सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या- 342/2017
Smt. Shobhana Sharma, aged about 43 years, wife of Late Dr. Praveen Kumar Sharma, resident of House No. 147, Shobhapur Rohta Road Meerut. .Complainant.
Vs.
- Uttranchal Automobile Pvt. Ltd. 698 Patapur Baral By pass NH-58,
Meerut through it Director/M.D. Director.
- Toyota India Ltd., Situated at No.24, 10 floor Canebra Block Vittal
Mallya Road Bangalore Karnataka, Through its Director.
Opposite Parties.
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री सर्वेश कुमार शर्मा।
विपक्षी सं०1 की ओर से उपस्थित :विद्वान अधिवक्ता श्री वी0एस0 विसारिया।
विपक्षी सं० 2 की ओर से : सुश्री नंदिता भारती एवं श्री सुरेन्द्र सिंह।
दिनांक- 15-07-2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान परिवाद, परिवादिनी श्रीमती शोभना शर्मा ने विपक्षीगण उत्तरांचल आटो मोबाईल प्रा0लि0 व टोयटा इण्डिया लिमिटेड के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
2
- Direct the opposite parties to take back the defective car and to provide the new defect free car to the complainant or in an alternative to refund an amount of Rs. 37,42,500/- along with interest payable with effect from 23.11.2016 till the date of refund.
- Direct the opposite parties to pay appropriate damages and compensation occasioned by the complainant.
- Direct the opposite parties to pay appropriate punitive/exemplary damages on account of mental agony, harassment and trauma under went by the complainant.
- Allow the complaint and direct the opposite parties to pay a sum of Rs. 1,00,000/- towards cost of the case.
- Any other order which this Hon’ble State Commission may deem fit and proper in the circumstances of the case may also be passed.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी संख्या-1 विपक्षी संख्या-2 द्वारा नियुक्त डीलर है। परिवादिनी विपक्षीगण के आकृषक विज्ञापन से प्रभावित होकर कार क्रय करने हेतु विपक्षी संख्या-1 के यहॉं गयी तब विपक्षी संख्या-1 ने उन्हें आश्वासन दिया कि यह कार लग्जीरियस है और इसमें अट्रैक्टिव फीचर हैं। अत: उसकी बातों से प्रभावित होकर परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-2 द्वारा निर्मित टोएटा फारच्यूनर सिग्मा-4 वाहन विपक्षी संख्या-1 के यहॉं से खरीदा जिसके लिए विपक्षी संख्या-1 ने 37,42,500/-रू० प्राप्त किये। इसके साथ ही विपक्षी संख्या-1 ने 1,16,247/-रू० एसेसरीज के लिए लिया जबकि एसेसरीज की आवश्यकता परिवादिनी को नहीं थी। विपक्षी संख्या-1 ने परिवादिनी से यह 1,16,247/-रू० अवैध और मनमाने ढंग से वसूला है।
3
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि दिनांक 23-11-2016 को उसकी यह कार क्रय किये जाने के पहले दिन से ही ट्रबुल देने लगी। ड्राइविंग के दौरान कार की बॉडी वाइब्रेट होने लगी और इंजन से आवाज आने लगी। परिवादिनी ने कार के डिफेक्ट के सम्बन्ध में विपक्षीगण से शिकायत की परन्तु कार का डिफेक्ट दूर नहीं किया गया। परिवाद पत्र के अनुसार कार में निर्माण संबंधी महत्वपूर्ण त्रुटि है जिसके लिए परिवादिनी बार-बार विपक्षी संख्या-1 के सर्विस सेन्टर पर गयी परन्तु त्रुटि का निवारण नहीं किया जा सका। विपक्षी संख्या-1 ने त्रुटि निवारण हेतु एक्पर्ट टीम बुलायी