Rudra Prakash Singh filed a consumer case on 27 Apr 2023 against Verma Beej Bhandar & Dayal Seeds Pvt. Ltd. in the Barabanki Consumer Court. The case no is CC/125/2018 and the judgment uploaded on 28 Apr 2023.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 07.09.2018
अंतिम सुनवाई की तिथि 18.04.2023
निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि 27.04.2023
परिवाद संख्याः 125/2018
रूद्र प्रकाश सिंह पुत्र माता प्रसाद निवासी ग्राम व पोस्ट उचिटा परगना सिद्वौर तहसील हैदरगढ़ जनपद-बाराबंकी।
द्वारा-श्री ब्रहमानन्द वर्मा, अधिवक्ता
बनाम
1. वर्मा बीज भण्डार, वर्मा मार्केट मील चैराहा कस्बा पोस्ट व परगना सिद्वौर तहसील हैदरगढ़ जनपद-बाराबंकी द्वारा प्रोपराइटर।
2. प्रबन्धक, दयाल सीड्स प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली रोड परतापुर मेरठ 250103
द्वाराः-श्री विनय जोशी, अधिवक्ता
समक्षः-
माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष
माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य
माननीय श्री एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य
उपस्थितः परिवादी की ओर से -कोई नहीं।
विपक्षीगण की ओर से- श्री विनय जोशी, अधिवक्ता
द्वारा -मीना सिंह, सदस्य
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्व अंतगर्त धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर विपक्षीगण से फसल नुकसान रू0 20,000/-मय 12 प्रतिशत सूद सहित, मानसिक, शारीरिक आर्थिक क्षतिपूर्ति रू0 62,000/-, परिवाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क रू0 2,000/-दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है तथा उचित कार्यवाही हेतु बीज प्रशासक विभाग के लाईसेंस अधिकारी को सूचित करने का अनुरोध किया है।
परिवादी ने परिवाद में यह अभिकथन किया है कि परिवादी उपरोक्त पते का निवासी है तथा काफी गरीब लघु कृषक है जो कृषि करके अपने परिवार का जीविकोपार्जन करता है। दिनांक 02.11.2017 को परिवादी एक एकड़ सरसों की अच्छी पैदावार हेतु विपक्षी सं0-01 से मिला और उन्नतिशील किस्म की अधिक पैदावार वाली सरसों देने को कहा जिस पर विपक्षी सं0-01 ने विपक्षी सं0-02 की कम्पनी द्वारा निर्मित दयाल अनमोल गोल्ड प्रजाति का सरसों बीज का पैकेट दिखाते हुये बताया कि उक्त कम्पनी का सरसों बीज एक राशि का है तथा इसकी उपज 10 कुन्तल प्रति एकड़ कम्पनी द्वारा बतायी गयी है। विपक्षी सं0-01 की बात पर विश्वास करते हुये परिवादी ने विपक्षी सं0-02 की कम्पनी का उक्त प्रजाति का दो किलोग्राम सरसों बीज खरीदा तथा खेत की पर्याप्त जुताई कर व खाद आदि डालकर खेत तैयार करके समय से बुवाई कर दी। विपक्षी संख्या-01 से क्रय की गयी उक्त सरसों का जमाव सही समय पर हो गया और धीरे-धीरे फसल काफी बड़ी हो गई तथा पूरी फसल में फूल एक साथ नहीं आये, तब पता चला कि विपक्षी संख्या-01 द्वारा बिक्री की गई सरसों में मिलावट है तथा परिवादी को बिक्री किया गया बीज गुणवत्तापूर्ण नहीं है। परिवादी को बिक्री किये गये सरसों बीज मोटी-पतली छीमी की मिलावट पाये जाने पर परिवादी ने इस बात की शिकायत विपक्षी सं0-01 से किया जिस पर विपक्षी सं0-01 ने चलकर