मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2399/1999
असंल हाउसिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन लि0, 15 यूजीएफ, इन्द्र प्रकाश, 21 बाराखंभा रोड, नई दिल्ली।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
वी.के. गोयल पुत्र श्री एस.के. गोयल, निवासी सी-18, एनडीबीबी कैम्पस, आनन्द।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री अंकित श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक: 04.05.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-487/1997, वी.के. गोयल बनाम अंसल हाउसिंग एण्ड कंस्ट्रक्शन लि0 में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 04.08.1999 के विरूद्ध यह अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा कीमत सुनिश्चित करने में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी द्वारा जमा रशि 08 प्रतिशत ब्याज सहित वापस लौटाने का आदेश दिया है।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अंकित श्रीवास्तव उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। पूर्व तिथि पर यह आदेश पारित किया गया था कि नोटिस जारी की गई है, इसलिए एक
-2-
माह का इंतजार किया जाए। यह अवधि व्यतीत हो चुकी है, इसलिए प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीली पर्याप्त मानी जाती है। केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी ने एक भवन अंकन 3,20,000/- रूपये के मूल्य पर आवंटित कराया था, परन्तु विपक्षी द्वारा निर्माण के संबंध में गलत सूचना दी गई और निश्चित समयावधि में भवन आवंटित कर कब्जा नहीं दिया। इसके पश्चात भवन निर्माता द्वारा भवन के मूल्य में बढ़ौत्तरी कर दी गई, इसलिए परिवादी ने इस बढ़ौत्तरी को समाप्त करने के लिए तथा अन्य अनुसांगिक अनुतोष प्राप्त करने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी का कथन है कि स्वंय वित्त पोषित योजना के अन्तर्गत भवन निर्माता को प्रारम्भिक कीमतों में बढ़ौत्तरी करने का अधिकार प्राप्त था
5. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने बढ़ौत्तरी के बिन्दु पर कोई अनुतोष देने से इंकार कर दिया, परन्तु परिवादी द्वारा जमा राशि वापस करने का आदेश दिया है। चंकि दोनों पक्षकारों के मध्य दिनांक 28.07.1992 को करारनामा निष्पादित हुआ और दिनांक 15.05.1996 को बढ़ौत्तरी की राशि की मांग की गई। इस मध्य भवन निर्माण की प्रगति के संबंध में कोई सूचना परिवादी को प्रेषित नहीं की गई। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जमा राशि ब्याज सहित वापस लौटाए जाने के आदेश में किसी प्रकार की अवैधानिकता नहीं है। अपील तदनुसार खारिज होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
-3-
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2