जिसने यह दर्ज किया कि वाहन में मेजर पार्ट्स में डिफेक्ट है जो बदले जाने चाहिए। उक्त पार्ट्स को बदले जाने के बाद भी कार का डिफेक्ट दूर नहीं किया जा सका और कार सड़क पर चलने योग्य नहीं है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि परिवादिनी अनेकों बार विपक्षी संख्या-1 की वर्कशाप पर कार ले गयी और डिफेक्ट ठीक करने को कहा। विपक्षी संख्या-1 ने एक्पर्ट टीम भी बुलायी परन्तु कार ठीक नहीं हुयी। इंजीनियर ने जाबशीट पर बदले गये पुर्जों का विवरण अंकित किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि प्रश्नगत कार त्रुटिपूर्ण होने के कारण सड़क पर नहीं चलायी जा सकती है और कार खड़ी है जिससे परिवादिनी को अपूर्णीय क्षति हो रही है। अत: परिवादिनी ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा गया है कि परिवादिनी द्वारा क्रय की गयी प्रश्नगत कार में कोई मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं है। परिवादिनी द्वारा इंजन में कोई कमी नहीं बतायी गयी है।
4
परिवादिनी द्वारा जब भी वाहन उसके वर्कशाप में लाया गया है और उसके द्वारा जो भी शिकायत की गयी है उसको तुरन्त दूर कर दिया गया है। परिवादिनी द्वारा सन्तुष्टि प्रमाण पत्र भी दिया गया है। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने कहा है कि परिवादिनी को वाहन खरीदे अभी एक वर्ष भी नहीं हुआ है और वाहन लगभग 22000 किलो मीटर से अधिक चल चुका है। यदि वाहन में कोई कमी होती तो इतना न चल पाता।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने कहा है कि परिवादिनी की गाड़ी में स्टेरिंग से संबंधित शिकायत की गयी थी और निर्माता कम्पनी के टैक्निकल इंजीनियर्स की टीम ने स्टेरिंग को सही हालत में कर दिया था। पूर्ण संतुष्टि से वाहन परिवादिनी ले गयी थी। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने कहा है कि स्टेरिंग की खराबी मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट की परिधि में नहीं आती है। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने कहा है परिवादिनी ने वाहन की त्रुटि के सम्बन्ध में विशेषज्ञ रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद ग्राह्य नहीं है और निरस्त किये जाने योग्य है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 ने यह भी कहा है कि वह विपक्षी संख्या-2 का अधिकृत डीलर है। यदि कोई मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट वाहन में पाया जाता है तो उसके लिए विपक्षी संख्या-2 उत्तरदायी है। उससे विपक्षी संख्या-1 का कोई लेना-देना नहीं है।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से भी लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है जिसमें कहा गया है कि विपक्षी संख्या-1 और विपक्षी संख्या-2 के बीच संबंध प्रिंसिपल टू प्रिंसिपल का है। विपक्षी संख्या-1 विपक्षी संख्या-2 से वाहन क्रय कर बिक्री करता है। अत: परिवादिनी विपक्षी संख्या-2 की उपभोक्ता नहीं है। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-2 की ओर से कहा गया
5
है कि उसकी टेक्निकल टीम ने विपक्षी संख्या-1 के यहॉं जाकर परिवादिनी के प्रश्नगत वाहन का गहनतापूवर्क 15 व 16 मई को निरीक्षण किया और निरीक्षण पर यह पाया कि वाहन में कोई डिफेक्ट नहीं है। जो इंजन से आवाज आने की शिकायत परिवादिनी द्वारा की जा रही है वह सभी वाहन में खराब रोड पर वाहन चलाने पर आती है जो सामान्य बात है। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-2 की ओर से कहा गया है कि गुड विल को देखते हुए विपक्षी संख्या-2 ने वाहन के आवश्यक पुर्जे वारण्टी पीरियड के अन्दर ही बदल दिये हैं। परिवदिनी ने परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया है। लिखित कथन में विपक्षी संख्या-2 ने कथन किया है कि वाहन में कोई निर्माण संबंधी त्रुटि नहीं है।