फसल की वर्तमान स्थिति देखने को कहा लेकिन सरसों देखने नहीं आया। विपक्षी सं0-01 तमाम अनुनय विनय के बाद भी न तो फसल देखने आया और न ही निर्माता कम्पनी विपक्षी सं0-02 के किसी कर्मचारी को भेजा। परिवादी ने उक्त फसल कटवाकर तैयार की तो जहां परिवादी को 0.250 हे0 रकबे में 06 कुन्टल 25 किलोग्राम सरसों प्राप्त होनी थी वहाँ मात्र 25 किलोग्राम सरसों प्राप्त हुई। इस प्रकार परिवादी का छः कुन्तल सरसों यानि रू0 20000/-का भारी आर्थिक नुकसान हुआ। परिवादी ने इस बावत एक नोटिस दिनांक 11.04.2018 को विपक्षीगण को इस आशय का दिया कि परिवादी को हुये नुकसान की पूर्ति एक माह के अंदर की जावे, लेकिन विपक्षीगण ने न तो नोटिस का उत्तर दिया और न ही क्षतिपूर्ति का भुगतान किया। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।
परिवादी के तरफ से सूची से सरसों क्रय करने की मूल रसीद तथा नोटिस दिनांक 11.04.2018 की छाया प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी संख्या-01 ने अपने जवाबदावा में कहा है कि वर्मा बीज भण्डार के नाम से सिद्वौर में दुकान है और वह उन्नत बीज कम्पनी द्वारा सीलबंद पैकेट में ही बेचता है और दिनांक 02.11.2017 को रूद्र प्रकाश सिंह उचिटा के नाम से दो किलो दयाल अनमोल गोल्ड उन्नत संशोधित सरसों बीज कम्पनी द्वारा सील्ड पैकेट में खरीदा गया था। चूँकि कम्पनी द्वारा सीलबंद बीज का पैकेट विक्रय किया गया था, अतः विपक्षी संख्या-01 द्वारा मिलावट संभव ही नहीं है और परिवादी का कथन पूर्णतः गलत व भ्रामक है। परिवादी के मिलावट के संदर्भ में किये गये दावे का विपक्षी सं0-01 पूर्ण खण्डन करता है। दयाल अनमोल गोल्ड उन्नत संशोधित सरसों बीज विपक्षी सं0-01 से अन्य किसानों के द्वारा भी खरीदा व बोया गया है और सभी किसानों के यहाँ अच्छी फसल हुई है। जिससे स्पष्ट है कि दयाल अनमोल गोल्ड उन्नत संशोधित सरसों बीज की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है। बल्कि कथित समस्या फसल कुप्रबंधन और कम्पनी द्वारा अनुशंसित क्रियाओं की जानबूझकर अनदेखी से संबंधित है और इसके लिये परिवादी स्वयं जिम्मेदार है कम्पनी या विक्रेता नहीं। भारत के प्रत्येक ब्लाक व जनपद स्तर पर कृषि अधिकारी किसानों की सहायता के लिये सदैव तत्पर रहते है। परन्तु परिवादी ने कथित बीज बुवाई से लेकर फसल कटाई तक व उसके बाद भी किसी भी कृषि विशेषज्ञ या कृषि अधिकारी से अपनी फसल का निरीक्षण नहीं करवाया। परिवादी ने दयाल अनमोल गोल्ड उन्नत संशोधित सरसो बीज की गुणवत्ता की प्रयोगशाला जांच कराये जाने का कोई भी विवरण साशय व बदनीयती से परिवाद पत्र में नहीं दिया है। अतः स्पष्ट है कि परिवादी ने बीजों की गुणवत्ता के संबंध में कोई भी लैब टेस्ट नहीं कराया है। विपक्षी संख्या-01 परिवादी से बतौर हर्जा रू0 10,000/-अंतर्गत धारा-26 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्राप्त करने का अधिकारी है। अतः परिवाद विपक्षी सं0-01 के विरूद्व पोषणीय न होने के कारण सव्यय निरस्त करने की याचना की है।
