Uttar Pradesh

Faizabad

CC/57/2010

Sailendra Kumar - Complainant(s)

Versus

Uppcl - Opp.Party(s)

11 Feb 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/57/2010
 
1. Sailendra Kumar
Bikapur Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Uppcl
Ashok Marg lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
            
                
    

़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                     ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-57/2010

शैलेन्द्र कुमार पुत्र सत्य नारायण निवासी ग्राम मिसरहिया पोस्ट जाना बाजार हैदरगंज परगना पश्चिमराठ तहसील बीकापुर जिला फैजाबाद        .................... परिवादी

                    बनाम

1-        उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा चेयरमैन शक्तिभवन अशोक मार्ग लखनऊ।
2-    अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड-2 मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड फैजाबाद                               ................. विपक्षीगण
    
निर्णय दि0 11.02.2016
                                                             
    
                        निर्णय

उद्घोषित द्वाराः-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध बकाया विद्युत बिल निरस्त करके वास्तविक उपभोग का बिल देने तथा विद्युत कनेक्शन संयोजन करने एवं क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
    
    संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि उसने विपक्षीगण से व्यवसायिक कनेक्शन सं0-5101/005946 लिया और उसका बिल उपयोग की अवधि 

 

 

    (  2  )

तक नियमित करता रहा है। उपभोग के अनुसार मु0 1400=00 से मु0 2500=00 के बीच आता रहा है। परिवादी ने विपक्षीगण द्वारा दि0 15.09.2006 तक भेजे गये हर बिल की अदायगी की है। विपक्षीगण के अधीनस्थ कर्मचारी श्री दिलीप कुमार तत्कालीन वर्ष 2006 के एस0डी0ओ0 दि0 28.9.2006 को स्थल पर गये और जबरन बल प्रयोग करते हुए बिना नोटिस विधि विहीन रूप से परिवादी का मीटर केबिल आदि लेकर चले गये जिससे परिवादी का कार्य बन्द हो गया। दि0 05.12.2005 की फर्जी चेकिंग का हवाला देकर स्वीकृति से अधिक भार का उपयोग करने की नोटिस भेज दिया। विपक्षीगण के द्वारा परिवादी का कनेक्शन केबिल व मीटर उखाड़ लिये जाने से बिना विद्युत आपूर्ति के परिवादी का कारोबार पूरी तरह बंद हो गया और उसे काफी नुकसान हुआ है। परिवादी का जीवन यापन परिवार का भरण पोषण उसी कारोबार पर आधारित था, जिस कारण परिवादी अत्यधिक आर्थिक अभाव से ग्रस्त है।
    
    विपक्षीगण ने अपने जवाब में कहा कि परिवादी ने विपक्षीगण से व्यवसायिक कनेक्शन लिया है। इस प्रकार परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में उपभोक्ता नहीं है और इसी आधार पर परिवादी का परिवाद निरस्त होने योग्य है। परिवादी के परिसर की चेकिंग पुलिस प्रवर्तन दल द्वारा दि0 05.12.2005 को की गयी थी, जिसमें परिवादी अधिक विद्युत का भार उपयोग करते हुए पाया गया तथा परिवादी पीक आवर में औद्योगिक विधा में विद्युत का प्रयोग करते हुए पाया गया जो कि अवैधानिक था। विद्युत कनेक्शन पर निर्धारण किया गया और एक प्रोविजनल असेस्टमेन्ट भेजा गया और उसे व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर देते हुए यह अनुरोध किया गया कि यदि इस असेस्मेन्ट/निर्धारण के विरूद्ध कोई आपत्ति हो तो नोटिस में दिये गये समय सीमा के अन्दर आपत्ति प्रस्तुत करें परन्तु परिवादी ने कोई आपत्ति प्रस्तुत नहीं किया। इस प्रकार परिवादी के विरूद्ध प्राॅविजनल असेस्मेन्ट/निर्धारण अन्तिम हो गया। इसके बावजूद भी परिवादी ने निर्धारण की रकम जो तत्समय 1,28,178=00 था, को जमा नहीं किया। 
    
    मैं परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रेषित किया कि दि0 28.9.2006 को केबिल मीटर उतार लिया गया। बिल मु0 1440=00 बकाया था। बाद में मु0 25,972=00 का बिल भेज दिया। 

 

 

                    (  3  )

प्रवर्तन दल ने दि0 05.12.2005 को चेकिंग के दौरान अधिक विद्युत का भार उपभोग करते हुए पाया गया इसलिए परिवादी को परेशान करने की नीयत से ज्यादा बिल बनाकर भेज दिया, जबकि परिवादी का जीवन यापन परिवार का भरण पोषण उसी कारोबार पर आधारित था, जिस कारण परिवादी अत्यधिक आर्थिक अभाव में ग्रस्त है। इसके विपरीत विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी 5 हार्स पावर का मीटर लगाकर आटा चक्की चला रहा है जो कामर्शियल श्रेणी में आता है। विद्युत विभाग के प्रवर्तन दल द्वारा चेकिंग की गयी अधिक विद्युत का उपभोग करना पाया गया जो विद्युत अधिनियम की धारा-126 के तहत चोरी के श्रेणी में आता है। परिवादी को यदि कोई परेशानी है तो धारा-127 विद्युत अधिनियम के तहत अपील कर सकता है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी तर्क प्रेषित किया कि परिवादी का परिवाद विद्युत अधिनियम की धारा-145 से बाधित है और यह परिवाद नहीं चल सकता है। विपक्षी की ओर से अपने तर्क के समर्थन में यू0पी0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड तथा बनाम अनीस अहमद (2013(100)ए0एल0आर0 736) सुप्रीम कोर्ट को प्रेषित किया है।

    परिवादी ने अपने परिवाद की धारा-1 में व्यवसायिक कनेक्शन लेने की बात कही है और आटा चक्की चलाता है लेकिन अपने परिवाद की धारा-8 में कहा है कि उसका जीवन यापन परिवार का भरण पोषण इसी कारोबार पर आधारित था। इस प्रकार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-1 (डी) (1) के स्पष्टीकरण के तहत जब कोई व्यवसाय भरण पोषण या जीवन यापन के लिए किया जाता है तो उसका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत चलेगा और वह उपभोक्ता की श्रेणी में आयेगा। इस प्रकार परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में आता है।

    दूसरा विवाद यह है कि परिवादी विद्युत चोरी करते हुए पाया गया। 5 हार्स पावर मीटर के स्थान पर अधिक भार की बिजली चोरी कर रहा , इसीलिए प्रवर्तन दल ने परिवादी को विद्युत चोरी करते हुए पाया। चूॅंकि पुलिस प्रवर्तन दल ने परिवादी को 5 हार्स पावर मीटर से अधिक भार की विद्युत चोरी करते हुए पाया है यह चोरी की श्रेणी में आता है। विद्युत अधिनियम की धारा-124 के तहत विद्युत चोरी 

 

 


       (  4  )

करना कहा जायेगा। परिवादी को यदि कोई परेशानी है तो विद्युत अधिनियम की धारा-127 के तहत अपील करे। परिवादी ने विद्युत विभाग में प्रवर्तन दल के द्वारा अधिक भार के विद्युत उपभोग करने के विरूद्ध कोई अपील नहीं किया है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद धारा-145 विद्युत अधिनियम से बाधित है। परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध साबित नहीं है और परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।  
    
        
                आदेश
        
        परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।     

   (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)              
            सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष     
         
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 11.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया  गया।
    

        (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)           
      सदस्य                   सदस्या                     अध्यक्ष    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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