राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-93/2018
(मौखिक)
सचिन यादव, पुत्र श्री दयाराम यादव, निवासी हाउस नं0-132, बुद्ध विहार, चोटपुर बहलोलपुर, सेक्टर-58, नोएडा, जिला-गौतमबुद्धनगर द्वारा स्पेशल पावर आफ अटार्नी श्री चोखेराम, पुत्र स्व0 श्री रूमाल सिंह, निवासी- 167, शकरपुरी, विजयनगर, पुलिस स्टेशन-विजयनगर, जिला-गाजियाबाद
........................परिवादी
बनाम
उत्तम टोयोटा, ए-11, मेरठ रोड इण्डस्ट्रियल एरिया, गाजियाबाद-201003
...................विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 09.09.2021
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित हैं। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रतुल श्रीवास्तव अनुपस्थित हैं। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रतुल श्रीवास्तव पूर्व में भी अनेकों तिथियों पर अनुपस्थित हैं। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया।
प्रस्तुत परिवाद वर्ष 2018 से इस न्यायालय के सम्मुख लम्बित है, जिसके द्वारा परिवादी ने इस न्यायालय से निम्न अनुतोष प्रदान करने की प्रार्थना की:-
A. To direct the opposite parties to pay deposited amount Rs 1,11,000/- together with interest @ 18% from the date of deposit to the date of actual payment.
B. To direct the opposite party to make the payment of Rs 70,000/- (Seventy Thousand) compensation for physical and mental harassment.
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C. To direct the respondent to pay Rs 30,000/- for cost of the case.
D. Any other relief which this Hon’ble Court deems fit and proper in the interest of justice.
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा विपक्षी उत्तम टोयोटा, जो कि टोयोटा कम्पनी द्वारा उत्पादित वाहनों की बिक्री हेतु उपरोक्त टोयोटा कम्पनी के द्वारा नियुक्त डीलर के रूप में ए-11, मेरठ रोड इण्डस्ट्रियल एरिया, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में नियुक्त किया गया है, के प्रतिष्ठान पर दिनांक 19.11.2014 को 1,11,000/-रू0 जमा किया गया, जिसके सम्बन्ध में विपक्षी डीलर द्वारा जमा रसीद दिनांकित 19.11.2014 पत्रावली के पृष्ठ संख्या-10 पर उपलब्ध है। विपक्षी डीलर द्वारा परिवादी के पक्ष में आर्डर बुकिंग फार्म में समस्त विवरण देते हुए उपरोक्त जमा धनराशि 1,11,000/-रू0 का विवरण अंकित किया गया तथा तिथि दिनांक 19.11.2014 पृष्ठांकित की गयी। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि विपक्षी डीलर द्वारा उपरोक्त वाहन फार्च्यूनर (4x4) – white की डिलीवरी नियत अवधि में प्रदान नहीं की जा सकी तथा परिवादी से बाकी की देय धनराशि जमा करने हेतु पत्र दिनांक 23.01.2015 जारी किया गया। चूँकि विपक्षी डीलर के पास उपरोक्त वर्णित वाहन उपलब्ध नहीं था, अतएव मजबूरीवश परिवादी को टोयोटा कम्पनी के अन्य वितरक/डीलर सर्वश्री गैलेक्सी टोयोटा, शिवाजी मार्ग, मोती नगर क्रासिंग, नई दिल्ली से वाहन क्रय करना पड़ा, जिस क्रय से सम्बन्धित देय धनराशि के प्रपत्र पत्रावली पर पृष्ठ संख्या-13, 14, 15, 16, 17 व 18 पर उपलब्ध हैं।
प्रस्तुत परिवाद में परिवादी द्वारा ऊपर वर्णित जो अनुतोष इस न्यायालय से चाहा गया है तथा जो तथ्य ऊपर वर्णित किये गये हैं, उससे सुस्पष्ट है कि विपक्षी वितरक/डीलर द्वारा परिवादी को जो वाहन प्रदान करने हेतु अग्रिम धनराशि 1,11,000/-रू0 जमा किया गया था, उसके विरूद्ध न तो वाहन प्रदान किया गया और न ही उपरोक्त जमा धनराशि से सम्बन्धित वापस किये जाने का प्रमाण पत्रावली पर उपलब्ध है।
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चूँकि विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता आज पुन: अनुपस्थित हैं एवं प्रस्तुत परिवाद विगत लगभग 03 वर्ष से अधिक समय से लम्बित है, अतएव प्रस्तुत परिवाद के तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत परिवाद अन्तिम रूप से निर्णीत किया जाता है तथा विपक्षी वितरक/डीलर को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि 1,11,000/-रू0 (एक लाख ग्यारह हजार रूपया मात्र), जिसके सम्बन्ध में विपक्षी वितरक/डीलर द्वारा दिनांक 19.11.2014 को रसीद संख्या-2711 एवं आर्डर बुकिंग फार्म जारी किया गया था को दृष्टिगत रखते हुए उपरोक्त जमा की गयी धनराशि यदि विपक्षी वितरक/डीलर द्वारा परिवादी को वापस नहीं की गयी है तो वह परिवादी को 30 दिन की अवधि में मूल धनराशि के साथ 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज धनराशि जमा करने की तिथि से धनराशि वापस करने की तिथि तक का विवरण चार्ट बनाते हुए वापस करे। साथ ही प्रस्तुत परिवाद में वाद व्यय के रूप में विपक्षी वितरक/डीलर द्वारा परिवादी को 20,000/-रू0 (बीस हजार रूपया मात्र) भी उपरोक्त 30 दिन की अवधि में दिया जावे। तदनुसार प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1