Uttar Pradesh

StateCommission

A/1532/2015

Ramesh Pratap Singh - Complainant(s)

Versus

Uppcl - Opp.Party(s)

R.K.Mishra

12 Aug 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1532/2015
(Arisen out of Order Dated 06/07/2015 in Case No. C/450/2010 of District Pratapgarh)
 
1. Ramesh Pratap Singh
Pratapgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Uppcl
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Virendra Singh PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1532/2015

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या 450/2010 में पारित आदेश दिनांक 06.07.2015 के विरूद्ध)

Ramesh Pratap Singh, S/o Shri Ram Lakhan Singh, R/o Gram & Post- Pure Madhav Singh, Tehsil- Sadar, Distt.-Pratapgarh.              

                                                                     ....................अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

1. Managing Director/Chairman, Power  Corporation,  Shakti  Bhawan,          

    Lucknow, Uttar Pradesh.

2. Managing Director, Purvanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd., Varanasi.

3. Shri Vinay Kumar Singh, Avar Abhiyanta.

4. Adhishashi Abhiyanta, Vidyut Vitran Khand-1, Pratapgarh.

                                    ................प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्र सिंह, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  : कोई नहीं।

दिनांक : 12.08.2015

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्र सिंह, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

अपीलार्थी द्वारा यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या 450/2010 में पारित आदेश दिनांक 06.07.2015 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है। विवादित आदेश निम्‍नवत् है:-

     '' पत्रावली प्रस्‍तुत हुई। रमेश प्रताप सिंह परिवादी की ओर से प्रार्थनापत्र 22 देकर याचना की गई कि उसे निर्दोष बरी कर दिया गया है अत: परिवाद में तिथि निर्धारित की जाए। उक्‍त विद्युत विभाग के अधिवक्‍ता द्वारा आपत्ति की गई कि यह परिवाद इस न्‍यायालय में धरणीय नहीं है। फोरम के समक्ष उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण द्वारा अपने तर्क रखे। विद्युत विभाग के अधिवक्‍ता द्वारा माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा निर्णीत यूपी पावर कार्पोरेशन लिमिटेड Vs अनीस अहमद ए.आई.आर. 2013 सुप्रीम कोर्ट 2766 पर बल दिया गया। परिवादी की ओर से कहा गया कि प्रस्‍तुत प्रकरण में यह विधि व्‍यवस्‍था प्रभावी नहीं है।

यह स्‍वीकृत तथ्‍य है कि परिवादी विद्युत विभाग का उपभोक्‍ता है जिसके लिए पृथक से विद्युत उपभोक्‍ता व्‍यथा निवारण फोरम  की  स्‍थापना

 

 

 

 

-2-

की जा चुकी है अत: इस फोरम को परिवादी के श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस संबंध में माननीय उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद द्वारा ओम प्रकाश बनाम उत्‍तर प्रदेश राज्‍य आदि (2011 इलाहाबाद सी.जे. 1076) में प्रतिपादित विधि व्‍यवस्‍था को आधार मानता हूँ। पत्रावली पर पुनर्स्‍थापित करने का कोई औचित्‍य नहीं है। '' 

श्री आर0के0 मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता अपीलार्थी को सुना गया और अभिलेख का अवलोकन किया गया। प्रश्‍नगत आदेश में कोई त्रुटि नहीं है क्‍योंकि परिवादी का केस अपना यह स्‍वीकार है कि उसके विरूद्ध विद्युत चोरी का केस गलत बनाया गया है। ऐसी स्थिति में विद्युत चोरी और चोरी के सम्‍बन्‍ध में विद्युत उपभोग की धनराशि की गणना के प्रश्‍न ऐसे प्रश्‍न हैं, जिनके सम्‍बन्‍ध में उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत कार्यवाही नहीं

की जा सकती है। इस सम्‍बन्‍ध में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा सिविल अपील नं0 5466/2012 (arising out of SLP No. 35906 of 2011), यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 व अन्‍य बनाम अनीस अहमद में पारित निर्णय दिनांक 01.07.2013 अवलोकनीय है। अत: इस अपील में कोई बल नहीं है, तदनुसार अपील अस्‍वीकार की जाती है।

                     

 

                      (न्‍यायमूर्ति वीरेन्‍द्र सिंह)                              

                      अध्‍यक्ष                     

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Virendra Singh]
PRESIDENT

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