राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-26/2011
(जिला उपभोक्ता फोरम, ज्योतिबाफुले नगर द्धारा परिवाद सं0-17/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09.9.2010 के विरूद्ध)
1- Union of India through its Secretary Department of Post and Telegraph New Delhi
2- Senior Superintendent of Post Offices Moradabad Division District Moradabad.
3- Post Master, Head Post Office, District Jyotibaphule Nagar.
4- Assistant Post Master, Head Post Office, District Jyotibaphule Nagar.
........... Appellants/ Opp. Parties
Versus
1- Vidya Adarsh Junior High School Alipura Kui, Post Budherna, District Jyotibaphule Nagar, through Manager Smt. Vidyavati Chauhan.
2- Vedmata Gayatri Shishu Mandir Alipura Kui, Post Budherna, District Jyotibaphule Nagar, through Manager Smt. Vidyavanti Chuhan.
……..…. Respondents/ Complainants
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : डॉ0 उदय वीर सिंह
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री एस0के0 शुक्ला
दिनांक : 15-11-2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, ज्योतिबाफुले नगर द्धारा परिवाद सं0-17/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09.9.2010 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
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"परिवाद आंशिक रूप से रू0 2,000.00 (रू0 दो हजार मात्र) परिवाद व्यय सहित स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता हैकि वे परिवादिनीगण को उनके द्वारा क्रय किए गये 6 वर्षीय राष्ट्रीय बचत पत्र पर दिनांक 06.7.2006 की परिपक्वता मूल्य रू0 14,104.00 (रू0 चौदह हजार एक सौ चार मात्र) एवं दिनांक 06.7.2006 से मय 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से परिवाद दाखिल करने से वास्तविक वसूली की तिथि तक एवं रू0 1,000.00 (रू0 एक हजार मात्र) मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें। आदेश का अनुपालन अंदर एक माह किया जाय।"
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी विद्या आदर्श जूनियर हाईस्कूल व वेदमाता गायत्री शिशु मंदिर अलीपुरा कुई, पोस्ट बुढेरना जनपद जे0पी0 नगर के नाम से अपनी पदीय हैसियत से दिनांक 06.7.2000 को डाकघर अमरोहा से राष्ट्रीय बचत पत्र जिनका विवरण परिवाद पत्र में दिया गया है, क्रय किया था। परिवादिनी द्वारा क्रय किए गये राष्ट्रीय बचत पत्रकी परिपक्वता दिनांक 06.7.2006 को नियत थी एवं दिनांक 06.7.2006 को वह प्रधान डाकघर अमरोहा प्रतिवादी सं0-3 के पास अपने राष्ट्रीय बचत पत्रों के भुगतान हेतु जिस पर प्रतिवादी सं0-3 ने बचत पत्रों के पूर्ण भुगतान से इनकार कर दिया तब परिवादिनी प्रतिवादी सं0-2 के पास गई, तो उन्होंने भी कोई सुनवाई नहीं की एवं परिवादिनी प्रतिवादी सं0-2 व 3 के कार्यालय में चक्कर लगाती रही लेकिन प्रतिवादीगण ने परिवादिनी के बचत पत्रों का पूर्ण भुगतान नहीं किया और परिवादिनी ने एक प्रार्थना पत्र दिनांक 06.12.2006 को प्रतिवादी सं0-2 को दिया, जिस पर प्रतिवादी सं0-2 ने टिप्पणी की उक्त एन0एस0सी0 संस्था के नाम जारी की गई है, संस्था की एन0एस0सी0 पर ब्याज देय नहीं होता जो नियम विरूद्ध है। परिवादिनी को राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र खरीदते समय कोई भी तथ्य प्रतिवादी से छिपाया नहीं था, बल्कि परिवादिनी ने स्पष्ट किया था कि
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उपरोक्त राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र विद्या आदर्श जूनियर हाईस्कूल अलीपुरा एवं वेदमाता गायत्री शिशु मंदिर द्वारा श्रीमती विद्यावती चौहान के नाम क्रय किए गये थे। परिवादिनी का यह भी कथन है कि राष्ट्रीय बचत पत्र जारी करते समय प्रतिवादी सं0-2 ने ऐसी किसी शर्त का उल्लेख नहीं किया था कि राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र पर संस्था को ब्याज देय नहीं है। परिवादिनी का यह कथन है कि प्रतिवादीगण द्वारा राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के पूर्ण भुगतान न किए जाने के कारण परिवादिनी ने एक नोटिस प्रतिवादीगण को भेजा एवं बादहू फोरम के समक्ष यह परिवाद दाखिल किया। परिवादिनी द्वारा विद्या आदर्श जूनियर हाईस्कूल के नाम से रू0 3500.00 एवं वेदमाता गायत्री शिशु मंदिर के नाम से रू0 3500.00 का राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र क्रय किया गया था, अत: परिवादिनी द्वारा प्रतिवादीगण के विरूद्ध सेवा में कमी के कारण परिवादिनी को हुई क्षति की क्षतिपूर्ति एवं अन्य अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद दाखिल किया गया है।
