Uttar Pradesh

Faizabad

CC/160/2006

SHIV PRASAD Yadav - Complainant(s)

Versus

Uppcl - Opp.Party(s)

18 Mar 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/160/2006
 
1. SHIV PRASAD Yadav
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Uppcl
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
    


    
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-160/2006

शिव प्रसाद यादव सुत बद्री प्रसाद यादव वास्ते मेसर्स साकेत उडेन इण्डस्ट्रीज उसरू राय बरेली रोड जिला फैजाबाद                    ................ परिवादी

                    बनाम

    अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय उ0प्र0 पावर कारपोरेशन जनपद फैजाबाद                                  .............. विपक्षी

निर्णय दि0 18.03.2016
                  

      निर्णय

उद्घोषित द्वारा-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष


        परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आरा मशीन पर प्रश्नगत अनुबन्ध व उसकी शर्तो के पालन में विद्युत कनेक्शन देकर अपनी सेवाओं व दायित्वों व उसकी कमियों को पूरा करने और यदि किसी भाॅंति परिवादी का यह क्लेम विधि की निगाह में न्यायालय के समक्ष सम्भव न होवे तो परिवादी को उक्त अनुबन्ध की जमा धनराशि मु0 15,514=00 तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है। 

        

 


                        (  2  )

संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी वर्तमान समय में स्थान उसरू रायबरेली रोड जिला फैजाबाद में निजी इन्जन से आरा मशीन चलाता है जिसका उद्देश्य व्यवसायिक है। परिवादी ने उपरोक्त आरा मशीन को विद्युत से चलाने हेतु विपक्षी के यहाॅं से 10 हार्स पावर के विद्युत कनेक्शन को प्राप्त करने हेतु दि0 23.8.2003 को अनुबन्ध किया था और इस अनुबन्ध के सम्बन्ध में मु0 15,514=00 अनुबन्ध की धनराशि विपक्षी के यहाॅं जमा किया था। अनुबन्ध सं0-1518 दि0 23.8.2003 है। विपक्षी ने उक्त अनुबन्ध के निष्पादन के बावजूद परिवादी की उक्त आरा मशीन पर विद्युत कनेक्शन नहीं सप्लाई किया। अतएव परिवादी ने मजबूर होकर दि0 16.11.2004 को विपक्षी को प्रार्थना-पत्र दिया कि अनुबन्ध के अनुपालन में परिवादी को विद्युत की सप्लाई करके विद्युत कनेक्शन प्रदान करें परन्तु विपक्षी ने आज तक विद्युत कनेक्शन की सप्लाई नहीं किया। दि0 23.04.2005 को विपक्षी ने परिवादी को एक संशोधित टी0सी0 जारी किया तथा माॅंग किया कि परिवादी मु0 20,717=00 और जमा करे तब उसे विद्युत कनेक्शन दिया जायेगा। इस संशोधित टी0सी0 के कथन में विपक्षी ने कहा कि कारपोरेशन के आदेश सं0-2410/पी0सी0 एल0सी0/सी0यू0 दि0 25.9.2004 के पालन में उक्त संशोधित टी0सी0 की धनराशि माॅंगी जा रही है। 

        विपक्षी ने अपने जवाब में कहा कि परिवादी ने व्यवसायिक उद्देश्य हेतु आरा मशीन के लिए विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने के लिए आंशिक रकम जमा किया है और संशोधित टी.सी. के अनुसार मु0 20,717=00 जमा नहीं किया है जिसके कारण उसको विद्युत कनेक्शन नियमानुसार प्रदान नहीं किया जा सका। आरा मशीन लगाने हेतु व्यवसायिक उद्देश्य से विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने हेतु दि0 23.8.2003 को अनुबन्ध किया था और दि0 23.04.2005 को उसे संशोधित टी.सी. देकर मु0 20,717=00 की माॅंग की गयी थी जिसमें उक्त रकम का पूर्ण विवरण लिखा हुआ है।

        मैं परिवादी तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रेषित किया कि आरा मशीन चलाने के लिए व्यवसायिक विद्युत कनेक्शन हेतु दि0 23.8.2003 को अनुबन्ध विपक्षी से करके विपक्षी के यहाॅं मु0 15,514=00  अनुबन्ध  की  धनराशि जमा किया था। विपक्षी ने विद्युत कनेक्शन नहीं 

 

 


                        (  3  )

दिया  और  मु0 20,717=00  संशोधित टी0सी0 की जमा करने हेतु कहा तब विद्युत 
कनेक्शन दिया जायेगा। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रेषित किया कि आदेश सं0-2410/पी0सी0 एल0सी0/सी0यू0 दि0 25.9.2004 के पालन में संशोधित टी0सी0 की धनराशि माॅंगी जा रही है जो गलत है। पूर्व में किये गये अनुबन्ध दि0 23.8.2003 के शर्तो के अनुसार विद्युत कनेक्शन देना चाहिए। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रेषित कि संशोधित टी0सी0 की धनराशि मु0 20,717=00 परिवादी ने जमा नहीं किया इसलिए नियमानुसार कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। यह व्यवसायिक कनेक्शन है इसलिए इस परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार इस न्यायालय को नहीं है।

        परिवादी ने अपने परिवाद की धारा-1 में आरा मशीन जिसका उद्देश्य व्यवसायिक है और व्यवसायिक कनेक्शन की बात कही है। परिवादी ने मु0 15,414=00 का अनुबन्ध दि0 23.8.2003 को किया। इसी अनुबन्ध के शर्तो के अनुसार आरा मशीन के लिए विद्युत कनेक्शन की माॅंग किया है। संशोधित रूप से टी0सी0 के लिए मु0 20,717=00 जमा करना चाहिए। परिवादी ने विद्युत कनेक्शन कराने की माॅंग किया। यदि विद्युत कनेक्शन सम्भव न हो सके तो मु0 15,414=00 दिलाने की बात कही। मेरे विचार से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2 (1) (डी) के तहत परिवादी का यह विद्युत कनेक्शन व्यवसायिक है इसलिए उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। इस प्रकार इस परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।   


   आदेश            
        परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।     
        

   (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)              
            सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष     

 

 

 

 

 

                        (  4  )

                
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 18.03.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं   उद्घोषित किया  गया।
    
        (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)           
      सदस्य                   सदस्या                     अध्यक्ष    

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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