राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-177/2007
यू0पी0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड
बनाम
श्री वेद प्रकाश पुत्र श्री बदन सिंह
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 29.08.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद संख्या-198/2006 श्री वेद प्रकाश बनाम जनरल मैनेजर, दक्षिणांचल कम्पनी लि0 व दो अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.11.2006 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्तुत अपील विगत लगभग 16 वर्ष से लम्बित है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी के नाम 25 हार्स पावर का विद्युत कनेक्शन था, जिसका लोड 1 किलोवाट का था, परन्तु आवश्यकतानुसार दिनांक 18.11.2004 तक लोड बदलवाया गया। परिवादी द्वारा आवश्यकता न होने के कारण दिनांक 20.05.2006 को पी0डी0सी0 हेतु आवेदन करते हुए 275/-रू0 जमा किया गया तथा दिनांक 29.05.2006 को मीटर हटाकर उसे जांच हेतु लैब भेजा गया, जिसमें मीटर की सील सही
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पायी गयी व दिनांक 06.06.2006 को रिपोर्ट तैयार की गयी। उस समय तक परिवादी पर कोई बकाया नहीं था, परन्तु विपक्षीगण द्वारा 56,918/-रू0 का बिल भेजा गया। परिवादी द्वारा इस संबंध में शिकायत करने पर सिक्योरिटी की राशि काटकर 44,582/-रू0 का बिल भेजा गया, जो गलत है तथा परिवादी द्वारा शिकायत करने पर कोई संशोधन की कार्यवाही नहीं की गयी। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया तथा मुख्य रूप से कथन किया गया कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण का पूरा रूपया जमा नहीं किया गया है। विपक्षीगण द्वारा भेजा गया 44,582/-रू0 का बिल सही है। परिवाद का कोई वाद कारण नहीं है। परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
''परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी-3 को आदेशित किया जाता है कि आर0सी0 निरस्त करें तथा विपक्षीगण द्वारा भेजा गया विद्युत बिल दि0 30-6-06 रूपया 44582/- एतत् द्वारा निरस्त किया जाता है। तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि नियमानुसार परिवादी द्वारा जमा सिक्योरिटी धनराशि को 3 प्रतिशत ब्याज सहित वापस आदेश की दिनांक से 30 दिन के भीतर करें साथ ही आदेश की दिनांक से 30 दिन के भीतर 1500/-रूपया परिवाद व्यय का अदा करें। अवहेलना करने पर आदेश की दिनांक से वास्तविक भुगतान की दिनांक तक 9 प्रतिशत ब्याज 1500/-रूपया व सिक्योरिटी की राशि पर देय होगा।''
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता
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आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, परन्तु मेरे विचार से जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो परिवाद व्यय के रूप में 1500/-रू0 तथा उक्त राशि व सिक्योरिटी राशि पर जो ब्याज की देयता सुनिश्चित की गयी है, उसे न्यायहित में समाप्त किया जाना उचित है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद संख्या-198/2006 श्री वेद प्रकाश बनाम जनरल मैनेजर, दक्षिणांचल कम्पनी लि0 व दो अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.11.2006 को संशोधित करते हुए परिवाद व्यय के रूप में 1500/-रू0 तथा उक्त राशि व सिक्योरिटी राशि पर ब्याज की देयता को समाप्त किया जाता है। जिला उपभोक्ता आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1