विपक्षी सं0-01 द्वारा सूची से सीड जेनेटिक प्योरिटी टेस्ट रिपोर्ट, लैब रिपोर्ट सीड्स जर्मिनेशन टेस्ट, अनमोल गोल्ड का पैकेट, विक्रय रसीद तथा भेजे गये नोटिस का उत्तर मय रजिस्ट्री रसीद दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-02 ने अपने जवाबदावे में कहा है कि विपक्षी सं0-02 दयाल सीडस प्रा0 लि0 दयाल अनमोल गोल्ड उन्नत संशोधित सरसों बीज का विनिर्माण व विपणन सम्पूर्ण भारत में करता है और लाखों किसान पूर्ण संतुष्टि के साथ इन बीजों का नियमित प्रयोग करते है और भरपूर उन्नत फसल प्राप्त करते रहे है। विपक्षी सं0-02 दयाल सीडस प्रा0 लि0 किसानों को सरसों फसल की पैदावार बढ़ाने हेतु आवश्यक जानकारी व प्रपत्र निःशुल्क उपलब्ध करवाती है और किसानों की समृद्वि में निरन्तर भागीदार रही है। परिवादी ने साशय व बदनीयती से मृदा के प्रकार, जलवायु, फसल प्रबंधन, रोगों व कीटों के आक्रमण, बीजों को बोने का समय, फसल कटाई का समय व खेत की पहचान आदि के संबंध में कोई भी विवरण व जानकारी परिवाद पत्र में नहीं दिया है। परिवाद पत्र में ऐसा कोई भी विवरण नहीं दिया गया है जिससे दयाल अनमोल गोल्ड उन्नत संशोधित सरसों बीज के परिवादी के खेत में बोने की पुष्टि होती हो। परिवादी ने दयाल अनमोल गोल्ड उन्नत संशोधित सरसों बीज की कथित बुवाई से लेकर फसल कटाई तक कभी भी विपक्षी सं0-02 दयाल सीडस प्रा0 लि0 से किसी प्रकार का कोई संपर्क या शिकायत नहीं की है। भारत के प्रत्येक ब्लाक व जनपद स्तर पर कृषि अधिकारी किसानों की सहायता के लिये सदैव तत्पर रहते है। परन्तु परिवादी ने कथित बीज बुवाई से लेकर फसल कटाई तक व उसके बाद भी किसी भी कृषि विशेषज्ञ या कृषि अधिकारी से अपनी फसल का निरीक्षण नहीं करवाया। परिवादी ने दयाल अनमोल गोल्ड उन्नत संशोधित सरसों बीज की गुणवत्ता की प्रयोगशाला जांच कराये जाने का कोई भी विवरण साशय व बदनीयती से परिवाद पत्र में नहीं दिया है। अतः स्पष्ट है कि परिवादी ने बीजों की गुणवत्ता के संबंध में कोई भी लैब टेस्ट नहीं कराया है। परिवादी विपक्षी सं0-02 दयाल सीडस प्रा0 लि0 से किसी भी अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद बदनीयती से विपक्षीजन को बदनाम करने व उनसे अनुचित अविधिपूर्ण लाभ प्राप्त करने की नीयत से असंगत भ्रामक, गलत व त्रुटिपूर्ण आधारों पर अविधिपूर्ण ढंग से दाखिल किया गया है और सव्यय निरस्त होने योग्य है। विपक्षी सं0-02 परिवादी से बतौर हर्जा रू0 10,000/-अंतर्गत धारा 26 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्राप्त करने का अधिकारी है।
विपक्षीगण ने शपथपत्र बतौर साक्ष्य तथा अपनी लिखित बहस प्रस्तुत की है।
परिवादी अनुपस्थित है। विपक्षीगण की बहस सुनी गई। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत परिवाद में परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-01 से सरसों का बीज जो विपक्षी संख्या-02 का प्रोडक्ट था, दिनांक 02.11.2017 को क्रय किया गया था। परिवादी का कथन है कि क्रय किये गये बीज की गुणवत्ता खराब होने के कारण फसल का उत्पादन सही नहीं हुआ और उसे आर्थिक क्षति हुई। परिवादी द्वारा प्रस्तुत इनवायस संख्या-418 दिनांक 02.11.2017 के अवलोकन से स्पष्ट है कि उसके द्वारा विपक्षी संख्या-01 से विपक्षी संख्या-02 का प्रोडक्ट दयाल अनमोल गोल्ड दो किलोग्राम रू0 190/-की दर से कुल रू0 380/-का क्रय किया गया था किन्तु बीज की खराब गुणवत्ता व फसल का उत्पादन कम होने के