पर नोटिस की कोई तामीली नहीं हुयी है।

      यह निर्विवाद है कि जिला मंच ने अपीलार्थी की अनुपस्थिति में परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार किया है।  हमारी राय में केस के तथ्‍य एवं परिस्थितियों को देखते हुए अपीलार्थी को अपना पक्ष प्रस्‍तुत करने का एक अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।

      अत: प्रस्‍तुत प्रकरण जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किए जाने योग्‍य है कि वे दोनो पक्षों को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर निर्णय करना सुनिश्चित करें। तदनुसार अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।    

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त करते हुए प्रस्‍तुत प्रकरण जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि वे दोनो पक्षों को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर निर्णय करना यथाशीघ्र सुनिश्चित करें।

 

       

(उदय शंकर अवस्‍थी)                  (गोवर्धन यादव)

             पीठासीन सदस्‍य                       सदस्‍य                 

             

 

सुबोल कुमार,

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,

कोर्ट नं0-३.

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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