राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-1250/2013
(जिला उपभोक्ता आयोग, बहराइच द्वारा परिवाद सं0-142/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-05-2013 के विरूद्ध)
अमर नाथ वर्मा पुत्र स्व0 राम सुन्दर वर्मा, निवासी ग्राम इमलिया (चिलवरिया), परगना-हिसामपुर, तहसील-कैसरगंज, जिला बहराइच।
...........अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम
1. एक्जक्यूटिव इंजीनियर, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0, माल गोदाम रोड, बहराइच।
2. श्री देव प्रकाश मिश्रा सुपरिण्टेण्डेण्ट इंजीनियर, विद्युत यूपी खण्ड तृतीय बहराइच, निकट 132 के0वी0 सब स्टेशन, बहराइच।
............ प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्ता की
कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता सुश्री मीना रावत।
दिनांक : 07-03-2024.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, बहराइच द्वारा परिवाद सं0-142/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-05-2013 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि उसकी कृषि योग्य भूमि है,
जिसमें विद्युत कनेक्शन लगा हुआ है। बिलों का भुगतान समय-समय पर किया गया। उसका यह विद्युत कनेक्शन दिनांक 28-03-2005 को विच्छेदित कर दिया गया। इसके पश्चात् विपक्षी ने दिनांक 27-05-2009 को 24,492/- रू0 के बकाया भुगतान की नोटिस भेजी जो विधि विरूद्ध है। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में परिवाद पत्र को निरस्त किया है। प्रश्नगत निर्णय विधि विरूद्ध, नैसर्गिक न्याय के विरूद्ध एवं मनमाना है। विद्वान जिला आयोग ने समस्त तथ्यों को नहीं देखा। अत: माननीय राज्य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग का प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए अपील स्वीकार की जाए।
हमारे द्वारा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा की कनिष्ठ सहायक अधिवक्ता सुश्री मीना रावत की बहस विस्तार से सुनी गई तथा पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया। अपीलार्थी की ओर से बहस करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
इस मामले में परिवादी ने अपने कृषि कार्य हेतु निजी नलकूप के कनेक्शन हेतु विपक्षीगण के यहॉं आवेदन किया था, जिस पर परिवादी को परिवाद पत्र की धारा-1 में वर्णित विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराया गया। परिवादी विद्युत बिलों का भुगतान बराबर करता रहा। वर्ष 2004 व वर्ष 2005 में विद्युत बिल प्राप्त न होने के कारण विद्युत बिलों का भुगतान नहीं हो सका। विद्युत बिल बकाया होने के कारण 33/11 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र रंजीत पुर जनपद बहराइच पर नियुक्त तत्कालीन अवर अभियन्ता श्री ए0के0 सिंह के निर्देश पर ननके सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह कर्मचारी ने निजी नलकूप के विद्युत बिलों के बकायेदारों, जिसमें परिवादी का कनेक्शन भी सम्मिलित रहा, दि० 28-3-05 को काट दिया तथा ट्यूबवेल पर विद्युत पोल से लगे केबुल वायर को उतार कर विद्युत आपूर्ति स्थायी रूप से विच्छेदित कर विद्युत आपूर्ति बन्द कर दिया। कनेक्शन काटने, केबुल वायर उतारने के पश्चात् अपने साथ लाये गये सम्बन्धित पी. टी. डब्ल्यू, नलकूप के कनेक्शन काटने से सम्बन्धित कागजातों पर विवरण अपने लेख एवं हस्ताक्षर में अंकित करते हुए परिवादी का भी हस्ताक्षर उस पर करवा लिया। दि0 28-3-05 के पश्चात् से विपक्षी के विभाग द्वारा प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन से कोई विद्युत आपूर्ति नहीं की गयी। परिवादी का नलकूप नहीं चल रहा है। विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन के सम्बन्ध में एक बिल धनराशि 24,492=00, जिसका विवरण परिवाद पत्र की धारा 7 व 8 में दिया गया है, बकाये के रूप में परिवादी को उपलब्ध कराया गया जिसके संबंध में परिवादी ने विपक्षीगण को अवगत कराया कि दि0 28-3-05 के बाद विद्युत बिलों को सम्मिलित कर लिया गया है जबकि दि० 28-3-05 के बाद से परिवादी ने विद्युत का उपयोग नहीं किया है। दि0 28-3-05 तक के बकाया बिलों का भुगतान करने को तैयार है इस संबंध में परिवादी ने लिखित प्रार्थना पत्र भी विपक्षीगण के पास पंजीकृत डाक से भेजा लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गयी तब परिवाद दाखिल करने को आवश्यकता हुई।
हमने विद्वान जिला आयोग के प्रश्नगत निर्णय का अवलोकन किया।
इस मामले में परिवादी ने स्थायी विद्युत विच्छेदन का कोई भी अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि उसका स्थायी विद्युत विच्छेदन नहीं हुआ और ऐसी स्थिति में जब स्थायी विद्युत विच्छेदन का कोई प्रार्थना पत्र और सम्बन्धित स्थायी विद्युत विच्छेदन शुल्क जमा नहीं किया जाता है तब स्थायी विद्युत विच्छेदन नहीं होता है। विद्वान जिला आयोग ने यह माना है कि अस्थायी रूप से विद्युत विच्छेदन होने से बकाये में कोई छूट नहीं मिलती है। परिवादी का दायित्व था कि वह विद्युत कार्यालय जाकर समस्त धनराशि अदा करते हुए स्थायी विद्युत विच्छेदन के लिए आवश्यक कार्यवाही करता, जो उसने नहीं की।
इन समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि सम्मत है और इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार वर्तमान अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, बहराइच द्वारा परिवाद सं0-142/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-05-2013 की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 07-03-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.