परिवादिनी की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादिनी का शपथ-पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से श्री संजय कुमार शर्मा, एच.आर. मैनेजर का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी संख्या-2 की ओर से श्री गुरप्रीत सिंह का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद की अंतिम सुनवाई के समय परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा उपस्थित आए हैं। विपक्षी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी०एस० बिसारिया और विपक्षी संख्या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता सुश्री नंदिता भारती और श्री सुरेन्द्र सिंह उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
6
मैंने उभय पक्ष की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-2 द्वारा निर्मित टोयटा फारच्यूनर सिग्मा-4 विपक्षी संख्या-1 से 37,42,500/-रू० में खरीदा है और 1,16,247/-रू० विपक्षी को एसेसरीज के लिए अदा किया है। विपक्षी संख्या-1 विपक्षी संख्या-2 का अधिकृत विक्रेता है इस बिन्दु पर भी कोई विवाद नहीं है।
उभय पक्ष के अभिकथन के आधार पर वर्तमान परिवाद के निर्णय हेतु विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-1 से जो विपक्षी संख्या-2 द्वारा निर्मित प्रश्नगत वाहन खरीदा है उसमें निर्माण संबंधी दोष है जिसके आधार पर परिवादिनी परिवाद पत्र में याचित अनुतोष पाने की अधिकारी है।
परिवादिनी ने अपने अतिरिक्त शपथ-पत्र दिनांक 12-07-2018 के साथ परमेन्द्र शर्मा का शपथ-पत्र दिनांक 28-12-2017, विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादिनी को प्रेषित पत्र दिनांक 31-05-2018 परिवादिनी को संजय रावत हेड कस्टमर रिलेसन ग्रेड टोयटा मेरठ द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक 30-05-2018, प्रश्नगत वाहन की सर्विस समरी और इनवायस प्रस्तुत किया है। वाहन की मरम्मत का फोटोग्राफ भी परिवादिनी ने शपथ-पत्र के साथ प्रस्तुत किया है।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से प्रस्तुत संजय कुमार शर्मा के शपथ-पत्र के साथ भी प्रश्नगत वाहन का जाबकार्ड प्रस्तुत किया गया है।
परमेन्द्र शर्मा ने शपथ-पत्र दिनांक 28-12-2017 में कहा है कि वह महिन्द्रा मोटर्स में 10 वर्ष तक वर्क मैनेजर रहे हैं और वर्तमान में ए टू जेड
7
मोटर्स परतापुर मेरठ में वर्क मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। श्री परमेन्द्र शर्मा ने अपने शपथ-पत्र में कहा है कि उन्होंने परिवादिनी का प्रश्नगत वाहन ब्रिक रोड व स्मूथ रोड पर चलाकर देखा है। चलते समय उन्होंने वाहन की स्टेरिंग में झटके महसूस किये है जो अन्य गाडि़यों में बिल्कुल नहीं होते हैं।
