Uttar Pradesh

StateCommission

A/246/2022

B.M. Canara Bank - Complainant(s)

Versus

Vaibhav Jain - Opp.Party(s)

Nitin Khanna

19 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/246/2022
( Date of Filing : 08 Apr 2022 )
(Arisen out of Order Dated 21/01/2022 in Case No. C/2019/70 of District Rampur)
 
1. B.M. Canara Bank
Civil Lines Rampur
...........Appellant(s)
Versus
1. Vaibhav Jain
S/o Sri Raj Bihari Jain R/o In Frot of S.B.I. House Rahai Raja Gangapur Tehsil Sadar Dist. Rampur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Apr 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)                                                                                  

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या:-246/2022

ब्रांच मैनेजर कैनरा बैंक व अन्‍य

बनाम

वैभव जैन आयु लगभग 47 साल पुत्र श्री राज बिहारी जैन

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य            

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता: श्री नितिन खन्‍ना

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता   : श्री राजेश कुमार सिंह

दिनांक :- 19.04.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, रामपुर द्वारा परिवाद सं0-70/2019 वैभव जैन बनाम प्रबंधक कैनरा बैंक व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.01.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि दिनांक 1.12.97 को परिवादी ने कैनरा बैंक सिविल लाइन्स रामपुर से रू० एक लाख का एफ डी आर संख्या 177/97 अपने नाम से लिया। परिपक्वता राशि लेने के लिए दिनांक 15.1.98 को परिवादी विपक्षी संख्या 1 के पास गया, तब विपक्षी बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों ने कुछ दिन बाद आने के लिए कहा, इसके बाद भी परिवादी कई बार विपक्षी बैंक में गया, किन्तु विपक्षी कर्मचारियों ने कोई सन्तोषजनक जबाब नही दिया। दिनांक 12.7.19 को भी परिवादी अपनी मियादी जमा रसीद लेकर बैंक गया, तब विपक्षी बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपशब्दों का प्रयोग करते हुए परिवादी को बैंक से भगा दिया, विपक्षी बैंक परिवादी को उसकी जमा राशि नहीं दे रहे हैं। इससे परिवादी को शारीरिक, आर्थिक व मानसिक पीड़ा हुई। विधिक नोटिस के बाद भी विपक्षी बैंक ने एफ डी आर की राशि का भुगतान नही किया तब यह परिवाद प्रस्तुत किया गया ।

           विपक्षी संख्या 1 की ओर से प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र में एफ डी आर 177/97 को स्वीकार किया गया, किन्तु यह कहा गया कि परिवादी ने इस एफ डी आर का पैसा पूर्व में ही प्राप्त कर लिया है। एफ डी आर मैनुअल रूप से बनायी गयी थी और मैनुअल रूप से इसका पेमेन्ट भी किया गया, इसके उपरान्त बैंक में कम्प्यूटरीकरण हुआ, सारा मैनुअल रिकार्ड वीड किया जा चुका है, इसी का फायदा उठाते हुए परिवादी ने पुनः एफ डी आर लगाकर, परिवाद संस्थित किया है। दिनांक 14.1.98 व उसके पश्चात 2018 तक परिवादी ने इस सम्बन्ध में कोई पत्राचार नही किया था, इसी से सिद्ध है कि मैच्योरिटी के बाद एफ डी आर की धनराशि का भुगतान परिवादी को किया जा चुका है और यह कहा गया कि परिवाद कालबाधित है ।

         विपक्षी सख्या 2 व 3 की ओर से प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र में उन्हीं अभिकथनों को दोहराया गया, जो अभिकथन विपक्षी संख्या 1 के प्रतिवाद पत्र में किये गये थे।

         जिला उपभोक्‍ता आयोग ने पक्षकारों के अभिकथनों, साक्ष्य व तर्को पर विचार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया:-  

           ‘’परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह इस आदेश के पारित होने के 45 दिन के अन्दर रू0 100616.00 व दिनांक 15.01.1998 से वास्तविक अदायगी की तिथि तक इस राशि पर 5 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज अदा करें। विपक्षीगण परिवादी को रू0 5 हजार वाद व्यय भी अदा करेंगे । विपक्षीगण का यह दायित्व संयुक्त रूप से व अलग अलग होगा ।‘’

         हमने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को विस्‍तृत रूप से सुना एवं पत्रावली का सम्‍यक अवलोकन किया।

         पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी ने कैनरा बैंक में दिनांक 01.12.1997 को 1,00,616/-रू0 एफ0डी0आर0 करायी, लेकिन परिपक्‍वता की तिथि दिनांक 15.01.1998 को उक्‍त एफ0डी0आर0 की धनराशि उसे नहीं दी गयी, जबकि इस संबंध में विपक्षी कैनरा बैंक का कथन है कि एफ0डी0आर0 मैनुअल रूप से बनाया गया और मैनुअल रूप से ही इसका भुगतान परिवादी द्वारा लिया जा चुका है, चूंकि 10 वर्ष से अधिक का समय व्‍यतीत हो चुका है, इसलिए बैंक का समस्‍त रिकार्ड नष्‍ट किया जा चुका है।

         पत्रावली पर कैनरा बैंक की ओर से ऐसा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत    नहीं किया गया, जिससे परिलक्षित हो कि कैनरा बैंक द्वारा नष्‍ट किये गये  अभिलेखों में परिवादी से संबं‍धित अभिलेख भी नष्‍ट कर दिये गये हों इस संबंध में विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपनी विवेच्‍य निर्णय में यह अवधारित किया है कि ट्रांजेक्‍शन की तिथि से 05 वर्ष तक रिकार्ड सुरक्षित करने के दिशा-निर्देश विपक्षी कैनरा बैंक के पास सुरक्षित है, लेकिन इस प्रकार का कोई नियम व दिशा-निर्देश बैंक के पास नहीं है कि वह अपना लेजर भी नष्‍ट कर देगा। यह उल्‍लेखनीय है कि बैंक का लेजर तब तक सुरक्षित रखा जाता है जब तक उसे डिजिटाइज्‍ड फार्म में सु‍रक्षित न रख लिया गया हो।

     हमारे द्वारा पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्‍मत है, उसमें किसी प्रकार की ़कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं पायी गई।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।  

   प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

    (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                      (विकास सक्‍सेना)                           

अध्‍यक्ष सदस्‍य

 

 

  

    संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 1

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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