राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-411/2015
(जिला उपभोक्ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्या-03/2013 में पारित आदेश दिनांक 13.01.2015 के विरूद्ध)k
1. रेखा देवी पत्नी स्व0 शैलेन्द्र
2. कु0 काजल पुत्री स्व0 शैलेन्द्र
3. कु0 तनु पुत्री स्व0 शैलेन्द्र
4. देव पुत्र स्व0 शैलेन्द्र (द्वारा संरक्षिका माता रेखा देवी नाबालिग 2 ता 5) सर्व निवासीगण- ग्राम सुरान, कस्बा व थाना औरैया, जनपद औरैया।
........अपीलार्थीगण/परिवादिनी
बनाम
1- उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा जिलाधिकारी औरैया, (फार्मल विपक्षी संख्या 1)
2- अधिशाषी अभियन्ता, दक्षिणांचल, विद्युत वितरण खण्ड औरैया, जनपद औरैया।
3- निदेशक, विद्युत सुरक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश शासन, विद्युत खण्ड-2 गोमतीनगर, लखनऊ (फार्मल विपक्षी संख्या 3)
........प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री शिव प्रकाश गुप्ता, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 04.07.2017
मा0 श्री न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 03/2013 रेखा देवी आदि बनाम उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा जिलाधिकारी आदि में जिला फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 13.01.2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के परिवादीगण रेखा देवी आदि की ओर से धारा 15 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा उपरोक्त परिवाद स्वीकार करते हुये निम्न आदेश पारित किया है:-
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"परिवाद विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एक लाख रूपया क्षतिपूर्ति की वसूली हेतु स्वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर दिनांक 01-01-2013 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा। विपक्षी संख्या 2 उक्त धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को प्रदान करें।"
जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी क्षतिपूर्ति की धनराशि से परिवाद के परिवादीगण सन्तुष्ट नहीं हैं। अत: उन्होंने यह अपील आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर क्षतिपूर्ति की धनराशि बढ़ाने का निवेदन किया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री शिव प्रकाश गुप्ता उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस का तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनकर और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन कर निर्णय पारित किया जा रहा है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त और सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने उपरोक्त परिवाद इस कथन के साथ जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है कि परिवादिनी संख्या 1 रेखा देवी के जेठ शिशुपाल ने विद्युत विभाग से विद्युत कनेक्शन संख्या 344120 बुक संख्या 83/4 लिया था और उसका बिल नियमित रूप से जमा करते थे।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि परिवादिनी संख्या 1 रेखा देवी के पति एवं परिवादीगण 2 ता 5 के पिता शैलेन्द्र को यह पता चला कि घरेलू कनेक्शन के तारों के ऊपर से 11000 वोल्ट चालित तार जो जर्जर अवस्था में बिछाए गये हैं में से एक तार टूटकर घरेलू विद्युत के उक्त तारों पर गिरने से घरेलू विद्युत शक्ति में अत्यधिक करंट प्रवाहित होने लगा है तथा घरेलू उपकरण जलने लगे हैं और अफरा-तफरी मच गयी है। अत: परिवादी संख्या 1 के पति एवं परिवादीगण संख्या 2 ता 5 के पिता शैलैन्द जिनकी आयु 28 वर्ष थी, घरेलू सुरक्षा
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हेतु जैसे ही विद्युत शक्ति प्रवाह घर के अन्दर रोकने हेतु अपने हाथ से स्विच को बन्द करने लगे वैसे ही विद्युत की चपेट में आने से वह बेहोश हो गये और उन्हें अस्पताल ले जाया जाने लगा तभी रास्ते में उनकी मृत्यु हो गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी संख्या 1 रेखा देवी उक्त शैलैन्द्र की पत्नी और परिवादीगण 2 ता 4 उनकी अवयस्क पुत्रियां तथा परिवादी संख्या 5 उनका अवयस्क पुत्र है।