विपक्षीगण की ओर से तर्क किया गया है कि परमेन्द्र शर्मा तकनीकी एक्सपर्ट नहीं हैं और परिवादिनी के हितबद्ध व्यक्ति हैं। विपक्षी संख्या-1 की तरफ से प्रस्तुत संजय कुमार शर्मा के शपथ-पत्र में कहा गया है कि वह विपक्षी संख्या-1 के यहॉं एच.आर. मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपने शपथ-पत्र में कहा है कि परिवादिनी के वाहन में कोई मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट नहीं है। निर्माता कम्पनी के टेक्निकल इंजीनियर्स टीम ने स्टेरिंग को बिल्कुल सही हालत में करा दिया था और परिवादिनी ने पूर्ण संतोष प्रमाण-पत्र दिया था। उसकी प्रश्नगत गाड़ी सही चल रही है। श्री संजय कुमार शर्मा ने अपने शपथ-पत्र में कहा है कि परिवादिनी का प्रश्नगत वाहन का सही ड्राइविंग ने करने के कारण दो बार एक्सीडेंट हो चुका है। परिवादिनी ने यह तथ्य परिवाद में छिपाया है।
श्री संजय कुमार शर्मा ने शपथ-पत्र में कहा है कि परिवादिनी ने दिनांक 12-03-2019 को अपने प्रश्नगत वाहन की सर्विसिंग की कि०मी० 38790 पर करायी है जिसमें मात्र गाड़ी लाक करने पर सिक्यूरिटी एलार्म बजने की शिकायत थी। उसके बाद पुन: दिनांक 18-04-2019 को कि०मी० 39488 पर वाहन पुन: सर्विसिंग हेतु लाया गया है तब 100 कि०मी० की स्पीड में स्टेरिंग वाइब्रेसन की शिकायत थी जो दूर कर दी गयी थी। दिनांक 12-03-2019 और दिनांक 18-04-2019 की सर्विसिंग की चेक लिस्ट श्री
8
संजय कुमार शर्मा के शपथ-पत्रका क्रमश: संलग्नक-5 और संलग्नक- 4 हैं जिसमें शपथ-पत्र के उपरोक्त कथन का समर्थन होता है।
परिवादिनी के वाहन की सर्विसिंग दिनांक 09-01-2019 की चेक लिस्ट श्री संजय कुमार शर्मा के शपथ-पत्र संलग्नक- 6 है जिसमें केवल बैटरी की शिकायत की गयी है। यह सर्विसिंग कि०मी० 35739 पर करायी गयी है।
परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत सर्विस इनवायस दिनांक 10-02-2017 सस्पेंसन के सम्बन्ध में है। सर्विस इनवायस दिनांक 13-02-2017 में Brake Disc Steering done Under Warranty अंकित है। सर्विस इनवायस दिनांक 17-02-2017 में Steering Yoke Change Under Warranty अंकित है। इसके साथ ही F.I. Send To TKM अंकित है। पुन: सर्विस इनवायस दिनांक 01-03-2017 में Steering Yoke F R Brake Change Under Warranty अंकित है। पुन: सर्विस इनवायस दिनांक 05-05-2017 में पावर स्टेरिंग की शिकायत अंकित है। तदोपरान्त इनवायस दिनांक 17-05-2017 में स्टेरिंग व्हील की शिकायत अंकित है और Note अंकित है “TEM Team Visit in workshope & confirmation some Part Need to be Replaced” पुन: इनवायस दिनांक 28-05-2017 में अंकित है, “TEM Team Visit in workshope & confirmation some Part Need to be Replaced & Part Place Under Warranty” सर्विस इनवायस दिनांक 23-07-2017 में भी नोट अंकित है। “F R Brake PAD 10 MM RR Brake Shoe 8MM” इनवायस दिनांक 28-07-2017 में अदर पावर स्टेरिंग शिकायत अंकित है। पुन: सर्विस दिनांक 27-10-2017 में शिकायत others Brake Padel अंकित है और नोट
9
अंकित है। “Brake open check and cleaning vibration concern resolve need wiper pipe crack.”
पुन: सर्विस इनवायस दिनांक 05-11-2017 में शिकायत स्टेरिंग व्हील अंकित है और Wehicle Vebration Problem Resolve. अंकित है। सर्विस इनवायस दिनांकित 09-02-2018, दिनांक 05-03-2018, दिनांक 16-03-2018, दिनांक 26-03-2018 में भी स्टेरिंग व ब्रेक की उपरोक्त शिकायत अंकित है। सर्विस इनवायस दिनांक 28-03-2018 में भी शिकायत other स्टेरिंग व्हील अंकित है और अंकित है कि “TKM Technical team Joint Road Test Done with customer No, Abnobmality found in vehicle, No manufactruing defect found in vehicle.”
पुन: सर्विस इनवायस दिनांक 08-05-2018 में नोट अंकित है- “Break Time Stearting Vibration concern as it is found at road test time and stearing noise concern not resolve.”
