जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्री तुषार ओझा पुत्र श्री षिव कुमार जी ओझा, जाति- ब्राह्मण,आयु- 21 वर्ष, निवासी- जगदीषपुरी के सामने, ऋषि घाटी, गंज, अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. वर्धमान मोबाईल वल्र्ड जरिए प्रोपराईटर ब्रांच स्टेषन रोड़, जैन रेडिमेड के पास, अजमेर।
2. स्पाईस कम्पनी जरिए प्रबन्धक, एस ग्लोबल नाॅलेज पार्क, 19-ए एवं 19-बी सेक्टर, 125 नोएडा-201301, उत्तरप्रदेष
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 314/2014
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री षाहबुद्दीन खान, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री ओम नारायण पालड़िया, अधिवक्ता अप्रार्थी सं.2
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 02.12.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा निर्मित स्पाईस मोबाईल 435 दिनंाक 14.7.2013 को रू. 6300/- में क्रए किए जाने के बाद एक वर्ष की वारण्टी अवधि में ही सैट के हैंग होने, म्यूजिक सिस्टम अटक अटक कर चलने, आवाज सही नहंी सुनाई देने की समस्या उत्पन्न होने पर उसने अप्रार्थी संख्या 1 की सलाह पर कम्पनी के सर्विस सेन्टर को दिखाया । सैट लौटाए जाने के 7 दिन बाद ही सैट की स्क्रीन काली हो गई व सैट बन्द हो गया । सर्विस सेन्टर पर दिखाए जाने पर उसकी पीसीबी बदलने को कहा और दो दिन बाद सैट ठीक कर दे दिया । इसी प्रकार बार बार मोबाईल बन्द होने इत्यादि की समस्या की दुरूस्ती के लिए सर्विस सेन्टर पर दिखाया गया किन्तु उसका मोबाईल ठीक करके नहीं दिया तो उसने दिनंाक 201.2014 को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भी दिया किन्तु कोई ध्यान नहीं दिया । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थीगण की सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी संख्या 1 बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्व दिनांक 13.7.2015 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई ।
3. अप्रार्थी संख्या 2 ने जवाब प्रस्तुत कर परिवाद में दर्षाए गए तथ्यों का खण्डन करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि परिवाद आधारहीन व विधि अनुसार चलने योग्य नहीं है तथा खारिज होने योग्य है । क्योंकि उत्तरदाता की ओर से किसी प्रकार का कोई सेवा में कमी का परिचय नहीं दिया गया है । उसके विरूद्व किसी प्रकार का आरोप भी नहीं लगाया गया है । मदवार जवाब में प्रार्थी द्वारा बताए गए तथ्यों को उसकी ओर से स्वयं सिद्व करना बताया है तथा स्वयं को इनके बार में किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं होना कथन किया है । अन्त में परिवाद को निरस्त होने योगय बताया ।
4. प्रार्थी का तर्क रहा है कि उसके द्वारा खरीदषुदा मोबाईल फोन का उसकी खरीद के साथ ही 3 दिनों के अंदर अंदर खराब होने पर उसे अप्रार्थी संख्या 1 को दिखाया गया । इस पर उनके कहने पर डीलर के पास ले गया । जिसने उक्त फोन ठीक किया । पुनः 7 दिन बाद खराब होने पर सर्विस सेन्टर गया तो उन्होंने पी.सी.बी. चेंज करने के लिए कहा तथा ठीक कर दिया था । वापस लाकर आॅन किया गया तो यह पुनः चला नहीं । इस पर उसने पुनः सर्विस सेन्टर में दिखाया तो इसे 7-8 दिन बाद रख कर लौटाया दिया गया जो आॅन करने पर पुनः एक दिन बाद बंद हो गया तथा आज दिन तक बंद है । तर्क पेष किया कि उसने बार बार सर्विस सेन्टर के चक्कर लगाए किन्तु उन्होंने ठीक करने से मना कर दिया जबकि फोन वारण्टी अवधि में है । उसने अपने वकील के माध्यम से नोटिस भी दिया किन्तु इसका कोई जवाब नहीं देकर एवं उक्त मोबाईल में आई खराबी को ठीक नही ंकर सेवा में कमी का परिचय दिया है । परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए ।
5. अप्रार्थी संख्या 1 के विरूद्व एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई है जबकि अप्रार्थी संख्या 2 निर्माता कम्पनी ने खण्डन में अपने तर्काे में परिवाद को आधारहीन, विधि अनुसार चलने योग्य नहीं बताते हुए अपने पर किसी भी प्रकार की सेवा में कमी होने से इन्कार किया । उनका तर्क है कि प्रार्थी अपना पक्ष कथन स्वयं सिद्व करें । विनिष्चय माननीय राज्य आयोग के मनोज कुमार बनाम वर्धमान मोबाईल में दिए गए निर्णय दिनंाक 23.1.2015 को उद्वरित किया है । परिवाद अस्वीकार होने योग्य बताया ।
6. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों कें साथ साथ प्रस्तुत नजीर में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्त का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
7. प्रार्थी के प्रष्नगत मोबाईल सैट को अप्रार्थी संख्या 1 से दिनंाक 14.7.2013 को खरीद करना सिद्व है । जैसा कि प्रस्तुत रसीद से स्पष्ट है । यह भी सिद्व है कि इस पर एक वर्ष की वारण्टी थी ।
8. प्रार्थी ने परिवाद में उक्त मोबाईल के क्रय किए जाने की तिथि से एक माह के अन्दर 3 बार खराब होना व बार बार इसके ठीक होने पर पुनः खराब होना बताया है । जबकि इस बाबत् इनकी कोई जाॅबषीट नहीं है ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ध्ं जो जाॅबषीट प्रस्तुत की है, में उसके द्वारा दिनांक 23.10.2012 को उक्त मोबाईल को केसरगंज स्थित सर्विस सेन्टर में दिखाना सामने आया है तथा तत्समय इसमें इसका हैंग होना तथा गर्म होने बाबत प्राब्लम बताई गई है । इसमें नीचे की ओर कस्टमर के प्राप्ति स्वरूप हस्ताक्षर का स्थान बताया गया है ध्ं किन्तु यह काॅलम खाली बताया है तथा इसके दायीं ओर हस्ताक्षर है । जिससे यह प्रकट नहीं होता है कि ये हस्ताक्षर प्रार्थी के हंै अथवा सर्विस सेन्टर के प्रतिनिधि के । इस प्रकार इस जाॅबषीट से प्रार्थी पक्ष का कथन सिद्व नहीं माना जा सकता कि वह बार बार इसे ठीक कराने गया व ठीक करके नहीं दिया गया । इसके अलावा प्रार्थी ने अप्रार्थी के रूप में उक्त सर्विस सेन्टर को भी पक्षकार नहीं बनाया है । अपने परिवाद में उसने बार बार सर्विस सेन्टर में जाना बताया है परन्तु उक्त सर्विस सेन्टर द्वारा उसकी षिकायत पर क्या कार्यवाही हुई, यह भी सिद्व नहीं है । कुल मिलाकर स्थिति यह है कि एक बार खरीद के बाद इसमें दोबारा बार बार क्या खराबी आई , यह प्रार्थी सिद्व नहीं कर पाया है । हम इस संबंध में अप्रार्थी द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय में प्रतिपादित सिद्वान्त से सहमत है ।
9. सार यह है कि उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में परिवाद अस्वीकार होकर खारिज होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
10. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 02.12.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष