राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 526/2017
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0- 22/2009 में पारित आदेश दि0 20.03.2015 के विरूद्ध)
लक्ष्मी कोल्ड स्टोरेज एण्ड एलाइड इण्डस्ट्रीज, चॉदपुर हरवंश पोस्ट-डाभासेमर इलाहाबाद रोड, फैजाबाद जिला- फैजाबाद, द्वारा प्रबंधक।
.......अपीलार्थी
बनाम
- वेद प्रकाश मिश्र पुत्र नन्द किशोर मिश्र, आयु लगभग 58 वर्ष, निवासी ग्राम व पोस्ट- मुबारकगंज, तहसील- सोहावल, परगना मंगलसी, जिला- फैजाबाद।
- जिला उद्यान अधिकारी, जिला-फैजाबाद।
- जिलाधिकारी, जिला-फैजाबाद।
..........प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ब्रज कुमार उपाध्याय,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री चन्द्रिका प्रसाद मिश्र,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण सं0- 2 और 3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 19.03.2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 22/2009 वेद प्रकाश मिश्र बनाम प्रबंधक लक्ष्मी कोल्ड स्टोरेज व दो अन्य में जिला फोरम, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 20.03.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध आंशिक रूप से स्वीकार एवं आंशिक रूप से खारिज किया जाता है। परिवादी का परिवाद विपक्षी सं0- 2 व 3 के विरुद्ध खारिज किया जाता है। विपक्षी सं0- 1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके बीज के आलू की कीमत रूपये 25,000/- (रूपये पच्चीस हजार मात्र) परिवाद दाखिल करने की दिनांक से 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज के साथ आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्दर तारोज वसूली की दिनांक तक अदा करे। क्षतिपूर्ति के मद में रूपये 5,000/- (रूपये पांच हजार मात्र) तथा परिवाद व्यय के मद में रूपये 3,000/- (रूपये तीन हजार मात्र) भी अदा करे।‘’
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी लक्ष्मी कोल्ड स्टोरेज की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गई है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ब्रज कुमार उपाध्याय और प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री चन्द्रिका प्रसाद मिश्र उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थीगण सं0- 2 और 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
मैंने अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में दि0 30.03.2008 को कुल 160 पैकेट आलू जिसमें प्रत्येक में 54 किलो था, रखा था। आलू भण्डारण के समय आलू सामान्य स्थिति में था।
परिवाद पत्र के अनुसार 25 पैकेट आलू प्रत्यर्थी/परिवादी ने वापस लिया, परन्तु जब उसने 10 पैकेट आलू निकलवाया तो आलू की दशा अति दयनीय थी और सम्पूर्ण आलू में जमाव हो गया था तथा आलू बोने लायक नहीं रह गया था। अत: दि0 31.10.2008 को इसकी सूचना प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को दिया। उसने विपक्षीगण सं0- 2 और 3 अर्थात जिला उद्यान अधिकारी, फैजाबाद और जिलाधिकारी को भी सूचित किया, परन्तु कोई कार्यवाहीं नहीं की गई। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि आलू को सुरक्षित ढंग से भण्डारित रखना अपीलार्थी/विपक्षी का कर्तव्य था, परन्तु उसने आलू को सुरक्षित ढंग से भण्डारित नहीं किया है और सेवा में कमी की है। अत: विवश होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्तुत कर यह स्वीकार किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने उपरोक्त आलू के पैकेट उसके कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित किये हैं। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने रसीद सं0- 4439 के द्वारा जमा 25 पैकेट आलू निकाला है जो पूर्ण रूप से सही था। शेष आलू उसने स्वयं नहीं निकाला है, क्योंकि आलू का बाजार भाव बहुत कम था और कोल्ड स्टोरेज का खर्चा देने के बाद घाटा हो रहा था। अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन में कहा है कि अनुबंध के अनुसार दि0 31.10.2008 के बाद आलू निकासी न करने पर कोल्ड स्टोरेज का कोई दायित्व नहीं रहता है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि परिवादी ने गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह निष्कर्ष अंकित किया है कि परिवादी परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। अत: वह अनुतोष पाने का अधिकारी है। अत: जिला फोरम ने उपरोक्त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुकूल नहीं है। जिला फोरम ने आलू का जो मूल्य निर्धारित किया है वह अधिक है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी अपना आलू समय से नहीं ले गया है जिससे आलू खराब हुआ है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा भी नहीं दिया है। अत: आलू का जो भी मूल्य निर्धारित किया जाता है उससे कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा कम किया जाना आवश्यक है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुकल है और इसमें किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभयपक्ष के तर्क पर विचार किया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद में 115 पैकेट आलू का मूल्य 23,000/-रू0 अंकित किया है और यह धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाये जाने का अनुरोध किया है। अत: जिला फोरम ने जो आलू की कीमत 25,000/-रू0 निर्धारित की है वह परिवाद पत्र में अंकित मूल्य से अधिक है। अत: प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रश्नगत आलू का मूल्य 23,000/-रू0 निर्धारित किया जाना उचित है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भण्डारित आलू का कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा अदा किया जाना अभिकथित नहीं है और उपलब्ध साक्ष्यों से भी यह स्पष्ट नहीं होता है कि भण्डारित आलू का भाड़ा प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को अदा किया है। अत: कोल्ड स्टोरेज में 115 पैकेट आलू के भण्डारण का किराया 5,000/-रू0 आलू के मूल्य 23,000/-रू0 में समायोजित किया जाना उचित प्रतीत होता है। अत: आलू की क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी से प्रत्यर्थी/परिवादी को 18,000/-रू0 दिलाया जाना उचित है। जिला फोरम ने जो 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवाद दाखिल करने की तिथि से ब्याज दिया है वह उचित है इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, परन्तु जिला फोरम ने जो क्षतिपूर्ति 5,000/-रू0 प्रदान की है उसे अपास्त किया जाना उचित है, क्योंकि आलू के मूल्य पर ब्याज दिया गया है। जिला फोरम ने जो 3,000/-रू0 वाद व्यय दिया है वह उचित है। उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को आलू की क्षतिपूर्ति हेतु 18,000/-रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ अदा करे। इसके साथ ही वह प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गई 3,000/-रू0 वाद व्यय की धनराशि भी अदा करे।
जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी को 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति प्रदान की है उसे अपास्त किया जाता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1