Uttar Pradesh

Faizabad

CC/185/2014

SHIV PRASAD - Complainant(s)

Versus

Uppcl - Opp.Party(s)

02 Dec 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/185/2014
 
1. SHIV PRASAD
Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Uppcl
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

              परिवाद सं0-185/2014

               
षिवप्रसाद पाण्डेय पुत्र श्री पारसनाथ पाण्डेय निवासी उसरू अमौना षाहगंज रोड तहसील सोहावल जिला फैजाबाद।                                        .............. परिवादी
बनाम
1.    अधिषाशी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय फैजाबाद।
2.    चेयरमैन उ0प्र0 पावर कारपोरेषन 14 अषोक मार्ग षक्ति भवन लखनऊ।
                                                             ............विपक्षीगण 
निर्णय दिनाॅंक 02.12.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी षाक्य, सदस्या।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी से विद्युत घरेलू कनेक्षन सं0 2322/932990 लिया था और नियमित विद्युत उपभोग का बिल जमा करता रहा, जब तक वह उस भवन में निवास करता था। परिवादी ने अपना नया मकान उसरू अमौना में ही षाहगंज रोड पर अरसा 12 वर्श पूर्व अलग बनवा लिया, वह अपने नए मकान में सपरिवार अरसा 12 वर्शो से रह रहा है। पुराने मकान से उसका कोई वास्ता व सरोकर नहीं है। परिवादी ने सम्पूर्ण विद्युत बकाया माह नवम्बर सन 2000 तक का रूपये 975/- में से रूपये 600/- दिनंाक 15-01-2001 को रसीद संख्या 24/097911 द्वारा जमा कर दिया जिसका इन्द्राज विपक्षी विद्युत विभाग ने बिल पास बुक में कर दिया। इस प्रकार परिवादी को मात्र बकाया रूपये 375/- जमा करना था। पुराने मकान उसरू अमौना तहसील सोहावल जिला फैजाबाद में परिवादी के पिता व सगे बड़े भाई ओमप्रकाष निवास करते रहे और आज भी निवास करते चले आ रहे हंै। परिवादी का अरसा 12 वर्श पूर्व कनेक्षन कटने के बाद से परिवादी के बड़े भाई ओम प्रकाष ने अपने नाम से घरेलू विधा में कनेक्षन विपक्षीगण से लेकर उपयोग व उपभोग कर रहे हैं और विद्युत देयों को जमा कर रहे हैं। विपक्षी एक ही परिसर में तभी दूसरा कनेक्षन निर्गत करता है जब उस परिसर पर पहला कनेक्षन कट चुका हो और पुराना बकाया समाप्त हो चुका हो। परिवादी का वाद इसी से साबित हो जाता है कि पुराने भवन में दूसरा कनेक्षन विपक्षी द्वारा अरसा 12 वर्श पूर्व दिया गया है। विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा परिवादी के खिलाफ अनावष्यक रूप से बिल आज तक का बिना विद्युत के उपभोग किये भेजा जा रहा है, जो प्रत्येक दषा में निरस्त होने योग्य है। वैसे भी माननीय उच्च न्यायालय द्वारा व्यवस्था दी गयी है कि दो साल के अन्दर ही विद्युत बिल की वसूली की जा सकती है ऐसा विद्युत अधिनियम कोड 2005 में भी वर्णित है। परिवाद का कार्य कारण दिनांक 25.06.2014 से विपक्षीगण द्वारा धमकी दिये जाने पर उत्पन्न हुआ। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को क्षतिपूर्ति रूपये 50,000/- तथा वाद व्यय रूपये 10,000/- दिलाया जाय।  
    विपक्षीगण को फोरम से पंजीकृत नोटिस भेजे गये जिनके रजिस्ट्री लिफाफे वापस न आने पर विपक्षीगण पर पर्याप्त तामीला मान कर विपक्षीगण के विरुद्ध परिवाद की सुनवाई एक पक्षीय रुप से सुने जाने का आदेष दिनांक 11.05.2015 को किया गया। विपक्षीगण की ओर से निर्णय के पूर्व तक न तो कोई रिकाल प्रार्थना पत्र दिया गया और न ही लिखित कथन दाखिल किया गया। 
    पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना षपथ पत्र, विद्युत बिल पास बुक की छाया प्रति, विपक्षीगण द्वारा परिवादी को धमकी दिये जाने के बाद परिवादी ने विपक्षीगण को दिये गये अपने पत्र दिनांक 05.06.2014 की छाया प्रति, ग्राम प्रधान द्वारा परिवादी के पक्ष के समर्थन में दिनांक 15.03.2014 को जारी किये गये प्रमाण पत्र की प्रति मूल रुप में, साक्ष्य में षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में उत्तर प्रदेष राज्य विद्युत परिशद की उपभोक्ता पथ प्रदर्षिका वर्श 1989 की छाया प्रति दाखिल की है जो षक्ति भवन लखनऊ द्वारा प्रकाषित की गयी है। जिसकी धारा 26 में उल्लिखित है कि ‘‘ऐसे उपभोक्ता जिनका अनुबन्ध परिशद द्वारा समाप्त कर दिया गया हो, नया कनेक्षन स्वीकृत किया जा सकता है। बषर्ते उस परिसर पर कोई अवषेश बकाया न हो तथा जिस तिथि तक इनसे न्यूनतम चार्ज लिए गए हों उस तिथि से कम से कम डेढ़ वर्श का समय बीत चुका हो।’’ विपक्षीगण ने परिवादी को जो बिल पुस्तिका जारी की है उसमें माह नवम्बर 2000 को परिवादी ने रुपये 600/- जमा किया है और उसके बाद परिवादी वर्श 2001 से अपने नये मकान में चला गया है पुराने मकान में उसके बडे़ भाई व पिता निवास करते हैं। पुराने मकान में ही विपक्षीगण ने परिवादी के बडे़ भाई के नाम दूसरा कनेक्षन जारी कर दिया है। विद्युत पथ प्रदर्षिका वर्श 1989 की धारा 26 के अनुसार 13 वर्श बाद विपक्षीगण द्वारा परिवादी से विद्युत बकाये की मांग करना अवैधानिक है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को कोई लिखित डिमाण्ड नोटिस वर्श 2001 से वर्श 2014 तक नहीं भेजा है और न ही कोई बिल भेजा है। इसलिये विपक्षीगण परिवादी से किसी प्रकार की धनराषि वसूल करने के अधिकारी नहीं है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को वसूली की धमकी दे कर अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध आंषिक रुप से स्वीकार एवं आंषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है। 
                                       आदेश
    परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी से किसी प्रकार की वसूली न करें। विपक्षीगण परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 1,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 1,000/- का भी भुगतान आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। उक्त भुगतान रुपये 2,000/- निर्धारित अवधि 30 दिन में न किये जाने पर आदेष की दिनांक से रुपये 2,000/- पर 6 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भुगतान भी तरोज वसूली की दिनांक तक विपक्षीगण को परिवादी को करना होगा।   
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.12.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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