Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/115

M/s Transesia Bio Medical - Complainant(s)

Versus

Ved Daignostics Centre - Opp.Party(s)

Dr. Uday Veer Singh

25 Aug 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/115
( Date of Filing : 24 Jan 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Transesia Bio Medical
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ved Daignostics Centre
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Aug 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

अपील संख्‍या-115/2005

मै0 ट्रांसेसिया बायो मेडिकल्‍स बनाम वेद डायग्‍नोस्टिक्‍स सेंटर

 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

27.02.2023

परिवाद संख्‍या-382/2003, वेद डाइग्‍नोस्टिक्‍स सेंटर बनाम मेसर्स बी.आर. डाइग्‍नोस्टिक्‍स तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, जौनपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.04.2004 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री श्रीकृष्‍ण पाठक तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री ए.के. मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.04.2004 के विरूद्ध यह अपील दिनांक 24.01.2005 को प्रस्‍तुत की गई है। देरी माफ करने के लिए प्रस्‍तुत किए गए आवेदन (दस्‍तावेज सं0-7) के साथ संलग्‍न शपथ पत्र (दस्‍तावेज सं0-8) में यह उल्‍लेख है कि दिनांक 30.04.2004 के निर्णय की जानकारी दिनांक 07.07.2004 को हुई जब अपीलार्थी को नोटिस प्राप्‍त प्राप्‍त हुआ, इसके बाद दिनांक 21.09.2004 को निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्‍त करने के लिए आवेदन प्रस्‍तुत किया गया, परन्‍तु यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया कि दिनांक 07.07.2004 को नोटिस मिलने के पश्‍चात दिनांक 21.09.2004 को यानी 2.5 माह मश्‍चात निर्णय की प्रमाणित प्रति प्राप्‍त करने के लिए आवेदन क्‍यों प्रस्‍तुत किया गया। दिनांक 18.10.2004 को प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्‍त हो चुकी थी, इसके बावजूद अपील दिनांक 24.01.2005 को प्रस्‍तुत की गई। अत: यह देरी स्‍पष्‍ट नहीं की गई है, इसलिए देरी माफ करने के लिए पर्याप्‍त आधार नहीं है। देरी माफ करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया आवेदन खारिज किया जाता है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील इसी आधार पर निरस्‍त होने योग्‍य है।

अत: प्रस्‍तुत अपील उपरोक्‍तानुसार निरस्‍त की जाती है।

उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

     पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

 

(विकास सक्‍सेना)                                         (सुशील कुमार)

सदस्‍य                                                      सदस्‍य

 लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 

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