प्रतिवादीगण की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और यह कथन किया गया है कि परिवादिनीगण अर्थात विद्या आदर्श जूनियर हाईस्कूल व वेदमाता गायत्री शिशु कोपरेटिव सोसायटी, जो सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत रजिस्टर्ड है इस प्रकार से यह उपरोक्त संस्था द्वारा किसान विकास पत्र या राष्ट्रीय बचत पत्रों को खरीदा गया है, तो उस पर किसी प्रकार का लाभांश प्रतिवादीगण द्वारा देय नहीं है। प्रतिवादीगण केरला स्टेट कंज्यूमर रिडेंसल तिरूवन्तपुरम में अपील सं0-1001/04 में पोस्टमास्टर द्वारा दाखिल अपील में दिनांक 02.10.2005 को केरला स्टेट कन्जूमर कमीशन द्वारा यह निर्णीत किया गया है, कि किसी संस्था द्वारा यदि किसान विकास पत्र या राष्ट्रीय बचत पत्र को जारी किया गया है तो उस पर लाभांश देय नहीं
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है। प्रतिवादीगण का कथन है कि भारत संघ मिनिस्ट्री आफ कम्यूनिकेशन डाक भवन संसद मार्ग द्वारा माननीय केरला स्टेट कंज्यूमर फोरम के निर्णय की प्रति सभी डाकघर को दे दी गई। प्रतिवादीगण का यह कथन है कि परिवादिनी उपभोक्ता नहीं है, अत: परिवाद पोषणीय नहीं है एवं परिवादिनी का दावा खारिज किए जाने योग्य है। प्रतिवादीगण का कथन है कि प्रतिवादीगण के विरूद्ध कोई वाद का कारण उत्पन्न नहीं हुआ है।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 09.09.2010 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता डॉ0 उदय वीर सिंह तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 शुक्ला उपस्थित आये। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया है।
अपीलार्थी की ओर से मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि प्रत्यर्थीगण जो कि एक सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अन्तर्गत रजिस्टर्ड है, इसलिए उक्त संस्था/कालेज के द्वारा किसान विकास पत्र या राष्ट्रीय बचत पत्रों को खरीदा नहीं जा सकता था, अत: यह अवैध अनुबन्ध था और प्रत्यर्थीगण केवल मूल धनराशि प्राप्त कर सकते हैं और इस सम्बन्ध में अपीलार्थी की ओर से मा0 उच्चतम न्यायालय की नजीर Arulmighu Dhandayudhapaniswamy Vs. Director General of Post Offices, Department of Posts & Ors. 2011 (2) CPC 495 की ओर पीठ का ध्यान दिलाया गया है, जिसमें यह मत व्यक्त किया गया है कि:-
Consumer Protection Act, 1986- Section 23 & 14(1) (d)- Post Office Saving bank General Rules, 1981- Rules 16 & 17- Post Office Time Deposit Scheme- Certain amount was deposited by appellant temple under this scheme which was discontinued and account was closed
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without interest- Under rule 17 of Saving Bank Fules, 1981 investmen by institutions was not permissible- The appellant temple being an institution cannot claim any interest on the deposit- Order of For a Below declining to pay the interest upheld- Appeal Dismissed.
केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने के उपरांत हम यह पाते हैं कि राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र कालेज के नाम से जारी किए गये थे और नियमानुसार कालेज के नाम से राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र जारी नहीं हो सकते थे एवं इस प्रकार का जो अनुबन्ध किया गया था, वह अवैध था और कानूनी आधार पर उसे लागू भी नहीं किया जा सकता है और इस प्रकार प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण केवल मूल धनराशि राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के संदर्भ में प्राप्त कर सकते हैं और इस संदर्भ में जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह विधि सम्मत नहीं है और निरस्त किए जाने योग्य है। तद्नुसार अपीलार्थी की अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम, ज्योतिबाफुले नगर द्धारा परिवाद सं0-17/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09.9.2010 को निरस्त किया जाता है तथा परिवादिनी द्वारा विद्या आदर्श जूनियर हाईस्कूल के नाम से रू0 3500.00 एवं वेदमाता गायत्री शिशु मंदिर के नाम से रू0 3500.00 के राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र की मूल धनराशि ही अपीलार्थी से बिना किस ब्याज के प्राप्त करने की हकदार है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु., कोर्ट सं0-5