राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-24/2016
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या 353/2012 में पारित आदेश दिनांक 06.10.2015 के विरूद्ध)
Surendra Patel S/O Raghunath R/O Vill. Ghurahoopur P.O. Sarnath, P/S Sarnath, Pergana-Shivpur, Tehsil & District-Varanasi, U.P. ...................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. District Consumer Dispute Redressal Forum,
Varanasi, Plaza Building, Nadeshar, Varanasi, U.P.
2. Adhishashi Abhiyanta, Nagari Vidyut Vitaran Khand-
6th, U.P. Power Corporation Ltd, Ashapur, Varanasi,
U.P.
3. Sahayak Abhiyanta, Ajay Yadav, Nagari Vidyut
Vitaran Khand-6th, U.P. Power Corporation Ltd,
Ashapur, Varanasi, U.P.
................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिवाकर सिंह ,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 11-11-2016
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-353/2012 सुरेन्द्र पटेल बनाम अधिशासी अभियन्ता आदि में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 06.10.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के परिवादी सुरेन्द्र पटेल की ओर से धारा-15
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य न मानकर खारिज कर दिया है। अत: क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी ने यह अपील आयोग के समक्ष प्रस्तुत की है।
अपीलार्थी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री दिवाकर सिंह उपस्थित आए। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त परिवाद उपभोक्ता विवाद के सम्बन्ध में है और अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य है। जिला फोरम ने आक्षेपित आदेश के द्वारा परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य न मानकर गलती की है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अपास्त कर जिला फोरम को विधि के अनुसार परिवाद में अग्रिम कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया जाना आवश्यक है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
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परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसने घरेलू उपयोग हेतु दो वाट का विद्युत कनेक्शन संख्या-0136003390 वर्ष 2009 में लिया था, परन्तु कालोनाइजर कृष्णकान्त मिश्र के आदमी, जे0ई0 और लाइनमैन की साजिश से उसके विद्युत कनेक्शन का केबिल 50 मीटर काट कर उठा ले गए।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि दिनांक 16.07.2012 को सहायक अभियन्ता और लाइनमैन उसकी अनुपस्थिति में उसके घर में घुसकर बन्द पड़ा विद्युत मीटर उठा ले गए और दिनांक 19.09.2012 को एक गलत व बिल्कुल झूठा मनगढ़न्त नोटिस उसके नाम भेजा, जो उपरोक्त कालोनाइजर कृष्णकान्त मिश्र के षड्यंत्र का परिणाम है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है और कहा गया है कि दिनांक 16.07.2012 को परिवादी के विद्युत कनेक्शन पर लगे विद्युत मीटर की जांच की गयी तो विद्युत मीटर 70.32% स्लो पाया गया, अत: उसे सील कर नया मीटर स्थापित कर दिया गया, जिसका सीलिंग प्रमाण पत्र दिनांक 16.07.2012 है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से अपने लिखित कथन में कहा गया है कि परिवादी के परिसर में लगे विद्युत कनेक्शन पर जो पूर्व विद्युत मीटर स्थापित किया गया था उसकी बॉडी सील बॉक्स सील व अन्य सील टैम्पर्ड करके विद्युत मीटर के अन्दर रेजिस्टेन्ट लगाकर विद्युत मीटर को 70.32% स्लो किया गया था,
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जो कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-135, 150, 151, 153 और 154 के अन्तर्गत दिए गए प्राविधान के अनुसार विद्युत चोरी की परिधि में आता है।
उभय पक्ष के अभिकथन पर विचार करने के उपरान्त जिला फोरम ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड बनाम अनीस अहमद 2012 (3) सी0पी0आर0 670 (एस.सी.) के वाद में दिए गए निर्णय में प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य नहीं माना है और आक्षेपित आदेश के द्वारा परिवाद खारिज कर दिया है।
उभय पक्ष के अभिकथन के आधार पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त वाद में प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि विपरीत नहीं कहा जा सकता है। अपील बल रहित है और निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1