(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
सुरक्षित
अपील संख्या 1513/1999
(जिला मंच बलिया द्वारा परिवाद सं0 216/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 07/05/1999 के विरूद्ध)
यूनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर, व तीन अन्य
…अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
राम जी दुबे पुत्र स्व0 जगेश्वर दुबे निवासी- ग्राम किशुनीपुर जिला बलिया।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
अपील संख्या 2657/1999
(जिला मंच सीतापुर द्वारा परिवाद सं0 315/1996 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 10/08/1999 के विरूद्ध)
यूनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर, एन.ई. रेलवे गोरखपुर व दो अन्य।
…अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, एडवोकेट निवासी- मोहल्ला इहिपुरा कोठी, सिविल लाइन, जिला लखीमपुर खीरी।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
अपील संख्या 3002/2003
(जिला मंच शाहजहांपुर द्वारा परिवाद सं0 288/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 06/09/2003 के विरूद्ध)
1- यूनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर नार्दन रेलवे बड़ोदा हाउस, न्यू दिल्ली।
2- स्टेशन मास्टर, रेलवे स्टेशन, शाहजहांपुर।
…अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
रीतेश आनन्द पुत्र श्री खुशाल चन्द्र आनन्द निवासी- मोहल्ला बजरिया, लालातेली, शाहजहांपुर।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
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अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री यू0के0 बाजपेयी।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
अपील संख्या 1787/2005
(जिला मंच बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0 244/03 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 27/05/2005 के विरूद्ध)
1- महाप्रबंधक उत्तर रेलवे, बडौदा हाउस, नई दिल्ली।
2- स्टेशन अधीक्षक उत्तर रेलवे, बाराबंकी।
…अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
श्री रणधीर सिंह सुमन, एडवोकेट पुत्र श्री गजेन्द्र सिंह निवासी- 4 कंपनीबाग, जिला बाराबंकी।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री पी0पी0 श्रीवास्तव एवं विभागीय
सहयोगी श्री मिलन सोनकर, श्री राजाराम, श्री डी0के0 आर्या।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
अपील संख्या 1407/2005
(जिला मंच फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0 75/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 02/08/2005 के विरूद्ध)
1- रेल प्रबंधक, वाणिज्य मण्डल हजरतगंज लखनऊ द्वारा यूनियन आफ इंडिया।
2- स्टेशन मास्टर, फैजाबाद रेलवे स्टेशन, फैजाबाद।
…अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
वी0के0 गुप्ता पुत्र श्री आर0पी0 गुप्ता निवासी 3/19/81 गौरापट्टी, जिला फैजाबाद।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री पी0पी0 श्रीवास्तव एवं विभागीय
सहयोगी श्री मिलन सोनकर, श्री ए0के0 तिवारी, श्री तनवीर अहमद।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
अपील संख्या 54/2009
(जिला मंच बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0 127/1994 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 12/12/2008 के विरूद्ध)
1- स्टेशन अधीक्षक, रेलवे स्टेशन बाराबंकी।
2- जनरल मैनेजर, पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर।
…अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
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अशोक कुमार सिंह पुत्र डा0 आर0बी0 सिंह, निवासी बाबू के0डी0 सिंह मार्ग सिविल लाइन्स बाराबंकी।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:
1. मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्यायिक सदस्य।
2. मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री पी0पी0 श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 01-01-2015
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठा0 न्यायिक सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
अपीलकर्ता द्वारा उपरोक्त अपीलें विभिन्न जिला मंचों द्वारा पारित विभिन्न तिथियों पर निस्तारण की गई है जिनमें कि समान विधिक बिन्दु अन्तर्निहित हैं। अत: उपरोक्त समस्त अपीलों का निस्तारण एक साथ किया जाता है।
अपील सं0 1513/1999
अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच बलिया के द्वारा परिवाद सं0 216/1997 यूनियन आफ इंडिया बनाम राम जी दूबे में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 07/05/1999 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’ विपक्षी परिवादी को 2000/ रूपये मानसिक एवं शारीरिक संताप के परिशमन के रूप में दो माह के अंदर अदा करे। परिवादी विपक्षी से मु0 500/ रूपये खर्च के रूप में भी पायेंगे जिसका भुगतान विपक्षी करेंगे। दो माह के अंदर भुगतान नहीं होने पर समेकित उपरोक्त धनराशि पर भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज देय होगा। ‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने स्वयं तथा अपनी वृद्ध मां एवं पोती के लिए मु0 498/ रूपये में ढ़ाई टिकट बलिया रेलवे स्टेशन से खरीदकर बलिया स्टेशन से कावेरी एक्सप्रेस से वाराणसी से मद्रास जाने के लिए कावेरी एक्सप्रेस दिनांक 06/11/96 को वाराणसी से मद्रास जाने हेतु खरीदा, किन्तु दिनांक 06/11/96 को उसे ज्ञात हुआ कि उपरोक्त ट्रेन निरस्त कर दिया गया है। परिवादी अपनी यात्रा सम्पन्न नहीं कर सका और न ही उसे पैसे वापस मिले।
विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से यह कहा गया कि बलिया स्टेशन पर ट्रेन की निरस्त होने की सूचना परिवादी ने प्राप्त नहीं की।
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान ने बहस करते हुए तर्क दिया कि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1) (बी) के अंतर्गत फेयर के रिफण्ड की वापसी हेतु प्राविधान दिया गया है एवं उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्य न्यायालय को ऐसे प्रकरण में सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है।
उपरोक्त प्राविधानों के अंतर्गत परिवादी द्वारा रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1) (बी) के अंतर्गत परिवाद/प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया जाना चाहिए था तथा उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत चूंकि किसी अन्य न्यायालय को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। अत: ऐसी परिस्थिति में अपील स्वीकार किये जाने योग्य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
अपील सं0 2657/1999
अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच सीतापुर के द्वारा परिवाद सं0 315/1996 यूनियन आफ इंडिया बनाम धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 10/08/1999 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’ विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि परिवादी को 1500/ रूपये आज से एक माह के अंदर अदा करे दे अन्यथा परिवादी इस धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत किए जाने की तिथि से भुगतान किये जाने की तिथि तक 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी पाने का अधिकारी होगा।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने दिनांक 06/05/96 को गोण्डा दिल्ली एक्सप्रेस से कोच एस-2 में दो बर्थ आरक्षित कराई थी किन्तु सूचना पर उसे ज्ञात हुआ कि एस-2 कोच नहीं है और इस कारण वह ट्रेन से यात्रा नहीं कर सका तथा स्टेशन मास्टर ने उसके टिकट की धनराशि भी वापस नहीं की।
अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपने कथन में यह बताया गया है कि आरक्षित टिकटों की वापसी के लिए परिवाद रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल की धारा 13 (1) (बी) के अंतर्गत दिया जा सकता है तथा उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्य न्यायालय में परिवाद पोषणीय नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने ।। (2005) सी.पी.जे. 542 (एन.सी.) पर विश्वास
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व्यक्त करते हुए यह तर्क दिया कि प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश अपास्त किये जाने योग्य है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि परिवाद पोषणीय नहीं है, क्योंकि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1) (बी) में किराये की वापसी हेतु रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल में परिवाद दाखिल किया जा सकता है, उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्य न्यायालय का ऐसे प्रकरण में सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
अपील सं0 3002/2003
अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच शाहजहांपुर द्वारा परिवाद सं0 288/2002 यूनियन आफ इंडिया बनाम रीतेश आनन्द में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 06/09/2003 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’ परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि अंकन 4,178/ रूपये का भुगतान परिवादी को कर दे। साथ ही इस धनराशि के अतिरिक्त परिवादी विपक्षी को अंकन 500/ रूपये की धनराशि वाद व्यय के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी होगा।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने दिनांक 23/10/2002 को बरेली से मुगल सराय एक्सप्रेस द्वारा इलाहाबाद के लिए एक बर्थ सुरक्षित कराई थी जिसमें की उसने बर्थ कोच नं0 एस-2 में बर्थ नं0 24 आरक्षित की गई थी। यह आरक्षण परिवादी द्वारा दिनांक 22/10/2002 के लिए किया गया था। परिवादी जब दिनांक 22/10/2002 को शाहजहांपुर स्टेशन पर पहुंचा तो टी0टी0ई0 से पूछने पर ज्ञात हुआ कि गाड़ी में एस-2 कोच नहीं लगा है। वह कोच लखनऊ में लग जायेगा। अत: परिवादी साधारण डिब्बे में बैठकर लखनऊ गया। अत: वहां पुन: टी0टी0 ने बताया कि आज एस-2 कोच नहीं लगेगा। परिवादी/प्रत्यर्थी ने अन्य क्षतिपूर्ति के अतिरिक्त टिकट की धनराशि अंकन 178/ रूपये के भुगतान हेतु परिवाद प्रस्तुत किया है।
अपीलार्थी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि उस दिन एस-2 कोच नहीं लगा था और टिकट की धनराशि वह अभी भी वापस करने को तैयार है, किन्तु इस संबंध में परिवाद रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए था। अत: यह क्लेम रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल
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एक्ट 1987 की धारा 13 व 15 से भी बाधित है। अपीलार्थी ने तर्क दिया कि परिवाद पोषणीय नहीं है, क्योंकि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1) (बी) में किराये की वापसी हेतु रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल में परिवाद दाखिल किया जा सकता है, उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्य न्यायालय का ऐसे प्रकरण में सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
अपील सं0 1787/2005
अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0 244/2003 महाप्रबंधक उत्तर रेलवे बनाम रणधीर सिंह सुमन में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 27/05/2005 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’ विपक्षीगण को संयुक्त रूप से व पृथक-पृथक यह निर्देश दिया जाता है कि इस आदेश के प्राप्त होने के 45 दिन के अंदर परिवादी को हरिद्वार से ऋषिकेश आने व जाने में अधिक वसूला गया किराया वापस करे, साथ ही साथ उक्त निर्धारित अवधि में परिवादी को आर्थिक,शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति (जिसमें टैक्सी पर किया खर्च भी सम्मिलित है) के रूप में 5000/ रूपये व वाद व्यय रू0 1000/ भी अदा करे। इसके अतिरिक्त विपक्षी सं0 1 से यह भी अपेक्षा की जाती है कि ट्रेन नं0 3010 ए कोच सं0 एस-6 के दिनांक 09/11/2003 के कन्डक्टर विरूद्ध जांच करावें और यदि आर0ए0सी0 के विरूद्ध बर्थ आवंटन में गड़बड़ी पायी जाय तो उनके विरूद्ध कार्यवाही भी करें।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने दिनांक 28/10/2003 को अपने व परिवार के दो अन्य सदस्यों का रिजर्वेशन बाराबंकी से ऋषिकेश जाने व वापस आने के लिए कराया था। उसे दिनांक 07/11/2003 को जाने हेतु उसे कोच सं0 एस- 7 में बर्थ 42,43, व 45 आवंटित किया गया था तथा वापसी आने के लिए आर.ए.सी. 10,11, व 12 आवंटित किया गया था। परिवादी/प्रत्यर्थी को उसके परिवार सहित हरिद्वार में उतार दिया गया और कोच ऋषिकेश नहीं भेजा गया और हरिद्वार में ही खड़ा रहा। अत: परिवादी/प्रत्यर्थी को हरिद्वार से ऋषिकेश का आने जाने का जो पैसा अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा वसूल किया गया वह भी वापस नहीं किया गया।
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अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा यह बताया गया कि उस दिन गाड़ी सं0 3009/3010 में एक कोच लगाया जाता है, किन्तु अपरिहार्य कारणों से दिनांक 07/11/2003 व 08/11/2003 को इसे रद्द कर दिया गया और उसे ऋषिकेश हेतु नहीं लगाया जा सका, जिससे परिवादी को हरिद्वार में उतरना पड़ा। जिला फोरम को इसे सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि परिवाद पोषणीय नहीं है, क्योंकि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1) (बी) में किराये की वापसी हेतु रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल में परिवाद दाखिल किया जा सकता है, उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्य न्यायालय का ऐसे प्रकरण में सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
अपील सं0 1407/2005
अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0 75/1997 रेल प्रबंधक, वाणिज्य मण्डल हजरतगंज बनाम वी0के0 गुप्ता में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 02/08/2005 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’ परिवाद रूपया 108.50 पैसा की वसूली के लिए एवं मु0 500/ रूपये क्षतिपूर्ति के लिए स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह स्वीकृत धनराशि को निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर परिवादी को दें या न्यायालय में जमा कर दें। ऐसा न करने पर निर्णय के तिथि से 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देय हो जायेगा।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने गाड़ी नं0 3152 डाउन एक्सप्रेस से दिनांक 27/08/96 के लिए फैजाबाद से सियालदह जाने के लिए आरक्षण कराया था, जिसका पी.एन.आर. नं0 -210195 तथा टिकट नं0- 37135086 था । गाड़ी की विलंब से आने की सूचना पाने पर उसने अपना टिकट निरस्त करा लिया एवं टिकट का पैसा वापस लेने गया जिस पर काउन्टर पर उसे 50 प्रतिशत धनराशि वापस की गई। शेष धनराशि वापस नहीं की गई।
अपीलार्थी/विपक्षी ने मुख्यत: प्रतिवाद पत्र में यह बताया है कि परिवादी ने गाड़ी जाने के पश्चात अपना टिकट वापसी का दावा किया था जिसमें से 50 प्रतिशत ही पैसा वापस किया गया और यह दावा जिला फोरम न्यायालय में अनुरक्षीय नहीं है। अपीलार्थी ने तर्क दिया कि परिवाद पोषणीय नहीं है, क्योंकि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1) (बी) में
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किराये की वापसी हेतु रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल में परिवाद दाखिल किया जा सकता है, उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्य न्यायालय का ऐसे प्रकरण में सुनवाई का क्ष्ोत्राधिकार नहीं है। तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
अपील सं0 54/2009
अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला मंच बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0 127/1994 स्टेशन अधीक्षक, रेलवे स्टेशन बनाम अशोक कुमार सिंह में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 12/12/2008 के विरूद्ध के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’ परिवाद उक्त रूप से आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि आज से डेढ़ माह के अंदर परिवादी को बाराबंकी से गोरखपुर जाने हेतु लिए गए प्रश्नगत टिकट व आरक्षण के शुल्क का मु0 2000/ रूपये क्षतिपूर्ति का तथा मु0 520/ रूपये वाद व्यय की धनराशि का भुगतान कर दें।‘’
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी को दिनांक 13/07/94 को गाड़ी नं0 5008 डाउन से व्यवसाय के सिलसिले में बाराबंकी से गोरखपुर जाना था। स्टेशन पर आरक्षण चार्ट नहीं लगा था। परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा टी0सी0 से जब पूछा गया तो उसने तीसरी बोगी में जाने के लिए कहा । अत: परिवादी/प्रत्यर्थी अन्य बोगी में नहीं बैठ पाया और ट्रेन छूट गई। परिवादी ने अपीलार्थी से टिकट आरक्षण का शुल्क दिलाये जाने हेतु तथा 10,000/ रूपये मानसिक एवं शारीरिक क्षति के रूप में एवं वाद व्यय के रूप में 520/ रूपये दिलाये जाने का आग्रह किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा यह बताया गया है कि संबंधित गाड़ी का आरक्षण चार्ट श्री राम अवतार टी0टी0 द्वारा निर्धारित बोर्ड पर लगाया गया था। अत: ऐसी परिस्थिति में घटना परिवादी के समय से न पहुंचने के कारण हुई। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि परिवाद पोषणीय नहीं है, क्योंकि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा 13 (1) (बी) में किराये की वापसी हेतु रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल में परिवाद दाखिल किया जा सकता है, उपरोक्त अधिनियम की धारा 15 के अंतर्गत किसी अन्य न्यायालय का ऐसे प्रकरण में सुनवाई
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का क्षेत्राधिकार नहीं है। तद्नुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है तथा विद्वान जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
उपरोक्त अपीलें, अपील सं0 1513/1999, 2657/99, 3002/2003 1787/2005, 1407/2005 एवं 54/2009 स्वीकार की जाती है। विभिन्न जिला मंचों द्वारा विभिन्न तिथियों में पारित निर्णय/आदेश निरस्त किया जाता है। प्रत्येक परिवाद में यदि परिवादी/प्रत्यर्थी रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल के समक्ष अपना परिवाद/प्रतिवेदन प्रस्तुत करना चाहता है तो ऐसी दशा में उसका परिवाद काल बाधित नहीं माना जायेगा।
इस निर्णय की एक-एक छायाप्रति अपील सं0 2657/99, 3002/2003 1787/2005, 1407/2005 एवं 54/2009 में रखी जाय।
उभय पक्ष अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध कराई जाय।
(अशोक कुमार चौधरी)
पीठा0 सदस्य
(बाल कुमारी)
सुभाष चन्द्र आशु0 ग्रेड 2 सदस्य
कोर्ट नं0 3