Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/1060

Ram Singh - Complainant(s)

Versus

Vidyut Vitaran Nigam - Opp.Party(s)

U P S Kushwaha

11 Feb 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/1060
( Date of Filing : 28 Jun 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ram Singh
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Vidyut Vitaran Nigam
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2005/979
( Date of Filing : 06 Jun 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P P C L
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Feb 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 1060/2005

 

राम सिंह पुत्र श्री रूमाल सिंह व 18 अन्‍य।

समस्‍त निवासीगण ग्राम बहापुर, परगना खतौली, तहसील जानसठ, जिला मुजफ्फरनगर।

                                                                                       ………..अपीलार्थीगण।

 

बनाम

अधिशासी अभियंता पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, मुजफ्फरनगर व दो अन्‍य।

                                       ............प्रत्‍यर्थीगण।       

 

समक्ष:-                       

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य

 

अपीलार्थीगण की ओर से   : श्री आलोक कुमार सिंह,

                     विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से   : श्री इसार हुसैन,

                     विद्वान अधिवक्‍ता।

 

                           एवं

                     अपील सं0- 979/2005

 

उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन लि0, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, द्वारा अधिशासी अभियंता मुजफ्फरनगर व दो अन्‍य।

                                        .........अपीलार्थीगण।

                          बनाम

राम सिंह पुत्र श्री रूमाल सिंह व 18 अन्‍य।

समस्‍त निवासीगण ग्राम बहापुर, परगना खतौली, तहसील जानसठ, जिला मुजफ्फरनगर।

                                         ...........प्रत्‍यर्थीगण।

 

समक्ष:-                          

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से   : श्री इसार हुसैन,

                     विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से   : श्री आलोक कुमार सिंह,

                     विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक:- 11.02.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय/आदेश

 

          परिवाद सं0- 218/2004 राम सिंह व 18 अन्‍य बनाम अधिशासी अभियंता पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, मुजफ्फरनगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 29.04.2005 के विरुद्ध अपील सं0- 1060/2005 राम सिंह व 18 अन्‍य  बनाम अधिशासी अभियंता पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व दो अन्‍य परिवाद के परिवादीगण की ओर से तथा सम्‍बन्धित अपील सं0- 979/2005 उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन लि0, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, द्वारा अधिशासी अभियंता व दो अन्‍य परिवाद के विपक्षीगण की ओर से, दोनों अपीलें धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई हैं।

          परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार सिंह एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया गया।

          दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने के पश्‍चात यह स्थिति स्‍पष्‍ट होती है कि उपभोक्‍ता परिवाद 19 व्‍यक्तियों द्वारा प्रस्‍तुत किया गया है। उपभोक्‍ता परिवाद सं0- 218/2004 राम सिंह व 18 अन्‍य बनाम अधिशासी अभियंता पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 19 व्‍यक्तियों द्वारा प्रस्‍तुत किया गया है। परिवाद पर यह आपत्ति की गई है कि प्रत्‍येक परिवादी का विद्युत कनेक्‍शन पृथक-पृथक है तथा विद्युत बिल भी पृथक-पृथक जारी किया गया है। प्रत्‍येक परिवादी पृथक-पृथक रूप से विद्युत का उपभोग कर रहा है, इसलिए संयुक्‍त परिवाद पोषणीय नहीं है, परन्‍तु विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने इस आपत्ति पर कोई निष्‍कर्ष नहीं दिया है। यहां तक कि इस स्थिति को भी विचार में नहीं लिया कि अलग-अलग उपभोक्‍ताओं द्वारा किस प्रकार एक संयुक्‍त परिवाद प्रस्‍तुत किया जा सकता है।

          उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12(C) की व्‍यवस्‍था के अनुसार जहां अनेक व्‍यक्तियों के समान हित हों तब जिला उपभोक्‍ता आयोग की अनुमति से सभी हितबद्ध उपभोक्‍ताओं की ओर से या उनके लिए एक परिवाद प्रस्‍तुत किया जा सकता है। यानि 19 व्‍यक्ति जो जो अलग-अलग उपभोक्‍ता हैं एकल परिवाद प्रस्‍तुत करने के लिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग की अनुमति आवश्‍यक थी, परन्‍तु ऐसी किसी अनुमति का निर्णय में उल्‍लेख नहीं है। इसलिए 19 व्‍यक्ति द्वारा प्रस्‍तुत किया गया परिवाद उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12(C) से वंचित था, परन्‍तु विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अवैध रूप से परिवाद पर निर्णय व आदेश पारित किया है जो इसी आधार पर अपास्‍त किया जाता है।

          अपील सं0- 979/2005 उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन लि0, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, द्वारा अधिशासी अभियंता व दो अन्‍य बनाम राम सिंह व 18 अन्‍य स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश खारिज किया जाता है तथा परिवाद संधारणीय न होने के कारण निरस्‍त किया जाता है।

          अपील सं0- 1060/2005 राम सिंह व 18 अन्‍य बनाम अधिशासी अभियंता पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व दो अन्‍य इस आधार पर खारिज की जाती है कि 19 व्‍यक्तियों द्वारा प्रस्‍तुत किया गया परिवाद संधारणीय नहीं है।        

          इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील सं0- 1060/2005 में रखी जाए एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्‍बन्धित अपील सं0- 979/2005 में रखी जाए।

          अपीलों में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।  

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                           

      (विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)                

          सदस्‍य                                 सदस्‍य         

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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