राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-१२५/२०१६
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्या २२८/२००३ में पारित आदेश दिनांक १०/०७/२०१५ के विरूद्ध)
- उमेश चन्द्र पुत्र श्री सियाराम
- अजय सिंह पुत्र श्री खुशीराम
- रमेश चन्द्र पुत्र श्री रघुपति
- शिव कुमार वर्मा पुत्र श्री हजारी लाल वर्मा
- त्रिभुवन पुत्र ढोढे
निवासीगण मलंगपुरवा मजरे इचौलिया परगना प्रतापगंज तहसील नवाबगंज जिला बाराबंकी।
.....अपीलार्थीगण/परिवादीगण
बनाम
अधिशासी अभियन्ता उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 बाराबंकी।
........प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री कुमार संभव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:१०-०३-२०१७
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्या २२८/२००३ उमेश चन्द्र एवं अन्य बनाम अधिशासी अभियन्ता उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 बाराबंकी में पारित आदेश दिनांक १०/०७/२०१५ के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
अपील के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रश्नगत परिवाद में परिवादी सं0-३ व ४ की परिवाद के विचारण रहने के दौरान मृत्यु हो गयी थी । दिनांक २८/०१/२०१२ को परिवाद को संशोधित करने और मृतक परिवादीगण के वारिसान को प्रतिस्थापित करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया था, किन्तु उस पर विद्वान जिला मंच द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया और प्रश्नगत आदेश दिनांक १०/०७/२०१५ पारित कर दिया गया। दिनांक २८/०१/२०१२ को एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें परिवाद में पारित आदेश दिनांक १०/०७/२०१५ को संशोधित करने की प्रार्थना की गयी और उक्त प्रार्थना पत्र भी आदेश दिनांक २६/१०/२०१५ द्वारा खारिज कर दिया गया।
अपीलकर्ता ने यह कहा है कि परिवादी सं0-३ व ४ की मृत्यु हो जाने के कारण प्रश्नगत आदेश दिनांक १०/०७/२०१५ विधि सम्मत नहीं है और खण्डित किए जाने योग्य है। अपीलकर्ता ने यह प्रार्थना की कि यह प्रश्नगत आदेश खण्डित कर इस परिवाद को गुण-दोष के आधार पर पुन: निस्तारण हेतु जिला मंच को प्रतिप्रेषित कर दिया जाए।
दिनांक १०/०३/२०१७ को बहस हेतु पत्रावली प्रस्तुत हुई । अपीलकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री कुमार संभव उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
बहस के दौरान अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता ने अपील में लिए गए आधारों को पुन: दोहराया है। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के उपरांत हम यह पाते हैं कि प्रश्नगत आदेश परिवादी सं0-३ व ४ की मृत्यु हो जाने के उपरांत उनके वारिसान को प्रतिस्थापित किए बिना ही पारित किया गया है जोकि विधि सम्मत नहीं है। मृतक परिवादी सं0-३ व ४ के वारिसान को प्रतिस्थापित करने के लिए विद्वान जिला मंच द्वारा सूचना के बावजूद संज्ञान नहीं लिया गया। इस प्रकार प्रश्नगत आदेश विधि अनुकूल पारित नहीं किया गया है, जो खण्डित होने योग्य है। तदुनसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील उपरोक्त स्वीकार करते हुए प्रश्नगत आदेश दिनांकित १०/०७/२०१५ खण्डित किया जाता है और यह मामला जिला उपभोक्ता फोरम बाराबंकी को प्रतिप्रेषित करते हुए निर्देश दिया जाता है कि जिला मंच मृतक परिवादी सं0-३ व ४ के विधिक वारिसान को स्थापित कराकर उभय पक्ष को समुचित सुनवाई व साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर देते हुए परिवाद को गुणदोष के आधार पर निस्तारित किया जाना सुनिश्चित करें। उभय पक्ष को यह निर्देश दिया जाता है कि वह जिला मंच के समक्ष दिनांक १८/०४/२०१७ को उपस्थित हों।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
सत्येन्द्र कोर्ट नं0 १