Uttar Pradesh

StateCommission

A/972/2024

Punjab National Bank Erstwhile Oriental Bank of Commerce - Complainant(s)

Versus

Vandana Mishra - Opp.Party(s)

Avaneesh Pal & Vijay Priya

19 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/972/2024
( Date of Filing : 09 Jul 2024 )
(Arisen out of Order Dated 04/12/2023 in Case No. Complaint Case No. CC/25/2023 of District Lucknow-II)
 
1. Punjab National Bank Erstwhile Oriental Bank of Commerce
Branch at subhash marg distt lucknow through its branch manager
...........Appellant(s)
Versus
1. Vandana Mishra
225/10 harihar bhawan subash marg ram mandir lucknow distt lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Jul 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-972/2024

पंजाब नेशनल बैंक

बनाम

वन्‍दना मिश्रा पुत्री श्री उमाकान्‍त मिश्रा

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अवनीश पाल एवं                                                      

                           सुश्री विजय प्रिया,  

                           विद्वान अधिवक्‍तागण।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 19.07.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता          आयोग-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-25/2023 वन्‍दना मिश्रा बनाम ओरियन्‍टल बैंक आफ कामर्स अब पंजाब नेशनल बैंक में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.12.2023 के विरूद्ध योजित की गयी है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण श्री अवनीश पाल एवं सुश्री विजय प्रिया को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि विपक्षी की ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स, शाखा सुभाष मार्ग, लखनऊ में स्व० कृष्णकान्त मिश्रा के साथ परिवादिनी का संयुक्त खाता संख्या-51912122000517 था। उक्त ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स/विपक्षी पंजाब नेशनल बैंक में मर्ज हो गया। परिवादिनी के साथ संयुक्त खाताधारक स्व० कृष्णकान्त मिश्रा का दिनांक 13.04.2021 को स्वर्गवास हो गया। परिवादिनी का यह भी कथन है कि  परिवादिनी

 

 

 

-2-

एवं उमाकांत मिश्रा का विपक्षी/पंजाब नेशनल बैंक की ही शाखा में दूसरा संयुक्त खाता संख्या-51912191012257 है तथा विपक्षी को उपरोक्त वर्णित खाता संख्या- 51912122000517 में जमा धनराशि का स्थानान्तरण संयुक्त खाता संख्या-51912191012257 में करने हेतु प्रार्थना पत्र दिनांकित 16.08.2021 प्रेषित किया गया था, परन्तु एक वर्ष बीत जाने के पश्चात भी विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी और प्रार्थना पत्र मूल रूप में बिना कोई आदेश किये वापस कर दिया गया।

परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी द्वारा उक्त खाता संख्या-51912122000517 के लेन-देन पर भी रोक लगा दी गयी तथा उसमें जमा धनराशि  7,83,693/-रु० ब्याज सहित का स्थानान्तरण भी संयुक्त खाता संख्या-51912191012257 में नहीं किया गया। उक्त के संबंध में परिवादिनी द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक विधिक नोटिस दिनांकित 18.11.2022 को विपक्षी को प्रेषित किया गया, परन्तु विपक्षी द्वार कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इस प्रकार विपक्षी द्वारा परिवादिनी के प्रति सेवा में कमी की गयी। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षी बैंक के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी बैंक की ओर से न तो प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा न ही विपक्षी बैंक जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख उपस्थित हुआ। तदनुसार विपक्षी बैंक के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवादिनी के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में निम्‍न तथ्‍य उल्लिखित किए गए:-

''परिवादिनी द्वारा याचित अनुतोष के संबंध में प्रस्तुत प्रकरण की पत्रावली के सम्यक परिशीलन से यह  स्पष्ट  हो  रहा  है  कि

 

 

 

-3-

परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र के साथ विपक्षी/ओरियन्टल बैंक आफ कामर्स अब पंजाब नेशनल बैंक में संयुक्त संख्या-51912122000517 के पास बुक की प्रति साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की गयी है, जिसके परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादिनी व स्व० कृष्णकान्त मिश्रा का उक्त संयुक्त खाता संख्या-51912122000517 विपक्षी की बैंक में था, जिसमें 7,83,693/-रू0 की धनराशि जमा है। परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के साथ नगर निगम, लखनऊ द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति साक्ष्य के रूप में पत्रावली पर प्रस्तुत की गयी है, जिसके परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि उपरोक्त वर्णित खाता संख्या-51912122000517 के संयुक्त खाताधारक में से एक खाताधारक कृष्णकान्त मिश्रा का दिनांक 13.04.2021 को मृत्यु हो गयी थी। उक्त संबंध में परिवादिनी द्वारा यह तर्क किया गया है कि उक्त खाता संख्या-51912122000517 के संयुक्त खाताधारक कृष्णकान्त मिश्रा की मृत्यु के दिनांक 13.04.2021 को होने के पश्चात उसके द्वारा उक्त खाता संख्या में जमा धनराशि 7,83,693/-रू0 को विपक्षी बैंक में परिवादिनी के अन्य संयुक्त खाता संख्या 51912191012257 में स्थानान्तरित करने हेतु विपक्षी को प्रार्थना पत्र दिया गया था, परन्तु विपक्षी द्वारा उक्त प्रार्थना पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी तथा उक्त खाता संख्या- 51912122000517 में जमा धनराशि के लेन-देन पर रोक लगा दी गयी। ऐसा करके विपक्षी द्वारा परिवादिनी के प्रति सेवा में कमी की गयी है।