संबंध में कोई अभिलेखीय साक्ष्य परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में स्वयं के अतिरिक्त गवाह राकेश कुमार पड़ोसी काश्तकार का शपथपत्र प्रस्तुत किया गया है। गवाह श्री राकेश कुमार द्वारा शपथपत्र में कहा गया है कि-‘‘शपथकर्ता परिवादी रूद्र प्रकाश सिंह व परिवादी के खेत को जानता पहचानता है। क्योंकि शपथकर्ता व परिवादी एक ही ग्राम उचिटा के निवासी है तथा परिवादी का खेत शपथकर्ता के खेत के पास में ही है। परिवादी ने शपथकर्ता के खेत के पास स्थित अपनी एक 0.250 हे0 कृषि भूमि में सरसों की अच्छी पैदावार हेतु दयाल अनमोल गोल्ड प्रजाति का सरसों बीज की बुवाई की थी। उक्त सरसों की बुवाई के समय शपथकर्ता पड़ोसी काश्तकार होने के नाते परिवादी के खेत पहुंच गया था। शपथकर्ता ने परिवादी को उक्त बीज का पैकेट दिखाते हुए बताया था कि उक्त कम्पनी के सरसो बीज की उपज 10 कुन्तल प्रति एकड़ कम्पनी द्वारा बतायी गई है। परिवादी ने उक्त फसल कटवाकर तैयार की तो जहां परिवादी को 0.250 हे0 रकबे में 6 कुन्टल 25 किलोग्राम सरसों प्राप्त होनी थी वहां मात्र 25 किलोग्राम सरसों परिवादी को प्राप्त हुई। इस प्रकार परिवादी का 6 कुन्टल सरसों यानि रू0 20,000/-का भारी आर्थिक नुकसान हुआ। लेकिन इस संबंध में न तो सक्षम अधिकारी के समक्ष कोई शिकायत दर्ज करायी गयी और न ही बीज/फसल की कोई जांच करायी गई। मात्र परिवादी व गवाह के शपथपत्र के आधार पर क्रय किये गये बीज की खराब गुणवत्ता एवं फसल का कम उत्पादन प्रमाणित नहीं होता है।
विपक्षीजन का कथन है कि उसके द्वारा किसानो को उपलब्ध कराये गये प्रपत्र में यह स्पष्ट अंकित किया गया है कि ‘‘मृदा के प्रकार, जलवायु, फसल प्रबंधन, रोगों व कीटों के आक्रमण के कारण फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। फसल का प्रबंधन हमारे नियंत्रण से बाहर है। अतः पैदावार के लिये कम्पनी जिम्मेदार नहीं होगी।‘‘ विपक्षीजन के कथन में बल प्रतीत होता है। बीज की गुणवत्ता के साथ-साथ जलवायु/रोग व प्रबंधन फसल के उत्पादन को प्रभावित करता है। अतएव परिवादी के फसल का उत्पादन किस कारण से कम हुआ इसका समुचित साक्ष्य नहीं पाया गया।
उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा कथित बीज का क्रय विपक्षीजन से किया गया है लेकिन फसल के कम उत्पादन होने के संबंध में न तो बीज की गुणवत्ता की प्रयोगशाला जांच कराई गई है और न ही कृषि अधिकारी व अन्य सक्षम अधिकारी के समक्ष कोई शिकायत दर्ज कराई गई है। विपक्षीजन से बीज की गुणवत्ता के संबंध में की गई शिकायत का भी कोई साक्ष्य नहीं है। परिवादी द्वारा विपक्षीजन से बीज क्रय किये जाने का साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है लेकिन परिवादी बीज की खराब गुणवत्ता को प्रमाणित करने में असफल रहा है। समुचित साक्ष्यों के अभाव में परिवादी के कथन सिद्व नहीं होते है। अतः परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद संख्या-125/2018 निरस्त किया जाता है।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक को आयोग के अध्यक्ष एंव सदस्य द्वारा खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 27.04.2023
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