राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-340/2004
यूनियन आफ इंडिया, मनिस्ट्री आफ रेलवे द्वारा सेक्रेटरी बड़ौदा हाऊस
नई दिल्ली एवं 11 अन्य। .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
वेद प्रकाश वर्मा निवासी ए-266 लाजपत नगर साहिबाबाद जिला
गाजियाबाद, यू0पी0। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री उमेश कुमार बाजपेयी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 15.04.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या 937/97 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 24.12.2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है।
अपीलार्थी की तरफ से विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार बाजपेयी उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की तरफ से कोई उपस्थित नहीं है। उनको नोटिस कई बार भेजी जा चुकी है। पत्रावली का अवलोकन किया गया एवं अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गई।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी को दि. 26.08.96 को एक रिजर्व टिकट पर हापुड़ से लखनऊ जाना था। जब वह डिब्बे में गया तो देखा कि उसकी सीट पर अनाधिकृत लोगों ने जो रैली के रूप में जा रहे थे कब्जा कर रखा है। किसी तरह वह बचता बचाता लखनऊ पहुंचा तो पाया कि बीच में रू. 5000/- की धनराशि लखनऊ खर्चे के लिए ले जा रहा था छीन ली थी। परिवादी को अपने रिर्जव टिकट का लाभ नहीं मिला और उसे अपमानित होना पड़ा।
विपक्षीगण का कहना है कि वादी समय के अनुसार प्रश्नगत ट्रेन से लखनऊ ठीक समय से पहुंचत गया था, अत: वादी को यदि कोई शिकायत थी तो फौजदारी न्यायालय में कार्यवाही करनी चाहिए थी।
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जिला फोरम के निर्णय दि. 24.12.03 व परिवाद पत्र से स्पष्ट है कि परिवादी ने रू. 5000/- की धनराशि को छिनने वाली बात बताया है, जिसको वह लखनऊ खर्च के लिए ले जा रहा था और यह भी कहा गया कि अनाधिकृत लोगों ने जो रैली के रूप में थे, हापुड़ से लखनऊ के लिए जा रहे थे। उन्होंने कब्जा कर रखा था। वादी रिजर्व टिकटों के अधीन सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सका, जिससे वह पीडि़त हुआ।
केस के तथ्य एवं परिस्थितियों के आधार पर हम यह पाते हैं कि जिला फोरम द्वारा रू. 10000/- प्रतिकर दिलाया गया है, उसको परिवर्तित करते हुए रू. 5000/- प्रतिकर लगाना न्यायोचित होगा। 4 प्रतिशत ब्याज लगाया गया है वह समाप्त किए जाने योग्य है। रू. 1000/- वाद व्यय लगाया गया है वह भी समाप्त किए जाने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला फोरम द्वारा अपने निर्णय/आदेश दि. 24.12.2003 में रू. 10000/- हर्जाना लगाया गया है, उसको परिवर्तित करते हुए रू. 5000/- किया जाता है। जिला मंच द्वारा 4 प्रतिशत का ब्याज लगाया गया है वह समाप्त किया जाता है एवं रू. 1000/- वाद व्यय लगाया गया है वह भी समाप्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाए।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5