Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/84

Senior Post Master - Complainant(s)

Versus

Urmila Devi - Opp.Party(s)

Dr U V Singh

09 Dec 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/84
( Date of Filing : 14 Jan 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Senior Post Master
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Urmila Devi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Dec 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :-84/2010

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-259/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11/11/2009 के विरूद्ध)

  1. Senior Post Master, Head Post Office, Faizabad
  2. Chief Post Master General, U.P. Circle, Lucknow.
  3.                                                                                 Appellants  
  4.  

Urmila Devi Wife of Late Gaya Prasad Rastogi resident of Village-Bhikhapur, Post office and Tehsil-Faizabad, District-Faizabad

  •                                                                   

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:-डा0 उदयवीर सिंह के

                          कनिष्‍ठ अधिवक्‍ता श्री श्रीकृष्‍ण पाठक

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री टी0सी0 सेठ

दिनांक:-09.12.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           जिला उपभोक्‍ता आयोग, फैजाबाद द्वारा परिवाद सं0-259/2007 उर्मिला देवी बनाम सीनियर पोस्‍ट मास्‍टर व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11/11/2009 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।
  2.           जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए बीमा राशि 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है, साथ ही क्षतिपूर्ति के मद में अंकन 3,000/-रू0 एवं वाद व्‍यय के रूप में अंकन 1,000/-रू0 की अदायगी का आदेश पारित किया गया।
  3.          परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी के पति स्‍व0 गया प्रसाद रस्‍तोगी ने अपने जीवनकाल में डाक जीवन बीमा पॉलिसी के अंतर्गत अंकन 50,000/-रू0 दिनांक 04.02.2003 को प्राप्‍त की थी, जिसका नम्‍बर यू0पी0-90588 पी है। इस पॉलिसी के प्रीमियम का नियमित रूप से भुगतान किया गया। दिनांक 01.07.2009 को बीमाधारक की मृत्‍यु हो गयी, मृत्‍यु दावा प्रस्‍तुत किया गया, जो नकार दिया गया।
  4.        विपक्षी का कथन है कि पॉलिसी धारक बीमा पॉलिसी लेने के पूर्व से ही सिरोसिस लीवर नामक बीमारी से ग्रसित था और इस बीमारी के कारण छुट्टी लिया करता था और विभाग को धोखे में रखकर पॉलिसी प्राप्‍त की गयी है, इसलिए दावा निरस्‍त किया गया है।
  5.        पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता  आयोग ने यह निष्‍कर्ष दिया है कि विपक्षी द्वारा इस तथ्‍य को साबित नहीं किया है कि बीमाधारक को विभाग पॉलिसी लेने से पहले लीवर सिरोसिस नामक बीमारी थी तदनुसार बीमित राशि अदा करने का आदेश पारित किया गया।
  6.         इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील मे वर्णित आधारों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि बीमाधारक द्वारा पूर्व से मौजूद किसी बीमारी के तथ्‍य को छिपाया गया। अत: इस अपील के विनिश्‍चय के लिए प्रथम विनिश्‍चायक बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या  अपीलार्थी द्वारा यह साबित किया गया है कि बीमाधारक द्वारा बीमारी के तथ्‍य को छिपाया गया? इस संबंध में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि पूर्व से मौजूद बीमारी के अस्तित्‍व को साबित नहीं किया गया है। अपीलार्थी की ओर से दस्‍तावेज एनेक्‍जर सं0 3 के अवलोकन से ज्ञात होता है कि बीमाधारक गया प्रसाद को लीवर सिरोसिस की बीमारी थी, जिसका इलाज दिनांक 22.01.2003 को कराया गया। दिनांक 25.12.2002 से दिनांक 31.01.2003 तक आराम की सलाह दी गयी। इसके पश्‍चात दिनांक 31.01.2003 को स्‍वास्‍थ्‍य प्रमाण पत्र जारी किया गया। एनेक्‍जर सं0 2 में यह भी उल्‍लेख है कि मरीज दिनांक 25.12.2002 से अस्‍पताल में भर्ती है, जबकि बीमा पॉलिसी दिनांक 04.02.2003 को ली गयी है। अत: स्‍पष्‍ट है कि बीमा पॉलिसी प्राप्‍त करते समय वास्‍तविक तथ्‍य यानि लिवर सिरोसिस का इलाज कराया गया, को छिपाया गया। अत: धोखे से बीमा पॉलिसी प्राप्‍त की गयी है। तदनुसार बीमा क्‍लेम नकारने का निष्‍कर्ष विधिसम्‍मत है। अत: अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है तदनुसार परिवाद खारिज होने योग्‍य है।  

 

 

आदेश

अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवाद खारिज किया जाता है।  

         प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

उभय पक्ष अपीलीय वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

              आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

  

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

  •  

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0 2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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