अपीलार्थी/परिवादीगण ने परिवाद प्रस्तुत कर कुल 18,85,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति की मांग की है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्या 3 विद्युत सुरक्षा परिषद की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है जिसमें कहा गया है कि जॉंच पर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम उत्तरदायी पाया गया है और गजेन्द्र सिंह उपखण्ड अधिकारी तथा राजेन्द्र प्रताप सिंह अवर अभियन्ता की लापरवाही पायी गयी है। उनके विरूद्ध कार्यवाही हेतु विपक्षी संख्या 2 अधिशाषी अभियन्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्ड को लिखा गया है।
विपक्षीगण संख्या 1 व 2 की ओर से लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है।
जिला फोरम ने परिवाद पत्र के कथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार कर यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादिनी संख्या 1 के पति और अपीलार्थी/परिवादीगण संख्या 2 ता 5 के पिता शैलैन्द्र की मृत्यु परिवाद पत्र में कथित उपलब्ध ढंग से कंरट लगने से हुयी है जो विद्युत विभाग के कर्मचारीगण की लापरवाही का परिणाम है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुये एक लाख रूपये की क्षतिपूर्ति अदा करने हेतु विपक्षी संख्या 2 अधिशाषी अभियन्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्ड औरैया
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को आदेशित किया है और साथ ही साथ उक्त धनराशि पर 7 प्रतिशत वार्षिक की दर से अदायगी की तिथि तक ब्याज भी अदा करने हेतु आदेशित किया है।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा क्षतिपूर्ति की जो धनराशि प्रदान की गयी है वह बहुत कम है। मृतक की आयु 28 वर्ष थी और वह अपने परिवार की आजीविका का सहारा था। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि मृतक शैलेन्द्र अंशु पौधशाला दिल्ली में काम करता था और उसे 8000/- रूपये मासिक वेतन मिलता था। अत: ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/परिवादीगण परिवाद पत्र में याचित धनराशि पाने के अधिकारी हैं। अत: अपील स्वीकार कर जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तदनुसार संशोधित किया जाना आवश्यक है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने जिला फोरम के समक्ष मृतक शैलेन्द के अंशु पौधशाला में कार्यरत होने का कोई प्रमाण नहीं प्रस्तुत किया है और न उसकी वेतन पर्ची प्रस्तुत की है। अपील की सुनवाई के समय भी अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ऐसा कोई अभिलेख नहीं दिखा सके हैं। अत: मृतक की आय 8000/- रू० मासिक पाने हेतु उचित आधार नहीं है। परन्तु जिला फोरम ने मृतक की आय को तीन हजार रूपया मासिक माना है। उस आधार पर भी जिला फोरम द्वारा निर्धारित प्रतिकर धनराशि एक लाख रूपया बहुत कम है। मृतक की आयु 28 वर्ष बतायी गयी है। शव विच्छेदन आख्या में उसकी आयु 30 वर्ष अंकित है। इस आयु के आधार पर भी 60 वर्ष की आयु तक अर्थात तीस वर्ष वह कार्यरत रहता। अत: जिला फोरम द्वारा निर्धारित आय के आधार पर भी शैलैन्द्र की मृत्यु के परिणाम स्वरूप अपीलार्थीगण को देय प्रतिकर धनराशि 7,20,000/- रू० होती है।
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परिवाद पत्र एवं प्रत्यर्थी संख्या 3 की जांच आख्या और मृतक शैलैन्द्र की शव विच्छेदन आख्या से स्पष्ट है कि मृतक शैलैन्द की मृत्यु विद्युत विभाग की लापरवाही से उसके घरेलू कनेक्शन में अत्यधिक विद्युत प्रवाह होने से हुयी है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचार कर उपरोक्त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम का निर्णय संशोधित कर अपीलार्थी को 7,20,000/- रू० प्रतिकर दिलाया जाना उचित है। तदनुसार अपील सव्यय स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला फोरम का निर्णय संशोधित करते हुये प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या 2 को आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/पविादीगण को 7,20,000/- रूपये क्षतिपूर्ति परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि दिनांक 01-01-2013 से अदायगी की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करें। प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या 2 अपीलार्थीगण को 10,000/- रू० (दस हजार रूपया) वाद व्यय भी अदा करेगा।
उपरोक्त प्रतिकार धनराशि वसूल होने पर प्रत्येक अपीलार्थी/परिवादी बराबर 142000/- रू० प्रतिकर धनराशि व उस पर देय ब्याज पाने के अधिकारी होंगे।
अवयस्क अपीलार्थी/परिवादीगण 2 ता 4 के हिस्से की सम्पूर्ण धनराशि उनके नाम जिला फोरम द्वारा अलग-अलग राष्ट्रीयकृत बैंक के सावधि खाते में जमा की जाएगी जो उनके व्यस्क होने पर उन्हें प्राप्त होगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01