राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-104/2000
(जिला उपभोक्ता फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-310/99 में पारित निर्णय दिनांक 20.09.99 के विरूद्ध)
यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया गुलाब भवन रियर ब्लाक द्वितीय फ्लोर 6 बी
एस जेड मार्ग, न्यू दिल्ली-110002 .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
कु0 उषा रानी शुक्ला पुत्री श्री राम कुमार शुक्ला हाउस नं0 213/6 छाछी
कुआं, लखनऊ-226003 ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अब्दुल मोईन के सहयोगी श्री उमेश कुमार
श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 08.10.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम द्वितीय लखनऊ के परिवाद संख्या 310/99 में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 20.09.99 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
'' विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादिनी द्वारा निर्धारित फार्म पर प्रार्थना पत्र देने व अन्य औपचारिकतायें पूरी कर देनें के तीन माह के अंदर रू. 85407/- तथा उस पर 02.01.99 से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज व 1500/- रूपये का भुगतान कर दें अन्यथा इस समस्त धनराशि पर 2 प्रतिशत मासिक ब्याज देय होगा।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी/प्रत्यर्थी ने अपीलार्थी की यूलिपि योजना के अंतर्गत रू. 40000/- का निवेश किया, जो दि. 02.1.99 को परिपक्व हुआ, परन्तु उन्हें परिपक्वता धनराशि नहीं मिली। जिला मंच के समक्ष विपक्षी/अपीलार्थी ने कहा कि कुल देय धनराशि रू. 85407/- की चेक परिवादिनी को रजिस्ट्री डाक से भेजी गई थी, यदि उसे प्राप्त नहीं हुई है जो डुप्लीकेट चेक निर्धारित औपचारिकताओं के बाद उसे दी जाएगी।
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
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अपीलार्थी का कथन है कि उसके द्वारा परिपक्वता धनराशि चेक द्वारा पंजीकृत डाक से भेजी गई थी। उसके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। बहस के दौरान विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी कहा गया कि उनके द्वारा रू. 85407.87 पैसे की परिपक्वता धनराशि का भुगतान कर दिया गया है, अत: अधिरोपित 18 प्रतिशत ब्याज व अतिरिक्त अधिरोपित रू. 1500/- तथा दाण्डिक ब्याज 2 प्रतिशत प्रतिमाह को अपास्त किया जाए।
यह निर्विवाद है कि जिला मंच के आदेश की तिथि तक परिवादिनी/प्रत्यर्थी को परिपक्वता धनराशि रू. 85407/- नहीं प्राप्त हुई थी। अपीलार्थी का यह कहना कि उसके द्वारा पंजीकृत डाक से धनराशि भेज दी गई थी, परन्तु यह धनराशि प्रत्यर्थी को नहीं मिली और उसक द्वारा बाद में दूसरी चेक उपरोक्त धनराशि की निर्गत की गई है, जिससे यह स्पष्ट है कि अपीलार्थी द्वारा परिपक्वता धनराशि भेजने में कमी सेवा कारित की है। साक्ष्यों से यह स्पष्ट नही है कि यह परिपक्वता धनराशि परिवादिनी को कब प्राप्त हुई, अत: परिवादिनी अपनी परिपक्वता धनराशि के सदुपयोग से वंचित रही, जिसके लिए अपीलार्थी जिम्मेदार है, परन्तु जिला मंच ने रू. 85407/- परिपक्वता धनराशि पर दि. 02.01.99 से 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अधिरोपित किया है वह अत्यधिक है और हम यह पाते हैं कि इस धनराशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिलाया जाना न्यायोचित होगा। जिला मंच ने रू. 1500/- अतिरिक्त भुगतान का आदेश दिया है, जिसका कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है तथा दण्डस्वरूप लगाया गया 2 प्रतिशत मासिक ब्याज भी अपास्त किए जाने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है तथा जिला मंच के निर्णय एवं आदेश दि. 20.09.99 में आंशिक संशोधन किया जाता है कि रू. 85407/- परिपक्वता धनराशि पर दि. 02.01.99 से जो 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अधिरोपित किया है उसे कम करते हुए 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज किया जाता है। जिला मंच ने जो रू. 1500/- अतिरिक्त भुगतान का आदेश दिया है व दण्डस्वरूप लगाया गया 2 प्रतिशत मासिक ब्याज भी अपास्त किया जाता है।
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पक्षकारान अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-2