विपक्षीगण ने परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत सर्विस इनवायसों को फर्जी या कूटरचित नहीं कहा है। विपक्षी संख्या-1 की ओर से श्री संजय कुमार शर्मा द्वारा प्रस्तुत शपथ-पत्र के साथ प्रस्तुत चेक लिस्ट दिनांक 18-04-2019 से स्पष्ट है कि स्टेरिंग वाइब्रेसन की शिकायत पुन: वाहन में उत्पन्न हुयी है।
प्रश्नगत वाहन की सर्विसिंग के समय वाहन की स्टेरिंग वाइब्रेशन के सम्बन्ध में परिवादिनी द्वारा बार-बार की गयी शिकायत उभय-पक्ष द्वारा वाहन की सर्विसिंग से संबंधित प्रस्तुत अभिलेखों से साबित होती है और यह मानने हेतु उचित आधार है कि वाहन में स्टेरिंग वाइब्रेसन की समस्या है जिसका स्थायी निदान नहीं किया जा सका है। अत: यह मानने हेतु उचित
10
आधार है कि स्टेरिंग वाइब्रेसन के सम्बन्ध में परिवादिनी की शिकायत वास्तविक है।
माननीय राष्ट्रीय आयोग ने 1(2008) सी०पी०जे० 19 एन०सी० हुण्डई मोटर्स इण्डिया लि० बनाम अफीलिमिटेड ईस्ट वेस्ट प्रेस प्राइवेट लि0 के वाद में माना है कि अल्प अवधि में वाहन बार-बार वर्कशाप में मरम्मत हेतु लाना वाहन में दोष का प्रमाण है।
उभय पक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से से प्रस्तुत सम्पूर्ण साक्ष्यों पर विचार कर मैं इस मत का हॅूं कि परिवादिनी के प्रश्नगत वाहन में स्टेरिंग वाइब्रेसन का निर्माण संबंधी दोष है जिसका स्थायी निराकरण नहीं किया जा सका है। परिवादिनी द्वारा क्रय किये गये इतने मंहगे वाहन में इस प्रकार का दोष होना निश्चित रूप से विपक्षीगण की सेवा में कमी है।
विपक्षी संख्या-2 के विद्वान अधिवक्ता ने माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा मैनेजर टोयटा इंजीनियरिंग आदि बनाम बच्ची राय देंगवाल व एक अन्य (2009) सी०पी०जे० 90 एन०सी० के वाद में दिया गया निर्णय सन्दर्भित किया है जिसमें माननीय राष्ट्रीय आयोग ने स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञ की जांच आख्या वाद के तथ्यों के आधार पर आवश्यक माना है। परन्तु वर्तमान प्रकरण में यह स्पष्ट है कि परिवादिनी ने इतना मंहगा वाहन खरीदा और वाहन बार-बार स्टेरिंग वाइब्रेसन की शिकायत से वर्कशाप गया है परन्तु समस्या का स्थाई निदान नहीं हुआ है अत: वाहन में निर्माण संबंधी तकनीकी दोष मानने हेतु उचित आधार है।
उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि परिवादिनी के वाहन की स्टेरिंग वाइब्रेसन का दोष दूर किये जाने योग्य नहीं है, परन्तु वाहन वर्ष 2016 से परिवादिनी के पास है और वह वाहन का प्रयोग भी कर रही है। अत: अब
11
इतना लम्बा समय बीतने के कारण वाहन बदलकर नया वाहन परिवादिनी को देने हेतु विपक्षीगण को आदेशित किया जाना उचित नहीं है। मेरी राय में वाहन की उपरोक्त कमी हेतु वाहन के मूल्य का 20 प्रतिशत 7,48,500/-रू0 प्रतिकर परिवादिनी को दिलाया जाना उचित है।
विपक्षी संख्या-2 निर्माता है। निर्माता वाहन की निर्माण संबंधी त्रुटि हेतु उत्तरदायी है। परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-2 द्वारा निर्मित वाहन खरीदा है अत: वह उसकी उपभोक्ता है। अत: परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी संख्या-2 के विरूद्ध भी ग्राह्य है।
माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा Hyundai Motors India Ltd. Vs. Affiliated East West Press (P) Ltd. I(2008) CPJ19 (NC) और Satyam Automobiles Pvt. Ltd. Vs. Mukesh Singh & Anr. III(2016) CPJ 250(NC) के वाद में दिये गये निर्णय परिवादिनी के विद्धान अधिवक्ता ने संदर्भित किया है जिसमें वाहन बदलकर नया वाहन देने का आदेश दिया गया है, परन्तु वर्तमान में वाहन के कथित दोष एवं सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त वाहन बदलकर परिवादिनी को नया वाहन इस समय दिया जाना उचित नहीं प्रतीत होता है। वाहन के दोष हेतु परिवादिनी को उपरोक्त प्रतिकर विपक्षी संख्या-2 से दिलाया जाना उचित है। परिवाद की तिथि से अदायगी की तिथि तक प्रतिकर धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया जाना भी उचित है। परिवादिनी को 10,000/-रू० वाद व्यय दिया जाना भी उचित है।
परिवाद-पत्र में याचित अन्य अनुतोष वाद की परिस्थितियों में प्रदान किये जाने योग्य नहीं है।
12
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद अंशत: स्वीकार किया जाता है और विपक्षी संख्या-2 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को 7,48,500/- रू० परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ अदा करें और 10,000/-रू० वाद व्यय भी दें।..
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01