(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-379/2010
मोहन दास पुत्र श्री गोविन्द राम, निवासी 241, सिविल लाइन्स, बरेली
बनाम
अर्बन इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन-1, सिविल लाइन्स, नियर कंपनी गार्डेन, बरेली द्वारा एक्जीक्यूटिव इंजीनियर एण्ड एसडीओ
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस.के. शर्मा के सहायक
श्री नन्द कुमार।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 03.05.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-68/2009, मोहन दास बनाम उपखण्ड अधिकारी द्वितीय नगरीय विद्युत वितरण खण्ड तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 4.2.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा के सहायक श्री नन्द कुमार को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि परिवादी पर विद्युत शुल्क की धनराशि बकाया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी की बिस्कुट फैक्ट्री है, जिसे 2007 में बंद कर दिया गया था। दिनांक 9.7.2007 को
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विद्युत कनेक्शन समाप्त करने का आवेदन दिया था। दिनांक 15.7.2007 को उपखण्ड अधिकारी नगर विद्युत वितरण खण्ड प्रथम श्री रोहिताश सिंह जलपांगी विद्युत मीटर उखाड़ कर ले गए और सीलिंग सर्टिफिकेट जल्द देने का वायदा किया, परन्तु सीलिंग सर्टिफिकेट नहीं दिया गया बाद में दिनांक 17.3.2008 की तिथि दर्शाते हुए सीलिंग सर्टिफिकेट दिया गया, जिसमें 29047 रीडिंग दर्शायी गयी, जो पूर्व में जमा बिलों से केवल 150 यूनिट ज्यादा थी। दिनांक 30.8.2008 को अंकन 48,867/-रू0 का डिमाण्ड नोटिस भेज दिया, जबकि दिनांक 9.7.2007 को कनेक्शन काटने और बकाया बिल जमा कर दिया गया था और दिनांक 15.7.2007 को विद्युत मीटर उखाड़ लिया गया था, इसलिए यह बिल अवैध रूप से भेजा गया है, जो निरस्त किया जाना चाहिए।
4. विपक्षी का कथन है कि विद्युत संयोजन का विच्छेदन दिनांक 17.3.2008 को किया गया है, उस समय मीटर की रीडिंग 29047 थी। दिनांक 15.7.2007 को मीटर नहीं उखाड़ा गया है। पी.डी. रिपोर्ट के आधार पर फाइनल बिल बनाया गया है, इस तर्क को विद्वान जिला आयोग द्वारा स्वीकार किया गया है कि पी.डी. रिपोर्ट के आधार पर बिल बनाया गया है।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि विद्वान जिला आयोग ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गयी साक्ष्य की सही व्याख्या नहीं की है। परिवाद स्वीकार करते हुए मानसिक प्रताड़ना का अनुतोष दिलाया जाना चाहिए था। स्वंय परिवादी ने परिवाद पत्र में स्वीकार किया है कि परिवादी द्वारा जो धन जमा
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किया गया है, उसके जमा करने के बाद भी 150 यूनिट का बिल अवशेष था, जबकि यह यूनिट यथार्थ में पी.डी. रिपोर्ट के आधार पर निर्धारित की जानी होती है, यह तथ्य भी स्थापित नहीं है कि दिनांक 9.7.2007 को कनेक्शन काटा गया हो। दिनांक 9.7.2007 को परिवादी द्वारा बकाया राशि जमा की गयी, यह राशि केवल 11,891/-रू0 बतायी गयी, परन्तु वास्तविक आंकलन विद्युत विभाग द्वारा पी.डी. रिपोर्ट के आधार पर किया गया है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद को खारिज करने के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाय।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2