Uttar Pradesh

StateCommission

A/1204/2018

Sanjay Bansal - Complainant(s)

Versus

UTI Mutual Fund & Another - Opp.Party(s)

Sarvesh Kumar Sharma

18 Jul 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1204/2018
( Date of Filing : 27 Jun 2018 )
(Arisen out of Order Dated 04/06/2018 in Case No. c/117/2018 of District Meerut)
 
1. Sanjay Bansal
Meerut
...........Appellant(s)
Versus
1. UTI Mutual Fund & Another
Meerut
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Jul 2019
Final Order / Judgement

                                                                                                                                         सुरक्षि‍त

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                   अपील संख्‍या- 1204/2018

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या- 117/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04-06-2018 के विरूद्ध)

 

Sanjay Bansal, aged about 58 years, son of Late Ram Rish Pal, resident of 10-B, Saket Meerut, Presently resident of 36/5, Mansarowar Colony, Police Station Civil Lines, Meerut.

                                                                                                                              अपीलार्थी/परिवादी

                              बनाम 

  1. UTI Mutual Fund office Situated at 10/8 Ground Floor, Niranjan Vatika Begum Brij Road, Near Bacha Park, Meerut, through its Manager.
  2. UTI Tower, G.N.Block Banda Kurla Complex Banda (E) Mumbai, through its General Manager.

                                                                                                                                 प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

मक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव

 

दिनांक- 22-08-2019

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                         निर्णय

 

परिवाद संख्‍या- 117/2018 श्री संजय बंसल बनाम यू०टी०आई० म्‍यूचुअल फण्‍ड, कार्यालय व एक में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मेरठ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 04-06-2018 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

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     जिला फोरम ने आक्षे‍पि‍त आदेश के द्वारा परिवाद को कालबाधित मानते हुए अंगीकृत किये जाने योग्‍य नहीं माना है और निरस्‍त कर दिया है जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवादी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा और प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव उपस्थित आए हैं।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी यूनिट ट्रस्‍ट आफ इण्डिया की बीमा योजना 1971 (यूनिट लिंक्‍ड इंश्‍योरेंश प्‍लान 1971) के अन्‍तर्गत 4000/-रू० वार्षिक प्रीमियम की दर से 10 वर्ष की अवधि हेतु दिनांक 18-03-1989 को पालिसी लिया था जिसकी परिपक्‍वता तिथि दिनांक       18-03-1999 थी और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी यूनिट ट्रस्‍ट आफ इण्डिया द्वारा सदस्‍यता प्रमाण-पत्र परिवादी को जारी किया गया था। इस योजना के अन्‍तर्गत अपीलार्थी/परिवादी ने दिनांक 13-02-1990 को 10 वर्ष के लिए 2000/-रू० वार्षिक प्रीमियम की दर से एक और पालिसी लिया जिसकी परिपक्‍वता तिथि दिनांक 13-02-2000 थी और इसके सम्‍बन्‍ध में भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा उसे सदस्‍यता प्रमाण-पत्र जारी किया गया था।

     परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी को यह आश्‍वासन दिया गया था कि परिपक्‍वता तिथि पर परिवादी द्वारा निवेशित धनराशि लाभ सहित

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अदा कर दी जाएगी परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी, यूनिट ट्रस्‍ट आफ इण्डिया ने उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत निवेशित धनराशि परिपक्‍वता की तिथि के बाद अपीलार्थी/परिवादी को अदा नहीं की और सम्‍पर्क करने पर टाल-मटोल करते रहे। तंग व परेशान होकर अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण, यूनिट ट्रस्‍ट आफ इण्डिया को दिनांक 25-01-2018 को पत्र लिखा तो यूनिट ट्रस्‍ट आफ इण्डिया/प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने जवाब दिया कि उनके पास अधिकतम 08 वर्ष का रिकार्ड उपलब्‍ध होता है। तब अपीलार्थी/परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी, यूनिट ट्रस्‍ट आफ इण्डिया को विधिक नोटिस दिनांक     13-02-2018 को दिया जिसका प्रत्‍यर्थी/विपक्षी ने गोल-मोल जवाब दिनांक    01-03-2018 को दिया और अपीलार्थी/परिवादी की निवेशित धनराशि अदा नहीं की, जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

     जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद इस आधार कालबाधित माना है कि अपीलार्थी/परिवादी को परिवाद प्रस्‍तुत करने हेतु वाद हेतुक उसकी दोनों यूनिट की परिपक्‍वता तिथि दिनांक 18-03-1999 व दिनांक 13-02-2000 को उत्‍पन्‍न हुआ है जबकि उसने परिवाद 04-06-2018 को     धारा-24 (ए) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत निर्धारित समय सीमा के बाद प्रस्‍तुत किया है। 

     अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। परिपक्‍वता तिथि पर वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है। वाद हेतुक तब उत्‍पन्‍न हुआ है जब प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने अपीलार्थी/‍परिवादी की दोनों यूनिट लिंक इंश्‍योरेंश प्‍लान की पालिसियों की

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परिपक्‍वता धनराशि का भुगतान करने से इन्‍कार किया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद को काल‍बाधित मानकर जो निरस्‍त किया है वह उचित नहीं है।

     प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आदेश विधि अनुकूल है। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद कालबाधित है। परिवाद प्रस्‍तुत करने हेतु वाद हेतुक परिपक्‍वता तिथि पर उत्‍पन्‍न हुआ है और उसकी परिपक्‍वता तिथि से 18 साल के बाद यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिपक्‍वता तिथि से 08 वर्ष तक ही अभिलेख प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के कार्यालय द्वारा सुरक्षित रखे जाते हैं। अत: अपीलार्थी/परिवादी के दावा का भुगतान प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा किया जाना सम्‍भव नहीं है। जिला फोरम का आदेश उचित है और अपील बल रहित है अत: निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी/विपक्षी युनिट ट्रस्‍ट आफ इण्डिया का ऐसा कोई नियम नहीं दिखा सके हैं जिसके आधार पर परिपक्‍वता तिथि के बाद भुगतान न लेने के कारण अपीलार्थी/परिवादी की दोनों पालिसियों की धनराशि पर अपीलार्थी/परिवादी का अधिकार समाप्‍त माना जाए और यदि माना जाए तो किन तिथियों से, इसके साथ ही दोनों पालिसियों की परिपक्‍वता तिथि के बाद प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा दोनों पालिसियों के भुगतान हेतु अपीलार्थी/परिवादी को कोई नोटिस दिया जाना नहीं बताया गया है। अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद तब प्रस्‍तुत किया है जब प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने उसकी दोनों पालिसी की धनराशि का भुगतान करने से मना किया है। परिवाद-पत्र में कथित वाद हेतुक के आधार पर परिवाद समय सीमा के अन्‍दर है।

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अपीलार्थी/परिवादी याचित अनुतोष पाने का अधिकारी है या नहीं, इस बिन्‍दु पर उभय पक्ष को साक्ष्‍य व सुनवाई का अवसर देकर ही निर्णय पारित किया जा सकता है।

     उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम का आक्षेपित निर्णय व आदेश अपास्‍त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम परिवाद पंजीकृत करें और प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर देकर उभय पक्ष को साक्ष्‍य सुनवाई का अवसर प्रदान करें तथा निर्णय विधि के अनुसार गुण-दोष के आधार पर पारित करें।

     प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण लिखित कथन में काल बाधा की आपत्ति उठाने हेतु स्‍वतंत्र है। यदि लिखित कथन में काल बाधा की आपत्ति उठायी जाती है तो अंतिम निर्णय के समय जिला फोरम इस सम्‍बन्‍ध में निर्णय देने हेतु स्‍वतंत्र है कि क्‍या परिवाद में याचित अनुतोष काल बाधित है।

     अपील में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

               (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                       अध्‍यक्ष                                                             

         

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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