सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-2154/2014
(जिला उपभोक्ता फोरम, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद संख्या-288/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.09.2014 के विरूद्ध)
श्रीमती बेटन देवी पत्नी श्री ओमकार सिंह, निवासिनी ग्राम बसैगापुर, पोस्ट-अग्गर खुर्द, परगना-श्रीनगर, तहसील-सदर, जिला लखीमपुर खीरी।
अपीलकर्ता/परिवादिनी
बनाम्
1. एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, विद्युत वितरण खण्ड प्रथम उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लि0, जिला लखीमपुर खीरी।
2. जूनियर इंजीनियर, विद्युत विभाग, बसैगापुर पावर हाउस, पोस्ट-अग्गर खुर्द, जिला लखीमपुर खीरी।
3. लाईनमैन, विद्युत विभाग, बसैगापुर पावर हाउस, पोस्ट-अग्गर खुर्द, जिला लखीमपुर खीरी।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलकर्ता की ओर से : श्री शिव शरन सिंह, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक 24.05.2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद संख्या-288/2011 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.09.2014 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलकर्ता/परिवादिनी के कथनानुसार परिवादिनी ने अपने मकान एवं दुकान के लिए व्यावसायिक विद्युत कनेक्शन हेतु आवेदन किया था, जो दिनांक 18.02.2011 को स्वीकृत हो गया तथा वैधानिक शुल्क भी विद्युत विभाग में दिनांक 21.02.2011 को भुगतान कर दिया गया, किन्तु प्रत्यर्थी के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा विद्युत कनेक्शन जोड़ा नहीं गया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष विद्युत कनेक्शन को जोड़ने एवं क्षतिपूर्ति दिलाए जाने हेतु योजित किया गया है।
प्रत्यर्थीगण द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रत्यर्थीगण के कथनानुसार दीवानी वाद संख्या-75/2011 दीप सिंह बनाम अधिशाषी अभियन्ता सिविल जज सीनियर डिवीजन लखीमपुर खीरी में विचाराधीन है, जिसमें परिवादिनी का पति एवं परिवादिनी दोनों प्रतिवादीगण के रूप में पक्षकार हैं।
जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय में यह मत व्यक्त किया कि स्वंय परिवादिनी यह स्वीकार करती है कि प्रश्नगत कनेक्शन व्यावसायिक प्रयोजन हेतु लिया जा रहा है। परिवाद में परिवादिनी द्वारा यह अभिकथित नहीं किया गया है कि यह कनेक्शन परिवादिनी स्वरोजगार हेतु अपने जीवन निर्वाह के लिए ले रही है। अत: परिवादिनी को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) डी के अन्तर्गत उपभोक्ता न मानते हुए तथा परिवाद पोषणीय न मानते हुए प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवाद निरस्त कर दिया गया है।
इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री शिव शरन सिंह के तर्क सुने। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच ने साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत प्रकरण से संबंधित परिवाद की प्रति दाखिल की गयी है, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवाद के अभिकथन में स्वंय अपीलकर्ता/परिवादिनी ने प्रश्नगत विद्युत कनेक्शन व्यावसायिक प्रयोजन हेतु आवेदन किया जाना अभिकथित किया है। परिवाद के अभिकथनों में परिवादिनी द्वारा यह अभिकथित नहीं किया गया है कि प्रश्नगत कनेक्शन परिवादिनी स्वरोजगार अथवा अपने जीविकोपॉर्जन हेतु ले रही है। ऐसी परिस्थिति में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) डी के अन्तर्गत परिभाषित उपभोक्ता की श्रेणी में परिवादिनी नहीं मानी जा सकती है। जिला मंच द्वारा परिवाद निरस्त करके हमारे विचार से त्रुटि नहीं की गयी है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2