राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
पुनर्विलोकन संख्या– 08/2024
शिवदान सिंह इन्स्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेन्ट, कारपोरेट कार्यालय माल एवेन्यू, लखनऊ द्धारा व शाखा कार्यालय 10 किलोमीटर स्टोन अलीगढ़ मथुरा रोड, अलीगढ़ द्धारा डिप्टी डायरेक्टर अमित कुमार उपाध्याय।
बनाम
मैनेजिंग डायरेक्टर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड व अन्य।
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित: श्री बृजेन्द्र चौधरी के
सहयोगी श्री नीरज सिंह, विद्धान अधिवक्ता।
वर्तमान अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री इशार हुसैन
विद्धान अधिवक्ता
दिनांक 14.03.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्धारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुर्नविचारण प्रार्थना पत्र को सुना। विद्धान अधिवक्ता श्री इशार हुसैन द्धारा इस न्यायालय का ध्यान आदेश दिनांक 04.01.2024 की ओर आकर्षित किया, जो कि पुनरीक्षण वाद संख्या 126/2023 में पारित किया गया। उपरोक्त आदेश के अनुसार पुनरीक्षण याचिका का निस्तारण का निस्तारण करते हुये इस न्यायालय द्धारा मांगी गई कुल धनराशि के विरूद्ध अंकन 10,00,000.00 रूपये जमा किये जाने हेतु पुनरीक्षणकर्ता को
आदेशित किया गया तथा उपरोक्त धनराशि जमा किये जाने पर आदेशित संयोजन विपक्षी द्धारा संयोजित/पुर्नस्थापित किये जाने का आदेश किये गये।
श्री इशार हुसैन विद्धान अधिवक्ता द्धारा अवगत कराया गया कि पुनरीक्षकर्ता ने उपरोक्त आदेश का अनुपालन करते हुये अंकन 10,00,000.00 रूपये जिला आयोग, प्रथम लखनऊ में जमा किया है। श्री इशार हुसैन विद्धान अधिवक्ता द्धारा यह भी तथ्य न्यायालय के संज्ञान में लाया गया कि पुनरीक्षकर्ता की फैक्ट्री जनपद- अलीगढ़ में कार्यरत/स्थापित है। परिवाद जिला आयोग अलीगढ़ में न प्रस्तुत करते हुये जिला आयोग प्रथम लखनऊ में प्रस्तुत किया जाना परिवादी की मंशा पर प्रश्नचिन्ह उल्लिखित करता है।
उक्त के संबंध में विपक्षी उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड द्धारा जिला आयोग, प्रथम लखनऊ के सम्मुख पक्ष प्रस्तुत किया जावे। तत्पश्चात प्रकरण पर सुनवाई के पश्चात विद्धान जिला आयोग, प्रथम लखनऊ द्धारा समुचित आदेश विधि अनुसार शीघ्र पारित किये जाने की अपेक्षा है।
जमा धनराशि अंकन 10,00,000.00 रूपये पुनरीक्षकर्ता द्धारा जिला आयोग, प्रथम लखनऊ से वापस लेकर विपक्षी अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खंड, प्रथम के पक्ष में एक सप्ताह की अवधि में जमा किया जावे।
तद्नुसार, पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र निस्तारित किया जाता है।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.
कोर्ट न0-01