राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2294/2014
(जिला उपभोक्ता फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या 03/13 में पारित निर्णय दिनांक 09.09.14 के विरूद्ध)
शीला देवी पत्नी श्री राजपाल सिंह निवासी ग्राम व पोस्ट चण्डीस
तहसील गभाना जनपद अलीगढ़। .......अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
उ0प्र0 कारपोरेशन लि0 लखनऊ एवं अन्य। ........प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. मा0 श्री विजय वर्मा, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 07.04.2017
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या 03/13 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 09.09.2014 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
'' परिवाद तदनुसार स्वीकार किया जाता है। परिवादी रू. 2000/- वाद व्यय तथा रू. 3000/- मानसिक कष्ट के लिये पाने का अधिकारी है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि कनेक्शन संख्या 67119 में जमा धनराशि कनेक्शन संख्या 67120 में समायोजित करे तथा कनेक्शन सं0 67120 जो परिवादिनी के नाम में है के द्वारा ही बिलों की वसूली करे अभिलेखों में तदनुसार संशोधन करे।''
प्रस्तुत अपील मा0 अध्यक्ष उ0प्र0, राज्य उपभोक्ता परिषद को संबोधित पत्र के रूप में की गई है। निबंधक कार्यालय राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रस्तुत अपील को त्रुटिपूर्ण पाया गया था और इस संबंध में अपने पत्र दि. 07.11.14 से अवगत कराया गया था। अपीलार्थी ने इंगित त्रुटियों का निवारण करते हुए एक पत्र प्रेषित किया जो निबंधक कार्यालय को दि. 27.11.14 को प्राप्त हुआ।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्रारंभ से ही त्रुटिपूर्ण अपील प्रस्तुत की गई है। अपील अध्यक्ष, उ0प्र0 राज्य उपभोक्ता परिषद को सम्बोधित है, जबकि इस पदनाम से कोई अपीलीय अथारिटी का प्रावधान नहीं है। धारा 7 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
-2-
में राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष राज्य सरकार के उपभोक्ता मामलों के प्रभारी मंत्री होते हैं। इसके अतिरिक्त अपील में विपक्षी/प्रत्यर्थी को पक्षकार नहीं बनाया गया है और न ही परिवाद में जो पक्षकार विपक्षी थे उनको सूचित करने के लिए कोई कार्यवाही की गई है। यदि अपीलार्थी के पत्र दि. 27.10.14 को मेमोरेन्डम आफ अपील मान भी लिया जाए तब भी इसमें कोई ऐसा बिन्दु नहीं है, जिससे यह परिलक्षित होता हो कि अपीलार्थी शीला देवी जिला मंच के निर्णय से व्यथित है। अपील के प्रार्थना पत्र में यह अंकित है कि वादिनी का मीटर सं0 व कनेक्शन सं0 आज भी भिन्न है साथ ही पूर्वानुसार ही आज भी बिल भेजे जा रहे हैं इस तरह उक्त निर्णय से वादिनी को कोई संतुष्टि प्राप्त नहीं हुई और न ही वादिनी की शिकायत का निवारण किया गया बल्कि झूठे तथ्य( वादिनी का क्रम सं0 67120 बताया है जबकि 67119 की छायाप्रति संलग्न उपलब्ध है) प्रस्तुत कर न्यायालय की गरिमा को भी कलंकित किया है।
अपीलार्थी के प्रार्थना पत्र से यह स्पष्ट होता है कि अपीलार्थी जिला मंच के निर्णय से व्यथित नहीं है। उसकी शिकायत है कि जिला मंच के आदेश का अनुपालन अभी तक विद्युत विभाग द्वारा नहीं किया गया है। धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत परिवादी जिला मंच के निर्णय से व्यथित होकर अपील प्रस्तुत करता है। जिला मंच के निर्णय के अनुपालन के लिए अपीलार्थी को निष्पादन की कार्यवाही करनी चाहिए। जिला फोरम अपने आदेश के क्रियान्वयन के लिए स्वयं सक्षम है, अत: प्रस्तुत अपील विधिनुसार प्रस्तुत न किए जाने, पैरवी न किए जाने व अपील में कोई सार न होने के कारण निरस्त किए जाने योग्य है। तदनुसार अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(विजय वर्मा) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-4