परिवादिनी द्वारा किये गये उक्त तर्क के संबंध में प्रस्तुत प्रकरण की पत्रावली के परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादिनी का उपरोक्त वर्णित खाता संख्या-51912122000517 विपक्षी के यहाँ था, जिसमें परिवादिनी के साथ कृष्णकान्त मिश्रा संयुक्त खाताधारक थे तथा उक्त खाते में 7,83,693/-रू0 की धनराशि जमा है, जिसकी पुष्टि परिवाद पत्र के  साथ  संलग्न  उक्त

 

 

 

-4-

खाता संख्या की पासबुक की प्रति से हो रही है। पत्रावली के परिशीलन से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि उक्त खाता संख्या-51912122000517 के संयुक्त खाताधारक कृष्णकान्त मिश्रा की मृत्यु दिनांक 13.04.2021 को ही गयी थी, जिसकी पुष्टि परिवाद पत्र के साथ संलग्न कृष्णकान्त मिश्रा के मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति से हो रही है। परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के साथ खाता संख्या-51912191012257 के पासबुक की प्रति साक्ष्य के रूप में पत्रावली पर प्रस्तुत की गयी है, जिसके परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि उक्त खाता संख्या-51912191012257 विपक्षी बैंक की शाखा में है, जिसमें परिवादिनी व उमाकान्त मिश्रा संयुक्त खाताधारक हैं। पत्रावली के परिशीलन से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र के साथ विपक्षी को प्रेषित पत्र दिनांकित 16.08.2021 की प्रति साक्ष्य के रूप में पत्रावली पर प्रस्तुत की गयी है, जिसके परिशीलन से यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवादिनी द्वारा उक्त पत्र के माध्यम से विपक्षी को खाता संख्या-51912122000517 के संयुक्त खाताधारक कृष्‍णकान्त मिश्रा की मृत्यु की सूचना देते हुए यह प्रार्थना की गयी थी कि उक्त खाता संख्या- 51912122000517 में जमा धनराशि को विपक्षी बैंक में परिवादिनी के अन्य संयुक्त खाता संख्या-51912191012257 में स्थानान्तरित कर दिया जाये, परन्तु विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। उक्त संबंध में परिवादिनी द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक विधिक नोटिस दिनांकित 18.11.2022 विपक्षी को प्रेषित किया गया, जिसकी पुष्टि परिवाद पत्र के साथ संलग्न विधिक नोटिस की प्रति से हो रही है। विपक्षी द्वारा उक्त विधिक नोटिस का भी परिवादिनी को कोई जवाब नहीं दिया गया। उक्त के संबंध में यहाँ यह कहना प्रासंगिक होगा कि संयुक्त खाताधारक की स्थिति में प्रत्येक खाताधारक को संबंधित संयुक्त खाते को संचालित

 

 

 

 

-5-

करने का पूर्ण रूप से नियमानुसार अधिकार होता है, परन्तु विपक्षी द्वारा परिवादिनी के उक्त पत्र दिनांकित 16.08.2021 पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी, जो कि नियमों के विरुद्ध है। ऐसा करके विपक्षी द्वारा परिवादिनी के प्रति सेवा में कमी की गयी है। तदनुसार परिवादिनी का उक्त तर्क आधारयुक्त और बलयुक्त है।''

तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

''परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद, विपक्षी के विरुद्ध आंशिक रूप से एकपक्षीय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह निर्णय की तिथि से 30 दिन के भीतर परिवादिनी के संयुक्त खाता संख्या-51912122000517 में जमा धनराशि 7,83,693/-रू० विपक्षी की शाखा में संचालित उसके अन्य संयुक्त खाता संख्या-51912191012257 में स्थानान्तरित कर दे तथा विपक्षी उक्त धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से परिवाद दाखिल करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक ब्‍याज की धनराशि का भुगतान परिवादिनी को करे। इसके अतिरिक्त विपक्षी परिवादिनी को मानसिक कष्ट हेतु 10,000/-रु० तथा वाद व्यय हेतु 5,000/-रु० भी उक्त अवधि में अदा करे। निर्धारित अवधि में उक्त धनराशियॉं अदा न करने पर विपक्षी परिवादिनी को उक्त धनराशियों पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से भुगतान करने का दायी होगा।''

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने तथा समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त  विधि  अनुसार

 

 

 

 

-6-

निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु पर्याप्‍त आधार नहीं हैं।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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